देवघर:जिले के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर का जितना महत्व सावन में है उतना ही दुर्गा पूजा में भी है. क्योंकि यह शिव मंदिर के साथ-साथ माता का मंदिर भी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार बैद्यनाथ धाम मंदिर में ही माता सती का हृदय गिरा था. तब से यह मंदिर शिव धाम के साथ-साथ शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि अगर कोई भक्त दुर्गा पूजा के दौरान भगवान भोले के साथ-साथ माता पार्वती को भी बैद्यनाथ धाम मंदिर में जल चढ़ाता है तो उस भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में हजारों की संख्या में भक्त बाबा धाम पहुंचते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान कुछ ऐसे भक्त भी आते हैं जो दंडवत प्रणाम करते हुए बाबा धाम पहुंचते हैं.
दरअसल, सुल्तानगंज से जल भरने के बाद भक्त 100 किलोमीटर तक दंडवत प्रणाम करते हुए बाबा दरबार पहुंचते हैं. ऐसे भक्तों को बाबा मंदिर पहुंचने में एक महीना या उससे अधिक समय लग जाता है. सुल्तानगंज से दंडवत प्रणाम कर बाबा धाम पहुंचे दरभंगा के एक भक्त ने बताया कि वे पिछले 45 वर्षों से इसी तरह बाबा धाम पहुंच रहे हैं. 45 वर्षों में उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी या दर्द नहीं हुआ है.
इसी तरह दंडवत प्रणाम कर एक माह 12 दिन में बाबा धाम पहुंचे मुंगेर के भक्त बालमुकुंद सिंह कहते हैं कि वे हर साल पैदल आते थे. लेकिन इस साल उनकी इच्छा दंडवत प्रणाम कर बाबा के दरबार पहुंचने की थी. वहीं देवघर मंदिर में रहने वाले पंडों ने बताया कि भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में जितनी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, बाबा से उन्हें उतना ही अधिक आशीर्वाद प्राप्त होता है. पंडा बताते हैं कि दंडवत प्रणाम करने की पुरानी परंपरा है. दंडवत प्रणाम कर मंदिर जाने का पुण्य एक यज्ञ के बराबर होता है. दंडवत प्रणाम करने का मतलब है कि व्यक्ति कर्म और वचन से भगवान को समर्पित हो जाता है.