शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला में स्थित राधास्वामी सत्संग ब्यास के भोटा चैरिटेबल अस्पताल का मामला इन दिनों चर्चा में है. पंजाब के ब्यास स्थित डेरा बाबा जैमल सिंह, जिन्हें आम लोग राधास्वामी सत्संग ब्यास के नाम से जानते हैं ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इस चैरिटेबल अस्पताल को डेरा ब्यास की ही सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दिया जाए. इसके लिए डेरा ब्यास प्रबंधन ने तर्क दिया है कि भोटा अस्पताल को अपग्रेड करने में आधुनिक उपकरण खरीदने पड़ते हैं. उनकी खरीद पर भारी-भरकम जीएसटी चुकाना होता है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने डेरा ब्यास के इस आग्रह पत्र पर आगे कार्रवाई शुरू कर दी है. सीएम ने बीते दिन रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसके लिए ऑर्डिनेंस लाएगी. यहां तक तो सारी बातें ठीक हैं, लेकिन राज्य सरकार के लिए भोटा अस्पताल को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करना आसान नहीं होगा. कारण ये है कि लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधान कड़े और पेचीदा हैं. वहीं, ऑर्डिनेंस के ड्राफ्ट को विधि विभाग के पास भेजा गया है, वहां से भी कुछ आपत्तियां आई हैं फिर कैबिनेट में मंजूरी के बाद यदि बिल विधानसभा में पास हो जाता है, तो भी ये राष्ट्रपति भवन की मंजूरी के लिए जाएगा. ऐसे में लंबा कानूनी रास्ता है और अड़चनें अधिक हैं. क्या राधास्वामी सत्संग ब्यास का आग्रह पूरा करना आसान होगा? क्या विधानसभा में बिल जाने या पास होने से पहले विधि विभाग ऑर्डिनेंस के ड्राफ्ट को ओके करेगा? क्या विधानसभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति भवन से इसे मंजूरी मिल पाएगी? इन सभी सवालों की पड़ताल आगे की पंक्तियों में है.
क्या है भोटा अस्पताल का बैकग्राउंड
पंजाब के ब्यास में राधास्वामी सत्संग की स्थापना बाबा जैमल नामक संत ने की थी. आजादी से पहले 1890 के करीब बाबा जैमल सिंह ने ब्यास नदी के किनारे कुटिया स्थापित की थी. बाद में विस्तार होते-होते ये विशाल डेरा बन गया. बाबा जैमल सिंह 1903 में अंतध्र्यान हो गए. उसके बाद बाबा सावन सिंह ने गद्दी संभाली. उस समय भोटा में निर्माण कार्य शुरू हो चुके थे. बाबा सावन सिंह के बाद बाबा जगत सिंह गुरू बने और फिर महाराज चरण सिंह ने डेरा ब्यास की गद्दी संभाली. इनके गुरू गद्दी के कार्यकाल में ही भोटा अस्पताल का विस्तार हुआ था. हालांकि स्थानीय लोगों ने भेंट स्वरूप निशुल्क जमीन दी हुई है. यहां विशाल सत्संग भवन व अस्पताल बना हुआ है और स्थानीय लोगों को निशुल्क इलाज मिलता है. आसपास की कई पंचायतों सहित बिलासपुर व ऊना, मंडी के लोग भी यहां इलाज के लिए आते हैं.
डेरा ब्यास चाहता है अस्पताल को ट्रांसफर करना
डेरा ब्यास प्रबंधन चाहता है कि वर्तमान में राधास्वामी सत्संग ब्यास के तहत चल रहे चैरिटेबल ट्रस्ट के भोटा अस्पताल को ब्यास डेरा की ही सिस्टर कंसर्न अथवा ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाए. इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है साथ ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा. लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए पहले ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट तैयार होगा. उसे विधि विभाग की राय के लिए भेजा जाएगा फिर ऑर्डिनेंस विधानसभा में लाया जाएगा. विधानसभा में पास होने के बाद उसे राष्ट्रपति भवन की मंजूरी मिलना जरूरी है. राज्य सरकार ने बिल का ड्राफ्ट विधि विभाग को भेजा है. विधि विभाग ने इस पर आपत्तियां लगाई हैं। उन आपत्तियों के पीछे लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधान हैं.
