रामपुर बुशहर: समेज में भारी बाढ़ से हुई त्रासदी ने कई परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं. इन लोगों में अनीता भी शामिल हैं. भले ही अनीता और उसके परिवार की जान इस त्रासदी में बच गई, लेकिन वो आज अपने गांव के लोगों को याद कर भावुक हो जाती हैं. जिन लोगों के साथ अनिता का दिनभर कई सालों से बोलचाल और उठना बैठना था आज वो सब कभी ना उठने वाली नीम खामोशी में जा चुके हैं और अनीता के साथ उसका परिवार अकेला रह गया है.
समेज आई त्रासदी में अनिता का मकान बच गया था. उस दिन को याद करते हुए अनीता भावुक हो जाती हैं और बताती हैं कि बाढ़ के बाद इस घर में रहना मुश्किल हो गया है. भावुक और रुंधे हुए गले से अनिता ने बताया कि जो भी आसपास के घर थे वो सभी बह गए हैं. साथ घरों में रहने वाले मेरे अपने संबंधी, दोस्त सब लापता हो गए. अब मेरा घर अकेला रह गया है. अब मेरा यहां मन नहीं लगता मेरा रहना यहां मुश्किल है. मेरे घर के सामने जहां बेहतरीन आलीशान घर थे आज वहां सिर्फ वीरानी है. आसपास में भी अब कोई घर नहीं है.