काशीपुर:सायरा बानो के संघर्ष के सफर का फायदा अब मुस्लिम समुदाय की पीड़ित महिलाओं को अब मिलेगा. मुस्लिम महिलाएं अपने पति से गुजर बसर के लिए भत्ते की मांग कर सकती हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. जिस पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष और मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर खुशी जाहिर की है.
दरअसल, सायरा बानो ने अपने तीन तलाक को लेकर साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिट दायर की थी. जिस सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद साल 2018 में तीन तलाक को लेकर कानून बना और तलाक देने वालों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का प्रावधान बनाया गया.
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम तलाकशुदा महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं. इस पर सायरा बानो ने कहा कि इससे देश के मुस्लिम महिलाओं को हक और अधिकार मिल सकेगा. अब मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होगा.
सायरा बानो को पति ने दिया था तीन तलाक:सायरा बानो ने बताया कि प्रयागराज निवासी प्रापर्टी डीलर रिजवान अहमद से साल 2002 में उनकी शादी हुई थी. साल 2015 में पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया था. साल 2016 सायरा बानो ने तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सायरा बानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक माना.