कोरबा: नगर पालिका निगम कोरबा अब स्वच्छता सर्वेक्षण में वाटर प्लस केटेगरी यानी फाइव स्टार रेटिंग के लिए दावा पेश करेगा. किसी शहर से निकलने वाले सीवरेज और गंदे पानी को पूरी तरह से साफ कर उसका उपयोग करने वाले को ही फाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. जिसके लिए कुछ समय पहले ही नगर पालिका निगम कोरबा ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनटीपीसी के साथ एक एमओयू साइन किया है. जिसके तहत निगम के 11 बड़े नालों से निकलने वाला शहर का गंदा पानी हसदेव नदी में छोड़ा जाता था.
गंदे पानी से मिलेगी मुक्ति, खर्चा भी बचेगा: अब गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(STP) के जरिए साफ कर उसे एनटीपीसी को बेचा जाएगा. जिससे निगम द्वारा पानी के ट्रीटमेंट पर किया जाना वाला खर्चा रिकवर होगा. दूसरी तरफ गंदे पानी का उपचार भी संभव होगा. इन कामों के दम पर नगर निगम केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में वाटर प्लस कैटेगरी के लिए दावा पेश करने की तैयारी में है.
केंद्र, राज्य और एनटीपीसी का होगा अंशदान: शहर से प्रतिदिन निकलने वाले सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर फिर से उपयोग करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है. नगर निगम और एनटीपीसी प्रबंधन के मध्य इस प्लांट की स्थापना के लिए एमओयू किया गया है. इसकी कुल लागत 168.95 करोड़ होगी. जिसका 20% राशि का अंशदान नगर निगम कोरबा का है. शेष राशि राज्य, केंद्र और एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा दी जाएगी.
महत्वाकांक्षी योजना का था इंतजार: शहर से प्रतिदिन उत्सर्जित होने वाले सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर इसे एनटीपीसी को उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था. अब यह योजना मूर्त रूप लेने जा रही है. टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जल्द कार्यदेश भी जारी किया जाएगा.
एनटीपीसी करेगा 14 करोड़ से टीटीपी का निर्माण: इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए एसटीपी के अलावा टर्शरी ट्रीटमेंट प्लांट(टीटीपी) की स्थापना एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा की जाएगी. जिसकी लागत 14 करोड है. एसटीपी की क्षमता 34 एमएलडी है. जबकी टीटीपी की क्षमता 20 एमएलडी होगी. इतना ही पानी इस परियोजना से नगर निगम कोरबा द्वारा एनटीपीसी को विक्रय किया जाएगा. सीवरेज के पानी को साफ करने के बाद एसटीपी से इस पानी को टीटीपी में भेजा जाएगा. जहां इसे 3 चरण में साफ करने के बाद एनटीपीसी को बेचा जाएगा.
7 से 8 चरणों में पानी होगा साफ: इस परियोजना में कुल 7 से 8 चरण में पानी का ट्रीटमेंट होगा. जिसका उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाएगा. ऐसे जल का उपयोग पीने के लिए नहीं किया जाता है. जबकr इसे अलग अलग औद्योगिक उपक्रमों और विभिन्न जरूरतों के लिए काम में लाया जाता है. इस प्रक्रिया से पानी की काफी बचत होगी.
प्रतिदिन 34 एमएलडी पानी छोड़ा जाता है: 11 नालों से प्रतिदिन 34 एमएलडी पानी हसदेव नदी में छोड़ा जाता है. पानी को ट्रीटमेंट करने के साथ ही यह परियोजना हसदेव नदी की स्वच्छता की तरफ बढ़ाया जाने वाला कदम भी है. नगर निगम कोरबा क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से राज्य का सबसे बड़ा नगर निगम है.
हसंदेव नदी का भी होगा संरक्षण: 67 वार्डों में फैले नगर निगम के 11 बड़े नालों से बरसात के सीजन को मिलाकर प्रतिदिन सीवरेज युक्त 34 एमएलडी गंदा पानी निकलता है. इस गंदे पानी को हसदेव नदी में छोड़ा जाता है. पर अब यह पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा. जहां से टर्शरी ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट होने के बाद इसे एनटीपीसी को सप्लाई किया जाएगा. एनटीपीसी जो पानी औद्योगिक उपयोग के लिए हसदेव से लेता था उसका संरक्षण भी होगा. दूसरी तरफ नगर निगम द्वारा जो गंदा पानी हसदेव नदी में छोड़ा जाता था उस पर भी रोक लगेगी.
7.50 ₹ प्रति हजार लीटर की दर से बचेगा पानी: इस परियोजना में एनटीपीसी प्रबंधन का महत्वपूर्ण योगदान है. योजना में राशि लगाने के साथ एनटीपीसी नगर निगम से पानी खरीदेगा. जिसकी राशि 7.50₹ प्रति हजार लीटर तय की गई है. फिलहाल नगर निगम और एनटीपीसी के मध्य 20 एमएलडी पानी विक्रय करने का करार हुआ है. एक एमएलडी पानी में 1000 किलो लीटर पानी की मात्रा होती है. एनटीपीसी द्वारा पानी खरीदने के बाद जो राशि निगम को प्राप्त होगी उससे आय का स्त्रोत तैयार होगा. नगर निगम द्वारा पानी के ट्रीटमेंट में केमिकल और अन्य संसाधनों के जरिए जो राशि खर्च होती है, फिलहाल उस राशि की रिकवरी भी संभव हो सकेगी. निर्धारित मानक के अनुरूप वाटर का फाइनल ट्रीटमेंट करके इसका उपयोग एनटीपीसी अपने प्लांट व कूलिंग सिस्टम आदि के लिए करेगा.
फाइव स्टार रेटिंग के लिए पेश करेंगे दावा: इस विषय में नगर पालिका निगम के कमिश्नर आशुतोष पांडे ने बताया कि ''फिलहाल नगर पालिक निगम कोरबा 3 स्टार रेटिंग वाला नगर निगम है. अब हम एसटीपी के जरिए टीटीपी में पानी भेजकर शहर के 11 नालों से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट करेंगे और इसे 7.50 ₹ प्रति हजार लीटर के दर से एनटीपीसी को बेचेंगे. इसके लिए एमओयू साइन हो चुका है. यह काम काफी जल्दी शुरू हो जाएगा. इस परियोजना के बाद हम केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में फाइव स्टार रेटिंग के लिए वाटर प्लस कैटेगरी में दावा पेश करेंगे''.