रायपुर :छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय के प्लेसमेंट कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ पिछले कई दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदेशभर के प्लेसमेंट कर्मचारियों ने ठेका पद्धति समाप्त करने की मांग सरकार से की है. इसको लेकर छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ के बैनर तले 3 दिसंबर से प्रदेश स्तर पर और 17 जिलों में 19 नवंबर से जिला स्तर पर प्रदर्शन जारी है.
ठेका पद्धति खत्म करने की मांग : महासंघ का कहना है कि नगरीय निकाय में ठेकेदार के माध्यम से वेतन का भुगतान होता है. ऐसे में ठेका पद्धति को बंद किया जाए और सीधे विभाग से कर्मचारियों को वेतन दिया जाए. इस तरह की व्यवस्था जल संसाधन विभाग पीएचई और पीडब्ल्यूडी विभाग में है.
प्लेसमेंट कर्मचारियों की हड़ताल से सफाई व्यवस्था चरमराई (ETV Bharat)
शासन को सौंपा ज्ञापन, फिर भी कोई पहल नहीं : छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष खेमूलाल निषाद ने बताया कि हम लोगों ने अनिश्चितकालीन प्रदेश स्तरीय हड़ताल 3 दिसंबर से शुरू की गई. इसके पहले 19 नवंबर से प्रदेश के 17 जिलों में जिला स्तर पर प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रदेश के सभी नगरीय निकाय में कर्मचारियों की संख्या लगभग 20 हजार है.
कई बार ठेका पद्धति समाप्त करने के लिए शासन को ज्ञापन दिया गया है. बावजूद इस पर कोई पहल नहीं की गई. जिस वजह से हमें मजबूरन हड़ताल करना पड़ रहा है : खेमूलाल निषाद, कार्यकारी अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ
"हमें नगर निगम अपना कर्मचारी नहीं मानती":खेमूलाल निषाद ने आगे बताया कि नगर निकाय के माध्यम से शासकीय योजनाओं का काम भी हमसे कराया जाता है. लेकिन हमें नगर निगम अपना कर्मचारी नहीं मानती. ठेकेदार के जरिए काम करने वाले इन कर्मचारियों को जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, साफ सफाई, माली का काम जैसे तमाम तरह के काम कर्मचारियों से लिए जाते हैं. इसके साथ ही शासन की योजनाओं से संबंधित काम भी करवाए जाते हैं.
हमें ठेकेदार के माध्यम से वेतन का भुगतान किया जाता है. ठेकेदार कमीशन और लाभांश जैसे चीजों का हकदार बनता है. लेकिन हमारा हक मार दिया जाता है और कम पैसों में ही हमें अपना परिवार चलाना पड़ता है, जिससे काफी परेशानी होती है : खेमूलाल निषाद, कार्यकारी अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ
कर्मचाररियों को तीन भागों में बांटा गया : खेमूलाल निषाद ने बताया कि साल 2012 के पहले हमें वेतन का भुगतान सीधे नगरीय निकाय से होता था. लेकिन उसके बाद ठेका पद्धति लाकर ठेकेदार के जरिए हमसे सभी तरह के काम लिए जाते हैं. प्लेसमेंट के तहत काम करने वाले कर्मचारी तीन भाग में बंटे हुए हैं, जिसमें अकुशल को वेतन के तौर पर 9 हजार रुपए मिलते हैं. वहीं, अर्धकुशल को वेतन के तौर पर 10 हजार रुपए दिया जाता है. उच्च कुशल को वेतन के तौर पर 12 हजार रुपए महीना मिलता है.
प्रदर्शन से शहर की व्यवस्था चरमराई : नगरीय निकाय के प्लेसमेंट कर्मचारी प्लेसमेंट कर्मचारी 3 दिसंबर से प्रदेश स्तर पर और 17 जिलों में 19 नवंबर से जिला स्तर पर प्रदर्शन पर हैं. उनके प्रदर्शन में चले जाने से प्रदेश के कई शहरों की सफाई व्यवस्था सहित अन्य काम बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इस वजह से लोगों की परेशानी बढ़ गई है.