अररिया:बिहार के अररिया में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. जहां पुलिस एनएच 57 पर सिरसिया में बने पुलिस चेक पोस्ट पर प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली लोड ट्रक को जब्त किया. पुलिस ने मौके से तीन लोगों को हिरासत में लिया. वहीं ट्रक चालक मौके से भाग गया. पूछताछ में हिरासत में लिए गये तस्कर ने बताया कि ये मछली को पश्चिम बंगाल के 24 परगना से उत्तर प्रदेश ले जा रहे थे. जब्त किए गए मांगुर मछली की कीमत करीब करोड़ रुपये आंकी जा रही है.
अररिया में मांगुर मछली की तस्करी:दरअसल, गुप्त सूचना के आधार पर अररिया एसपी को सूचना मिली थी कि तीन-चार ट्रक में प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली भरी गाड़ी पूर्णिया की ओर से मुजफ्फरपुर में प्रवेश कर रही है. फारबिसगंज अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी खुशरू सिराज के नेतृत्व में थानाध्यक्ष फारबिसगंज और उनकी टीम कार्रवाई करते हुए एक ट्रक नंबर WB 25G 8116 को पकड़ा गया. हालांकि ट्रक चालक पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब हो गया. परंतु उप चालक और दो तस्कर को पुलिस के द्वारा हिरासत में लिया गया.
तीनों तस्कर बिहार के निवासी: गिरफ्तार तीनों तस्कर बिहार के रहने वाले हैं. गिरफ्तार उप चालक समा कुमार गया, विनोद पासवान नवादा और मोहन सहनी मुजफ्फरपुर का रहने वाला है. ट्रक पर लदे मांगुर मछली को जब्त कर ट्रक के उपचालक और दोनों तस्करों के खिलाफ फारबिसगंज थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है.
एक करोड़ की मांगुर मछली जब्त: एसपी अमित रंजन ने बताया कि "ट्रक में लदा मछली एक प्रतिबंधित प्रजाति का मांगुर मछली है. जब्त किए गए मांगुर मछली की कीमत करीब करोड़ रुपये है. ट्रक पर लदे मांगुर गछली की जांच के लिए जिला मत्स्य पदाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है."टीम के द्वारा भी जांच के क्रम में बरामद ट्रक पर लदे मछली को प्रतिबंधित मांगुर प्रजाति का मछली पाया गया है. ट्रक के उपचालक और दोनों तस्कर को गिरफ्तार कर केस दर्ज कर लिया गया है.
थाई मांगुर मछली खाने से होती है बीमारी :यह मछलियां तीन माह में दो से 10 किलोग्राम वजन की हो जाती हैं. इन मछलियों के अंदर घातक हेवी मेटल्स जिसमें आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है. थाई मांगुर से प्रमुख रूप से गंभीर बीमारियां जिसमें हृदय संबंधी बीमारी के साथ न्यूरोलॉजिकल, यूरोलॉजिकल, लीवर की समस्या, पेट एवं प्रजनन संबंधी बीमारियां और कैंसर जैसी घातक बीमारी अधिक हो रही है. इसका पालन करने से स्थानीय मछलियों को भी क्षति पहुंचती है. साथ ही जलीय पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को खतरे की संभावना भी रहती है.