एक्ट में संशोधन के लिए बिल जरूरी
हिमाचल प्रदेश का लैंड सीलिंग एक्ट यदि संशोधित करना हो तो उसके लिए विधानसभा में बिल लाना होता है. वहीं, इससे पहले कैबिनेट मीटिंग में चर्चा के लिए ऑर्डिनेंस लाया जाता है. मामला राजस्व विभाग के तहत आता है. राजस्व विभाग ने ऑर्डिनेंस का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर विधि विभाग को भेजा है. गौर करने वाली बात ये है कि हिमाचल प्रदेश के लैंड सीलिंग एक्ट को भारतीय संविधान की प्रोटेक्शन हासिल है. यानी हिमाचल का लैंड सीलिंग एक्ट संविधान से प्रोटेक्टिड है. दरअसल, वर्ष 2014 में वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में धार्मिक संस्था के रूप में राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में एक छूट मिली थी. राधास्वामी सत्संग ब्यास को एक धार्मिक संस्था, जो जनहित के कार्यों से जुड़ी है, के कारण लैंड होल्डिंग की सीलिंग से बाहर किया गया था. यानी राधास्वामी सतसंग ब्यास एक ऐसी धार्मिक संस्था है, जिसे हिमाचल में लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन रखने की अनुमति है, लेकिन उस समय केंद्र सरकार ने एक राइडर लगाया था. उस राइडर के अनुसार लैंड सीलिंग की सीमा से बाहर जो भी जमीन थी, उसे ना तो सेल किया जा सकेगा, ना लीज पर दिया जा सकेगा और ना ही गिफ्ट, विल या मार्टगेज या अन्य किसी रूप में ट्रांसफर किया जा सकेगा. अब राधास्वामी सत्संग ब्यास इन्हीं शर्तों में छूट चाहता है ताकि अस्पताल को अपनी ही एक सोसायटी में ट्रांसफर किया जा सके.
एक्ट में इस तरह के संशोधन की मंशा
लैंड सीलिंग एक्ट में राधास्वामी सत्संग ब्यास के आग्रह पर एक संशोधन पर छूट देने की कवायद चल रही है. राज्य सरकार ऑर्डिनेंस के जरिए भोटा में अस्पताल सहित तीस एकड़ जमीन ट्रांसफर करने के लिए अनुमति देगी. इसके लिए वन टाइम रिलैक्सेशन यानी छूट दी जाएगी. ट्रांसफर के लिए तय फीस भी ब्यास प्रबंधन से ली जाएगी. इसके बाद की अड़चन राष्ट्रपति भवन के जरिए केंद्र सरकार की मंजूरी में होगी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रबंधन ने भोटा अस्पताल को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करने का आग्रह किया है. राज्य सरकार सारे कानूनी पहलुओं को जांच कर आगे बढ़ेगी और विंटर सेशन में अध्यादेश लाया जाएगा.
वहीं, एक अन्य घटनाक्रम के तहत सोमवार को भोटा अस्पताल के बाहर राधास्वामी सत्संग ब्यास की तरफ से एक नोटिस लगाया गया, जिसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2024 को अस्पताल को बंद किया जाएगा. इसके खिलाफ स्थानीय लोगों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन भी किया है. यहां एक तथ्य और दर्ज करने लायक है कि राधास्वामी सत्संग ब्यास के हिमाचल में अनुमानित दस लाख से अधिक अनुयायी हैं. डेरा ब्यास का यहां की राजनीति पर भी प्रभाव है. भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों दलों के प्रमुख नेता डेरा ब्यास के गद्दीनशीन के दरबार में हाजिरी भरते रहे हैं. खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी डेरा ब्यास के गुरू महाराज के पास जाते रहे हैं. देखना है कि आने वाले समय में इस मामले में क्या घटनाक्रम पेश आता है.
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