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सौर उर्जा से मिला स्वरोजगार का नया उजाला, सोलर प्लांट से प्रतिमाह कमा रहे 4 से 5 लाख

प्रदेश सरकार ने ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. इससे स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो रहे हैं.

50 कनाल भूमि पर लगाया सोलर पलांट
50 कनाल भूमि पर लगाया सोलर पलांट (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

धर्मशाला : पर्यावरण संरक्षण के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही है. सरकार ने इसके लिए तरह तरह की योजनाएं भी शुरू की हैं. इससे पर्यावरण संरक्षण तो हो ही रहा है साथ साथ में सौर उर्जा से विद्युत उत्पादन के सफल प्रयास स्वरोजगार का नया उजाला भी लेकर आए हैं.

सरकार की सोलर उर्जा नीति ने बंजर भूमि में सौर उर्जा प्रोजेक्ट स्थापित करने की पहल से लोगों के लिए आमदनी की नई संभावनाएं सामने आई हैं. वहीं सस्ती दरों पर विद्युत उत्पादन की राहें भी नजर आ रही है. हिमाचल प्रदेश को हरित उर्जा राज्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है. सुक्खू सरकार ने ग्रीन एनर्जी के तहत सौर उर्जा के उपयोग को और अधिक बढ़ाने का निर्णय लिया है.

सोलर प्लांट बना आय का साधन (ETV BHARAT)

जिला कांगड़ा के शाहपुर उपमंडल की पंचायत तरखाकड़ में शिक्षा विभाग से रिटायर्ड प्रिंसिपल देशराज ने सरकार की सोलर उर्जा नीति के तहत नवीकरणीय उर्जा पर आधारित प्रोजेक्ट स्थापित किया है. इससे उन्हें चार से पांच लाख प्रतिमाह आमदनी भी हो रही है. रिटायर्ड प्रिंसिपल ने 1000 किलोवाट का सौर उर्जा प्लांट स्थापित किया है. देशराज ने बताया कि, 'उनके मन में हमेशा ग्रामीण क्षेत्र के लिए कुछ करने का सपना था और सेवानिवृति के बाद उन्होंने इसी सपने को साकार करने के लिए अप्रैल 2024 में सलोल के तरखाकड़ में सोलर पावर प्लांट स्थापित किया. सोलर पावर पॉलिसी के तहत उन्होंने सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था और उन्हें 1000केवी का सोलर प्लांट स्वीकृत हुआ.'

लीज पर जमीन लेकर लगाया प्लांट

देशराज ने बताया कि, 'सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए जमीन खाली पड़ी थी, पशुओं और जंगली जानवरों के कारण खेती भी इस जमीन पर घाटे का सौदा थी, जिसके चलते ही उन्होंने 50 कनाल जमीन लीज पर ली और इसकी एवज में लीज मनी से प्रतिवर्ष तीन लाख रुपये की आमदनी भूमि मालिकों को भी अब हो रही है.'

हर साल 50 से 55 लाख हो रही आमदनी

इस प्रोजेक्ट से होने वाले बिजली उत्पादन से देशराज को भी 50 से 55 लाख रूपये प्रतिवर्ष की आमदनी हो रही है. प्लांट में तैयार बिजली बेचने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है. इसके लिए बिजली विभाग के साथ अनुबंध होता है, उत्पादन का पैसा डायरेक्ट प्लांट मालिक के खाते में आ जाता है. उन्होंने बताया कि,'इस प्रोजेक्ट की लागत को वो आठ से दस वर्षों के भीतर पूरा कर लेंगे. इसके बाद आने वाले पंद्रह वर्षों में अच्छी आमदनी होगी और शुद्ध मुनाफा होगा. सौर उर्जा एक नवीकरणीय स्रोत है. ये पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अच्छा है. सोलर प्रोजेक्ट लगाने में समय भी कम लगता है. इससे तैयार बिजली का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है. युवाओं के लिए भी सौर उर्जा के प्रोजेक्ट आत्मनिर्भरता के लिए सार्थक सिद्ध होंगे.'

बिजली विभाग के साथ 25 साल का अनुबंध

रिटायर्ड प्रिंसिपल के बेटे अभिषेक मैकेनिकल इंजीनियर हैं. वो इस सोलर प्लांट की देखभाल करते हैं. उन्होंने बाताया कि, 'प्लांट में बिजली उत्पादन गर्मियों के दिनों में 90 से 95 प्रतिशत और सर्दियों में 55 से 60 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. बिजली विभाग के साथ 25 साल के लिए 3.75 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब अनुबंध किया है. प्लांट लगाने के लिए लोन भी बैंक से आसानी से उपलब्ध हो जाता है'

उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि सरकार की सोलर पॉलिसी के तहत कांगड़ा जिला में सौर उर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है. इसमें विभागीय अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि सौर उर्जा प्लांट स्थापित करने के इच्छुक लोगों का सकारात्मक सहयोग सुनिश्चित करें. सोलर उर्जा प्लांट में उत्पादित होने वाली बिजली को भी विद्युत विभाग के माध्यम से खरीदा जा रहा है, ताकि सोलर उर्जा प्लांट स्थापित करने वालों को लाभ मिल सके.

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