बोकारो:झारखंड सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने और बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके तहत स्कूल ऑफ एक्सीलेंस सहित कई बेहतरीन कदम उठाए गए हैं, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी सरकार की कोशिशों पर पानी फेर रही है.
कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है और बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. बोकारो में भी ऐसे कई प्राथमिक और मिडिल स्कूल हैं, जहां एक शिक्षक के भरोसे ही पठन-पाठन का काम चल रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने बोकारो में ऐसे ही दो स्कूल आदर्श प्राथमिक विद्यालय भवानीपुर चास और उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामडीह की पड़ताल की है.
बोकारो के कई स्कूलों में मात्र एक शिक्षक
ईटीवी भारत की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि बोकारो के दो दर्जन से अधिक ऐसे प्राथमिक और मध्य विद्यालय हैं, जहां मात्र एक शिक्षक ही पदस्थापित हैं. इस कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है. इन्हीं शिक्षकों पर पढ़ाई, विभागीय कार्य, गैर शैक्षणिक कार्य का दारोमदार है. ऐसे में प्रश्न यह है कि इस परिस्थिति में बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा?
शिक्षकों ने साझा की समस्या
पड़ताल के दौरान एकल शिक्षक वाले विद्यालयों का संचालन करने वाले शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय में मात्र एक शिक्षक रहने से काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकों ने बताया कि एक तो विभाग को प्रतिदिन का आंकड़ा भेजना, उपस्थिति विवरणी भेजना, एमडीएम बनवाना और उसके साथ-साथ पठन-पाठन का कार्य करना. इसके अलावा गैर शैक्षणिक कार्यों में भी लगा दिए जाने से समस्या बढ़ जाती है.
शिक्षकों को छुट्टी लेने में भी परेशानी
वहीं जिन स्कूलों में एक ही शिक्षक हैं वहां के शिक्षकों को छुट्टी लेने में भी काफी परेशानी होती है. छुट्टी लेने से दो दिन पूर्व कार्यालय को सूचना देनी होती है. तब विभाग की ओर से आसपास के किसी अन्य स्कूल से शिक्षक की प्रतिनियुक्ति उक्त स्कूल में छुट्टी की अवधि तक की जाती है. इसके बाद एकल स्कूल वाले शिक्षकों को छुट्टी मिल पाती है. वहीं यदि अचानक जरूर काम से शिक्षकों को छुट्टी लेनी पड़ गई तो स्कूल के अध्यक्ष या अन्य कोई सदस्य स्कूल खोलते हैं.
दो-तीन क्लास को मर्ज कर स्कूल में पढ़ाई