रुद्रप्रयाग: जवाड़ी बाइपास को सुरक्षित रखने के लिए सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. इस तकनीक से जहां भू-धंसाव को रोका जा सकेगा, वहीं बीजों का रोपण करने के बाद यह क्षेत्र हरा-भरा भी नजर आएगा. एनएच विभाग की मानें तो यह कार्य मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को यहां से आवागमन में सहूलियत मिलने के साथ ही यह क्षेत्र खूबसूरत नजर आएगा, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं.
सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक: रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग के जवाड़ी बाइपास में वन विभाग कार्यालय के ठीक नीचे हो रहे भूस्खलन व भू-धंसाव को रोकने को लेकर एनएच विभाग ने सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक अपनाई है. साल 2013 की आपदा के बाद से इस स्थान पर भूधंसाव हो रहा था. भू-धंसाव को रोकने को लेकर एनएच विभाग ने कई बार पुश्ता का निर्माण भी किया, लेकिन कई बार के निर्माण के बाद भी इस स्थान को सुरक्षित नहीं किया जा सका, जिस कारण यहां पर राजमार्ग संकरा होने के कारण देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु खासे परेशान थे. स्थिति ये थी कि यहां से दो वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया था.
लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है काम: समस्या को देखते हुए एनएच विभाग ने सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक के प्रयोग करने को लेकर 18 करोड़ का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा. धनराशि स्वीकृत होने के बाद कार्य को शुरू किया गया, जो अब तक लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है. सॉयल एंड रॉक एंकरिंग तकनीक की विधि से इस क्षेत्र का ट्रीटमेंट होने से भूस्खलन व भू-धंसाव रुकने के साथ ही मिट्टी की परत मजबूत होगी.
जूट की पट्टी के ऊपर से हाइड्रोसिडिंग की जाएगी: इसके अलावा पूरे हिस्से में मिट्टी के भू-धंसाव को रोकने के लिए अलकनंदा नदी तल से चरणबद्ध गेविन वॉल का निर्माण कर स्लोप तैयार किया जा रहा है, जिस पर जूट की पट्टी बिछाई जा रही है. जूट की पट्टी के ऊपर से हाइड्रोसीडिंग की जाएगी. साथ ही पूरे प्रभावित क्षेत्र में रॉक एकरिंग भी की जा रही है.
पर्यावरण की दृष्टि से भी यह कार्य काफी महत्वपूर्ण: ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत जवाड़ी बाईपास पर सुरक्षात्मक कार्य चल रहा है. पर्यावरण की दृष्टि से भी यह कार्य काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यहां 160 मीटर लंबे और 70 मीटर ऊंचे भू-धंसाव क्षेत्र में सॉयल एंड रॉक एंकरिंग करके क्षेत्र को हरा-भरा किया जाएगा. स्लोप तैयार कर ट्विस्टेड स्टीलनेस वायरिंग से मिट्टी के ऊपर जूट की परत बिछाई जा रही है, जिसके ऊपर हाइड्रोसिडिंग तकनीक से बीजों का रोपण किया जाएगा और फिर यहां एक हरा-भरा जंगल नजर आएगा.
यहां पर बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन निकास नालियां भी बनाई जा रही हैं. भूस्खलन व भू-धंसाव को रोकने के लिए चार स्तर पर रॉक एंकरिंग करते हुए गेविन वॉल भी बनाई जा रही हैं, जो नदी तल से मिट्टी के कटाव को रोकने का काम करेगी. आगामी मार्च तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है.