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हर दिन 500 भूखे लोगों का पेट भर रहीं हैं अमृता, इस इंजीनियर बेटी की कहानी के हो जाएंगे कायल - SAI KI RASOI

पटना की एक इंजीनियर महिला 6 साल से गरीब बच्चों को भोजन करने का काम कर रही है, जानिए गरीबों के इस ‘मसीहा’ की कहानी-

पटना में गरीब बच्चों को भोजन
पटना में गरीब बच्चों को भोजन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 9 hours ago

पटना: कुछ लोग अपने नाम से, तो कुछ अपने काम से पहचाने जाते हैं. राजधानी पटना की एक इंजीनियर महिला ने गरीब बच्चों को मुफ्त भोजन करने का बीड़ा उठाया. पिछले 6 साल से लगातार गरीब बच्चों को भोजन करने का काम कर रहीं हैं. पिता बेटी को डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन असफलता हाथ लगी तो एनवायरमेंटल साइंस में डिग्री हासिल करने के बाद नौकरी के बजाय सेवा को माध्यम बनाया और बच्चों की मदद करने की ठानी.

6 साल से करा रहीं भूखे बच्चों को खाना : हम बात कर रहे पटना की इंजीनियर अमृता सिंह की, जो पेशे से एक पर्यावरण वैज्ञानिक हैं. पिछले छह सालों से गरीबों को मुफ्त भोजन देने का कार्य कर रही हैं. अमृता भूखे बच्चों के लिए अपनी ज़िंदगी को समर्पित कर दिया है. अमृता सिंह का दिल तब बदला जब उन्होंने गरीब बच्चों को भूखा देखा. उनकी शिक्षा के बाद जहां हर कोई नौकरी की ओर बढ़ता है, अमृता ने सेवा का मार्ग अपनाया.

पटना में साई की रसोई किचन (ETV Bharat)

5 लाख से अधिक लोगों को मिल चुका है भोजन : अमृता का हर दिन इस चिंता के साथ शुरू होता है कि आज गरीब बच्चों को क्या भोजन कराया जाएगा और इसकी व्यवस्था कहां से होगी. कई बार सुबह तक पैसों का इंतजाम नहीं हो पाता, लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई दाता सामने आ जाता है और भोजन की व्यवस्था हो जाती है. अमृता का यह प्रयास अब तक 5 लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंच चुका है. उनके लिए यह किसी मिशन से कम नहीं है

2018 से खिला रहीं खाना: पटना के कंकड़बाग क्षेत्र के मलाई पकरी में वह सैकड़ों बच्चों को पोषण से भरपूर भोजन वितरित करती हैं, जो उन्हें खुशी और संतुष्टि से भर देता है. 2018 से उन्होंने प्रतिदिन 200 जरूरतमंदों को पोषक भोजन देने का संकल्प लिया. उनका ये सिलसिला पिछले छह साल से निरंतर जारी है. अमृता दिन-रात इस प्रयास में लगी रहती हैं कि किसी भी हालत में गरीब बच्चों, विकलांगों, और रोगियों के परिजनों को भोजन मिल सके.

गरीब बच्चों को भोजन
गरीब बच्चों को भोजन (ETV Bharat)

रोगियों के परिजनों को भी मिलती है मदद : पटना के पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में जहां रोगियों को भोजन मिल जाता है, वहीं उनके परिजनों को भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है. अमृता इस स्थिति को समझती हैं और महज ₹5 में रोगियों के परिजनों को भोजन उपलब्ध कराती हैं. इसके अलावा, वह पटना विश्वविद्यालय के विकलांग छात्रों को भी रात का भोजन प्रदान करती हैं.

