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टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ की बेईमानी! दिग्गज भारतीय का कन्कशन सब्स्टीट्यूट पर बड़ा बयान - IND VS ENG CONCUSSION SUBSTITUTE

इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टी20 मैच में हर्षित राणा के कन्कशन सब्स्टीट्यूट विवाद पर अब सुनील गावस्कर ने अपनी राय दी है. पढे़ं पूरी खबर.

Harshit Rana
हर्षित राणा (IANS Photo)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Feb 2, 2025, 4:14 PM IST

नई दिल्ली : भारत और इंग्लैंड के बीच शनिवार को पुणे में खेले गए चौथे टी20 मैच में कन्कशन सब्स्टीट्यूट के रूप में हर्षित राणा को खिलाने का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी इस विवाद को लेकर अपनी राय रखी है. गावस्कर ने कहा है कि चौथे टी20 मैच में शिवम दुबे की जगह हर्षित राणा को कनकशन (सिर में चोट) के कारण सब्स्टीट्यूट के रूप में लेना सही नहीं था.

राणा नहीं थे दुबे के लाइक-फॉर-लाइक रिप्लेसमेंट
पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने मिड-डे के लिए लिखे अपने कॉलम में कहा, 'दुबे चोट लगने के बाद भी आखिरी तक बल्लेबाजी करते रहे, तो इसका मतलब है कि वे गंभीर रूप से घायल नहीं थे. ऐसे में कन्कशन सब्स्टीट्यूट देना ही गलत था. अगर उन्हें कोई और चोट लगी होती, तो भी सिर्फ फील्डिंग के लिए सब्स्टीट्यूट मिलता, गेंदबाज नहीं'.

उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'अगर दुबे और राणा में कोई समानता थी, तो सिर्फ उनकी लंबाई और फील्डिंग का स्तर!' उन्होंने कहा कि इंग्लैंड को इस फैसले से ठगा हुआ महसूस करने का पूरा हक है.

हर्षित राणा बने थे कन्कशन सब्स्टीट्यूट
बता दें कि, शिवम दुबे को भारत की पारी के आखिरी ओवर में बल्लेबाजी के दौरान सिर पर गेंद लगी थी और जिसके बाद वह फील्डिंग करने के लिए मैदान पर नहीं उतरे थे. उनकी जगह हर्षित राणा, जो एक तेज गेंदबाज हैं, को टीम में शामिल किया गया था.

राणा ने अपने डेब्यू मैच में 3 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया, जिससे भारत ने 182 रन का बचाव करते हुए 15 रनों से मैच के साथ सीरीज भी अपने नाम कर ली. लेकिन इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर ने इस रिप्लेसमेंट पर अपनी आपत्ति जताई थी.

कन्कशन सब्स्टीट्यूट को बताया खराब नियम
आईसीसी के नियम 1.2.7 के अनुसार, कन्कशन रिप्लेसमेंट वही खिलाड़ी होना चाहिए, जो हटाए गए खिलाड़ी की भूमिका निभा सके और टीम को अतिरिक्त फायदा न मिले.

गावस्कर ने इसे क्रिकेट के सबसे खराब नियमों में से एक बताया. उन्होंने कहा, 'अगर कोई बल्लेबाज बाउंसर नहीं खेल सकता और सिर पर चोट लगवा लेता है, तो उसे खेलने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर कोई खिलाड़ी उंगली या कलाई तोड़ ले, तो उसे सब्स्टीट्यूट क्यों नहीं मिलता? फिर सिर पर चोट लगने वाले को क्यों मिले?'.

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नई दिल्ली : भारत और इंग्लैंड के बीच शनिवार को पुणे में खेले गए चौथे टी20 मैच में कन्कशन सब्स्टीट्यूट के रूप में हर्षित राणा को खिलाने का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी इस विवाद को लेकर अपनी राय रखी है. गावस्कर ने कहा है कि चौथे टी20 मैच में शिवम दुबे की जगह हर्षित राणा को कनकशन (सिर में चोट) के कारण सब्स्टीट्यूट के रूप में लेना सही नहीं था.

राणा नहीं थे दुबे के लाइक-फॉर-लाइक रिप्लेसमेंट
पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने मिड-डे के लिए लिखे अपने कॉलम में कहा, 'दुबे चोट लगने के बाद भी आखिरी तक बल्लेबाजी करते रहे, तो इसका मतलब है कि वे गंभीर रूप से घायल नहीं थे. ऐसे में कन्कशन सब्स्टीट्यूट देना ही गलत था. अगर उन्हें कोई और चोट लगी होती, तो भी सिर्फ फील्डिंग के लिए सब्स्टीट्यूट मिलता, गेंदबाज नहीं'.

उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'अगर दुबे और राणा में कोई समानता थी, तो सिर्फ उनकी लंबाई और फील्डिंग का स्तर!' उन्होंने कहा कि इंग्लैंड को इस फैसले से ठगा हुआ महसूस करने का पूरा हक है.

हर्षित राणा बने थे कन्कशन सब्स्टीट्यूट
बता दें कि, शिवम दुबे को भारत की पारी के आखिरी ओवर में बल्लेबाजी के दौरान सिर पर गेंद लगी थी और जिसके बाद वह फील्डिंग करने के लिए मैदान पर नहीं उतरे थे. उनकी जगह हर्षित राणा, जो एक तेज गेंदबाज हैं, को टीम में शामिल किया गया था.

राणा ने अपने डेब्यू मैच में 3 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया, जिससे भारत ने 182 रन का बचाव करते हुए 15 रनों से मैच के साथ सीरीज भी अपने नाम कर ली. लेकिन इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर ने इस रिप्लेसमेंट पर अपनी आपत्ति जताई थी.

कन्कशन सब्स्टीट्यूट को बताया खराब नियम
आईसीसी के नियम 1.2.7 के अनुसार, कन्कशन रिप्लेसमेंट वही खिलाड़ी होना चाहिए, जो हटाए गए खिलाड़ी की भूमिका निभा सके और टीम को अतिरिक्त फायदा न मिले.

गावस्कर ने इसे क्रिकेट के सबसे खराब नियमों में से एक बताया. उन्होंने कहा, 'अगर कोई बल्लेबाज बाउंसर नहीं खेल सकता और सिर पर चोट लगवा लेता है, तो उसे खेलने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर कोई खिलाड़ी उंगली या कलाई तोड़ ले, तो उसे सब्स्टीट्यूट क्यों नहीं मिलता? फिर सिर पर चोट लगने वाले को क्यों मिले?'.

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