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सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से रुकेगा जवाड़ी बाइपास का भूस्खलन, मजदूरों की सुरक्षा भगवान भरोसे! - JAWADI BYPASS LANDSLIDE

जवाड़ी बाइपास भूस्खलन के ट्रीटमेंट में लगे मजूदरों की सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है, ग्राउंड रिपोर्ट ने खोली पोल

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2024, 2:51 PM IST

Updated : Dec 14, 2024, 3:27 PM IST

रुद्रप्रयाग: जवाड़ी बाइपास को सुरक्षित रखने के लिए सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. इस तकनीक से जहां भू-धंसाव को रोका जा सकेगा, वहीं बीजों का रोपण करने के बाद यह क्षेत्र हरा-भरा भी नजर आएगा. एनएच विभाग की मानें तो यह कार्य मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को यहां से आवागमन में सहूलियत मिलने के साथ ही यह क्षेत्र खूबसूरत नजर आएगा, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं.

सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक: रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग के जवाड़ी बाइपास में वन विभाग कार्यालय के ठीक नीचे हो रहे भूस्खलन व भू-धंसाव को रोकने को लेकर एनएच विभाग ने सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक अपनाई है. साल 2013 की आपदा के बाद से इस स्थान पर भूधंसाव हो रहा था. भू-धंसाव को रोकने को लेकर एनएच विभाग ने कई बार पुश्ता का निर्माण भी किया, लेकिन कई बार के निर्माण के बाद भी इस स्थान को सुरक्षित नहीं किया जा सका, जिस कारण यहां पर राजमार्ग संकरा होने के कारण देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु खासे परेशान थे. स्थिति ये थी कि यहां से दो वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया था.

सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक से रुकेगा जवाड़ी बाइपास का भूस्खलन (ETV Bharat)

लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है काम: समस्या को देखते हुए एनएच विभाग ने सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक के प्रयोग करने को लेकर 18 करोड़ का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा. धनराशि स्वीकृत होने के बाद कार्य को शुरू किया गया, जो अब तक लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है. सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक की विधि से इस क्षेत्र का ट्रीटमेंट होने से भूस्खलन व भू-धंसाव रुकने के साथ ही मिट्टी की परत मजबूत होगी.

जूट की पट्टी के ऊपर से हाइड्रोसिडिंग की जाएगी: इसके अलावा पूरे हिस्से में मिट्टी के भू-धंसाव को रोकने के लिए अलकनंदा नदी तल से चरणबद्ध गेविन वॉल का निर्माण कर स्लोप तैयार किया जा रहा है, जिस पर जूट की पट्टी बिछाई जा रही है. जूट की पट्टी के ऊपर से हाइड्रोसीडिंग की जाएगी. साथ ही पूरे प्रभावित क्षेत्र में रॉक एकरिंग भी की जा रही है.

सुरक्षा उपकरणों के बिना काम कर रहे मजदूर. (ETV Bharat)

पर्यावरण की दृष्टि से भी यह कार्य काफी महत्वपूर्ण: ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत जवाड़ी बाईपास पर सुरक्षात्मक कार्य चल रहा है. पर्यावरण की दृष्टि से भी यह कार्य काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यहां 160 मीटर लंबे और 70 मीटर ऊंचे भू-धंसाव क्षेत्र में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग करके क्षेत्र को हरा-भरा किया जाएगा. स्लोप तैयार कर ट्विस्टेड स्टीलनेस वायरिंग से मिट्टी के ऊपर जूट की परत बिछाई जा रही है, जिसके ऊपर हाइड्रोसिडिंग तकनीक से बीजों का रोपण किया जाएगा और फिर यहां एक हरा-भरा जंगल नजर आएगा.

यहां पर बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन निकास नालियां भी बनाई जा रही हैं. भूस्खलन व भू-धंसाव को रोकने के लिए चार स्तर पर रॉक एंकरिंग करते हुए गेविन वॉल भी बनाई जा रही हैं, जो नदी तल से मिट्टी के कटाव को रोकने का काम करेगी. आगामी मार्च तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

मजदूरों की सुरक्षा भगवान भरोसे (ETV Bharat)

प्रभारी अधिशासी अभियंता एनएच लोनिवि प्रेरणा जगुड़ी ने बताया कि इस विधि में प्रभावित क्षेत्र में अलग-अलग हिस्सों में तीन से चार मीटर गहरे छेद कर लोहे की रॉड डाली जा रही हैं. इसके बाद छेदों को कंक्रीट व सीमेंट के घोल से बंद किया जा रहा है, जिससे रॉड को मजबूती मिल रही है.

हरा-भरा हो जाएगा क्षेत्र: इसके बाद पूरे क्षेत्र में स्टील के तारों से बनी जाली लगाई जा रही है, जिससे सभी लोहे की छड़ों को एक-एक कर जोड़ा जा रहा है. यह जाली भूस्खलन व भू-धंसाव को रोकने का काम करेगी. साथ ही हाइड्रोसीडिंग विधि से यह क्षेत्र हरा-भरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि ट्रीटमेंट का कार्य 60 फीसदी से अधिक हो चुका है. आगामी मार्च तक कार्य पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

जवाड़ी बाइपास (ETV Bharat)

मजदूरों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही का आरोप: भूगोलवेत्ता प्रवीन रावत ने बताया कि जवाड़ी बाईपास में करोड़ों की लागत से सुरक्षात्मक कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन इन कार्यों में लगे मजदूरों की कोई सुरक्षा नहीं है. इनके लिए कार्यदायी संस्था की ओर से कोई भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किये गए हैं. मजदूर जान हथेली पर रखकर मजदूर इस क्षेत्र को सुरक्षित करने में जुटे हुए हैं.

प्रवीन रावत की मानें तो निर्माण कार्य में जुटे मजदूरों के लिए कठोर टोपी, सुरक्षा चश्मा, उपयुक्त जूते, दस्ताने, ईयर मफ़ या प्लग, उच्च दृश्यता वाले बनियान और सूट होने जरूरी है. इस स्थान पर कार्य करना कठिन है. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है.

वहीं मजूदरों की सुरक्षा को लेकर प्रभारी अधिशासी अभियंता एनएच लोनिवि प्रेरणा जगुड़ी ने कहा कि निर्माण कार्य में लगे मजदूरों की सुरक्षा को लेकर आरजीबी कंपनी को निर्देश दिए गए हैं. उन्हें आवश्यक उपकरणों को पहनकर ही कार्य करने को कहा गया है, जिससे वे अपनी सुरक्षा के साथ निर्माण कार्य को कर सकें.

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Last Updated : Dec 14, 2024, 3:27 PM IST

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