कटक: देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म श्री के चयन प्रक्रिया में नामों को लेकर गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया है. मामला उड़ीसा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. अदालत ने इस संबंध में भारत सरकार के साथ ही संबंधित पार्टियों को नोटिस जारी कर 24 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है.
उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक ही नाम से प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार 2023 का दावा करने वाले दो व्यक्तियों को नोटिस जारी किया. उन्हें अपने दावों के समर्थन में प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ 24 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
यह मामला अन्य बातों के अलावा, ओड़िया साहित्यकार और चिकित्सक डॉ. अंतर्यामी मिश्रा से जुड़ा है. उन्होंने एक रिट याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि इसी नाम के एक अन्य व्यक्ति ने धोखाधड़ी करके पुरस्कार प्राप्त किया है. उन्होंने आगे कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने वाला पत्रकार हैं और उन्होंने कोई किताब नहीं लिखी है.
वर्ष 2023 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा 25 जनवरी को की गई थी. साथ ही 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कीं. उस वर्ष के 106 पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र के लिए श्री अंतर्यामी मिश्र का नाम भी शामिल था.
याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्होंने ओडिया और अन्य भारतीय भाषाओं में 29 किताबें लिखी हैं. इसके कारण उनका नाम 2023 की पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं की सूची में शामिल किया गया. हालांकि, उनका आरोप है कि यह पुरस्कार गलती से पत्रकार को दे दिया गया, जबकि उनका दावा है कि उनका कोई साहित्यिक योगदान नहीं है.
उस दिन सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कठोर सत्यापन प्रक्रिया के बावजूद समान नामों के कारण गड़बड़ी हुई है. इससे पुरस्कार चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है.
अदालत ने दोनों दावेदारों को अपने दावों को पुष्ट करने के लिए सभी प्रासंगिक प्रकाशनों और सामग्रियों के साथ शारीरिक रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है. भारत सरकार सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए हैं और उनसे जवाब मांगे गए हैं.