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IPS अफसरों के IG इम्पैनलमेंट पर नहीं हुई कोई गलती, सरकार ने मामले पर साफ की तस्वीर - IPS OFFICERS EMPANELMENT

उत्तराखंड आईपीएस अधिकारियों के इम्पैनलमेंट के संबंध में सरकार द्वारा बयान जारी किया गया.

IPS OFFICERS EMPANELMENT
आईपीएस अधिकारियों के इम्पैनलमेंट के संबंध में सरकार द्वारा बयान जारी किया गया (FILE PHOTO ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 7, 2025, 10:59 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड में आईपीएस अधिकारियों के इम्पैनलमेंट को लेकर राज्य सरकार ने तस्वीर साफ कर दी है. दरअसल पिछले कुछ समय से 2006 बैच के आईपीएस अधिकारियों का आईजी लेवल पर इम्पैनलमेंट नहीं होने का विवाद चल रहा है. जिसको लेकर उत्तराखंड गृह विभाग पर सवाल खड़े किए जा रहे थे. लेकिन सरकार ने मामले पर लिखित बयान जारी करते हुए इम्पैनलमेंट को लेकर राज्य गृह विभाग द्वारा सभी कार्रवाई किए जाने की पुष्टि की है.

उत्तराखंड में साल 2006 बैच के आईपीएस अधिकारियों का इम्पैनलमेंट से जुड़ा विवाद अब थमता दिख रहा है. दरअसल पिछले कुछ दिनों से लगातार 2006 बैच के आईपीएस अधिकारियों का केंद्र में आईजी लेवल पर इम्पैनलमेंट चर्चा का विषय बना हुआ है. आप यह लग रहे थे कि 2006 बैच के इन अधिकारियों का नाम केंद्र में इम्पैनलमेंट के लिए राज्य गृह विभाग द्वारा नहीं भेजा गया. मामले के तूल पकड़ता देख सरकार ने भी फौरन इस पर स्थिति को स्पष्ट करना ही सही समझा और मामले में लिखित बयान जारी कर दिया गया.

उत्तराखंड आईपीएस अधिकारियों के इम्पैनलमेंट के संबंध में सरकार द्वारा बयान जारी किया गया (PHOTO- उत्तराखंड गृह विभाग)

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में इम्पैनलमेंट किए जाने की सभी कार्रवाई गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा की जाती है. भारत सरकार का गृह मंत्रालय आईपीएस अधिकारियों के विजिलेंस स्टेटस और विजिलेंस प्रोफाइल संबंधी प्रपत्र राज्य सरकार से मांगता है. इस कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईजी स्तर पर इम्पैनलमेंट के लिए चार अधिकारियों की विजिलेंस स्टेटस और विजिलेंस प्रोफाइल संबंधी जानकारी मांगी थी. जिसमें आईपीएस स्वीटी अग्रवाल, अरुण मोहन जोशी, अनंत शंकर ताकवाले और राजीव स्वरूप का नाम शामिल था.

जारी बयान में बताया गया कि भारत सरकार द्वारा मांगी गई जानकारी के अनुक्रम में राज्य सरकार ने नवंबर 2023 में ही संबंधित अधिकारियों के विजिलेंस स्टेटस और विजिलेंस प्रोफाइल संबंधी प्रपत्र भेज दिए गए थे. इसके अलावा भारत सरकार ने 2004/2005 बैच के पांच अधिकारियों और 2007 बैच के चार अधिकारियों के साथ ही 1997 बैच के दो अधिकारियों के विजिलेंस स्टेटस और विजिलेंस प्रोफाइल के प्रपत्र मांगे थे, जो कि नवंबर में ही भारत सरकार को भेज दिए गए.

यह स्पष्ट कर दिया गया कि केंद्र में इम्पैनलमेंट की कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा नहीं की जाती है. सरकार के इस बयान के सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि इम्पैनलमेंट को लेकर जो भी अब तक बातें सामने आ रही थी, वह तथ्य से परे थी.

इम्पैनलमेंट को आसान भाषा में समझें: अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की केंद्र में कमी होने की बात सामने आती रही है. इसके कारण केंद्र सरकार के स्तर पर भी राज्यों को अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए पत्र लिखे जाते रहे हैं. केंद्र में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के विभिन्न पदों पर इंपैनलमेंट को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि केंद्र में विभिन्न पदों पर अधिकारियों की तैनाती राज्यों में तैनात अधिकारियों पर निर्भर है. विभिन्न राज्यों में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में अपनी सेवाएं देते हैं.

इसके लिए बाकायदा नियम भी निश्चित है और ये तय है कि विभिन्न राज्यों में कितने प्रतिशत अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे.जिस तरह राज्यों में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को समय के साथ-साथ उच्च पदों पर प्रमोशन मिलते हैं. इस तरह से केंद्र में भी इन अधिकारियों को विभिन्न स्तर के लिए सेवाओं के आधार पर इंपैनल किया जाता है.

यानी राज्य से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी को किस रैंक पर सेवा करने का मौका मिलेगा ये केंद्र में इंपैनल के आधार पर ही तय होता है. सामान्य तौर पर देखे तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान राज्य के लिहाज से एक लेवल कम पर अधिकारी इंपैनल होता है. हलकों समय के साथ सेवाओं के बढ़ने पर लेवल बढ़ता भी जाता है. लेकिन इंपैनल की ये पूरी प्रक्रिया पूरे देश में बैच के आधार पर अधिकारियों का आकलन करने के बाद केंद्र ही करता है.

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