सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर उत्तर फतेहपुर गिरमिशानी गांव में स्थित भगवान शिव का दक्षिण के रामेश्वर से भी प्राचीन व दुर्लभ शिवलिंग है, जिसकी स्थापना मिथिला नरेश राजा जनक द्वारा की गई थी. इस मंदिर की देश-विदेश में पौराणिक मान्यता है, लेकिन आज यह मंदिर सरकार व प्रशासन की अनदेखी के कारण उपेक्षा का शिकार हो रहा है.
हलेश्वर महादेव उपेक्षा का शिकार: हलेश्वर महादेव में हजारों की संख्या में दर्शन के लिए पर्यटक आते हैं, लेकिन अभी हलेश्वर महादेव को जो स्थान मिलना चाहिए, वह अभी तक नहीं मिला है. हालांकि तत्कालीन डीएम अरुण भूषण प्रसाद ने जब हलेश्वर महादेव पर जल चढ़ाया था और उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई थी, तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था.
भक्तों के लिए मंदिर में सुविधाओं का अभाव:यहां के स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है. उनका कहना है कि'हजारों की संख्या में पर्यटक महादेव के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी महादेव पूर्ण करते हैं, लेकिन यहां दर्शनार्थियों के लिए सुविधाओं का घोर अभाव है. कोई भी संबंधित पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते हैं.'
क्या है हलेश्वर नाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता ?:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 12 वर्षों तक पूरे मिथिला में अकाल पड़ा था, पानी के लिए लोगों में त्राहिमाम मच गया था तब राजा जनक के राज्य जनकपुर में ऋषि मुनियों के कहने पर अकाल से मुक्ति के लिए हलेश्वरी यज्ञ की थी. यज्ञ शुरू करने से पूर्व राजा जनक जनकपुर से गिरमिशानी गांव पहुंचे और यहां अद्भुत शिवलिंग की स्थापना की. राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके बाद माता सीता का जन्म हुआ और खूब बारिश हुई.