पलामू: नक्सल प्रभावित इलाके में मौजूद पिकेट की तस्वीर बदलने वाली है. पिकेट से नक्सल विरोधी अभियान का संचालन किया जाता है, लेकिन अब पिकेट से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. पलामू के इलाके में 2007-08 से पिकेट की स्थापना की शुरुआत हुई थी. पिकेट से कई नक्सल विरोधी अभियान चलाये गये.
अप्रैल 2024 में केंद्र की सरकार ने पलामू को नक्सली मुक्त जिलों की सूची बाहर कर दिया है. यहां कई ऐसे पिकेट हैं जहां से जवानों को क्लोज भी किया गया है. अब पिकेट के माध्यम से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. कुछ दिनों पहले झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर की नेतृत्व में पलामू के नक्सल प्रभावित इलाके में मौजूद चेतमा पिकेट में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसी कार्यक्रम में पिकेट के माध्यम से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करने की योजना तैयार की गयी.
पिकेट में एक दिन का प्रशासनिक कार्य किया जाएगा, सुदूरवर्ती इलाके में अधिकारी एक दिन बैठेंगे और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करेंगे- शशिरंजन, डीसी पलामू
महीने में एक दिन पिकेट में लगेगा कैंप, ग्रामीणों की सुनी जाएगी समस्याएं
पलामू के विभिन्न इलाकों में 17 पुलिस पिकेट मौजूद हैं. हर महीने में एक दिन स्पेशल कैंप का आयोजन किया जाएगा और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. पिकेट में एक दिन अंचल अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ प्रशासन का सारा तंत्र मौजूद रहेगा और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना जाएगा. अधिकारी ऑन स्पॉट ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करेंगे.
जो भी समस्या पुलिस के स्तर की होगी, उसका समाधान पिकेट के माध्यम से किया जाएगा. ग्रामीण पिकेट और थाना में जाकर अपनी समस्याओं को बता सकते हैं- रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू
कई पिकेट को ओपी में भी अपग्रेड करने का है प्रस्ताव
नक्सली इलाके में मौजूद कई पिकेट को पुलिस आउटपोस्ट (ओपी) में भी अपग्रेड करने की योजना है. पिकेट से सिर्फ नक्सल विरोधी अभियान का संचालन किया जाता है. ओपी बन जाने से ग्रामीणों की स्थानीय स्तर पर ही समस्या का समाधान किया जाएगा और उनके मुकदमों को दर्ज किया जाएगा. नक्सली इलाके के ग्रामीणों को अभी भी मुकदमे दर्ज करवाने के लिए कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है.
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