"मेरे पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं, लेकिन जब मैं डॉक्टर नहीं बन पाई, तो मैंने लोगों की सेवा करने का तरीका अपनाया. देश में हर दिन 20 करोड़ लोग भूखे सोते हैं, यह सोचकर मैंने गरीबों की मदद करने का निर्णय लिया." - अमृता सिंह

अमृता सिंह और पल्लवी
अमृता सिंह और पल्लवी (ETV Bharat)

पल्लवी का साथ और अमृता की प्रेरणा : अमृता के इस अभियान में उनकी सहयोगी पल्लवी भी मजबूती से खड़ी हैं. पल्लवी कहती हैं, "हम लोगों को गरीबों की मदद करने में सुकून मिलता है. हर रोज 200 से अधिक लोगों को भोजन कराने में हमें आंतरिक संतुष्टि मिलती है. कई बार पैसे की कमी होती है, लेकिन जैसे ही सुबह का समय आता है, कोई न कोई मदद करने वाला सामने आ जाता है और हम अपने अभियान को आगे बढ़ा लेते हैं."

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6 साल से करा रहीं भूखे बच्चों को खाना : हम बात कर रहे पटना की इंजीनियर अमृता सिंह की, जो पेशे से एक पर्यावरण वैज्ञानिक हैं. पिछले छह सालों से गरीबों को मुफ्त भोजन देने का कार्य कर रही हैं. अमृता भूखे बच्चों के लिए अपनी ज़िंदगी को समर्पित कर दिया है. अमृता सिंह का दिल तब बदला जब उन्होंने गरीब बच्चों को भूखा देखा. उनकी शिक्षा के बाद जहां हर कोई नौकरी की ओर बढ़ता है, अमृता ने सेवा का मार्ग अपनाया.

पटना में साई की रसोई किचन (ETV Bharat)

5 लाख से अधिक लोगों को मिल चुका है भोजन : अमृता का हर दिन इस चिंता के साथ शुरू होता है कि आज गरीब बच्चों को क्या भोजन कराया जाएगा और इसकी व्यवस्था कहां से होगी. कई बार सुबह तक पैसों का इंतजाम नहीं हो पाता, लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई दाता सामने आ जाता है और भोजन की व्यवस्था हो जाती है. अमृता का यह प्रयास अब तक 5 लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंच चुका है. उनके लिए यह किसी मिशन से कम नहीं है

2018 से खिला रहीं खाना: पटना के कंकड़बाग क्षेत्र के मलाई पकरी में वह सैकड़ों बच्चों को पोषण से भरपूर भोजन वितरित करती हैं, जो उन्हें खुशी और संतुष्टि से भर देता है. 2018 से उन्होंने प्रतिदिन 200 जरूरतमंदों को पोषक भोजन देने का संकल्प लिया. उनका ये सिलसिला पिछले छह साल से निरंतर जारी है. अमृता दिन-रात इस प्रयास में लगी रहती हैं कि किसी भी हालत में गरीब बच्चों, विकलांगों, और रोगियों के परिजनों को भोजन मिल सके.

गरीब बच्चों को भोजन
गरीब बच्चों को भोजन (ETV Bharat)

रोगियों के परिजनों को भी मिलती है मदद : पटना के पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में जहां रोगियों को भोजन मिल जाता है, वहीं उनके परिजनों को भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है. अमृता इस स्थिति को समझती हैं और महज ₹5 में रोगियों के परिजनों को भोजन उपलब्ध कराती हैं. इसके अलावा, वह पटना विश्वविद्यालय के विकलांग छात्रों को भी रात का भोजन प्रदान करती हैं.

"मेरे पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं, लेकिन जब मैं डॉक्टर नहीं बन पाई, तो मैंने लोगों की सेवा करने का तरीका अपनाया. देश में हर दिन 20 करोड़ लोग भूखे सोते हैं, यह सोचकर मैंने गरीबों की मदद करने का निर्णय लिया." - अमृता सिंह

अमृता सिंह और पल्लवी
अमृता सिंह और पल्लवी (ETV Bharat)

पल्लवी का साथ और अमृता की प्रेरणा : अमृता के इस अभियान में उनकी सहयोगी पल्लवी भी मजबूती से खड़ी हैं. पल्लवी कहती हैं, "हम लोगों को गरीबों की मदद करने में सुकून मिलता है. हर रोज 200 से अधिक लोगों को भोजन कराने में हमें आंतरिक संतुष्टि मिलती है. कई बार पैसे की कमी होती है, लेकिन जैसे ही सुबह का समय आता है, कोई न कोई मदद करने वाला सामने आ जाता है और हम अपने अभियान को आगे बढ़ा लेते हैं."

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