गया :गया में धुएं वाले बिस्किट की काफी मांग हो रही है. स्मोक बिस्किट खाने के लिए हर उम्र के लोग पहुंच रहे हैं. बच्चे हों या बड़े या महिला, इसका आनंद लेने से कोई पीछे नहीं रह रहा. स्मोक बिस्किट खाते ही मुंह से धुआं निकलना शुरू हो जाता है. बिस्किट खाते ही जैसे ही धुआं निकलना शुरू होता है, तो लोग इसका आनंद उठाना शुरू करते हैं.
गया में धुआं वाला बिस्किट :धुएं वाला बिस्किट खाने वाले को देखकर हंसी नहीं रूक पाती है. ऐसे में लोग परिवार के साथ पहुंचकर इसका आनंद ले रहे हैं. अब इस धुएं वाले बिस्कुट की डिमांड शादी-विवाह-बर्थडे, मेला व अन्य फंक्शन तक तक फैला है. धुएं वाला बिस्किट एकदम से गया के लिए नया है और यह ऐसा है जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है.
यूट्यूब से मिला आइडिया तो बना आत्मनिर्भर :गया के अभिषेक कुमार ने स्मोक बिस्किट यानी धुएं वाला बिस्किट का स्टॉल शुरू किया है. गया में परिवार के साथ लोग इसका मजा ले रहे हैं. अभिषेक को यूट्यूब से इसका आईडिया मिला था. आइडिया मिलने पर उसे आजमाया और आज आत्मनिर्भर हो गया है. अब यह दूसरों को भी रोजगार दे रहा है. धुएं वाला बिस्किट गया में काफी चर्चा में आ गया है.
नाइट्रोजन गैस की लिक्विड में डुबोकर देता है बिस्किट :अभिषेक बताता है कि बिस्किट सामान्य होता है. सिर्फ नाइट्रोजन गैस के लिक्विड में बिस्किट को डुबाते हैं. यह ठंडा होता है, लेकिन उसे कम ठंडा करते हैं और ग्राहक को देते हैं. नाइट्रोजन गैस के लिक्विड में डुबोकर दिए गए बिस्किट को जब लोग खाते हैं, तो उनके मुंह से धुआं निकलना शुरू हो जाता है. खाने पर थोड़ा ठंडा लगता है. इसका लुत्फ लोग इसलिए उठाते हैं, क्योंकि यह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.
''बेसिकली लिक्विड नाइट्रोजन होता है जिसमें बिस्कुट डूबा दिया जाता है. इसे लोग खाकर मजे लेते हैं. यह क्रायोजेनिक होता है. -237 डिग्री टेंपरेचर तक यह चला जाता है. नाइट्रोजन रिएक्ट नहीं करता, शरीर पर असर नहीं करता, लेकिन ठंड से जो नुकसान होते हैं वह हो सकता है. इसके उपयोग से मुंह का टिशु, नाक का टिशु फ्रास्टबिट (बर्फ से जलना) हो सकता है. धुआं जब निकलता है, तो उस प्रक्रिया को नाइट्रोपफ कहते हैं. मुंह का टिशु फ्रॉस्टबिट होने से बचने के लिए इसका प्रयोग न करें तो अच्छा है.''- डॉक्टर अमित कुमार सिंह, प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय डिपार्मेंट आफ बॉटनी