पटना:''अरे ओ टैक्सी वाले भैया, दरभंगा जाना है. चलिएगा क्या?. 4 हजार रुपया लगेगा. इतना तो मुझे दिल्ली से पटना आने में नहीं लगा.'' बिहार के पटना एयरपोर्ट या फिर रेलवे स्टेशन पर अगर आप उतरते हैं और दूसरे किसी शहर दरभंगा, सुपौल या फिर कटिहार आपको जाना है. आप टैक्सी बुक करते हैं, तो आपके साथ भी यकीनन ऐसा ही कुछ होता होगा. लेकिन यह सब अब नहीं होगा. रोडबेज ने इसका हल ढूंढ निकाला है. ये कैब कंपनी अब आपसे एक तरफ का ही भाड़ा लेगी. लेकिन आप सोच रहे होंगे कंपनी को तो नुकसान उठाना पड़ेगा.
शार्क टैंक इंडिया सीजन 3 में दिलखुश कुमार :दरअसल, शार्क टैंक इंडिया सीजन 3 के तीसरे एपिसोड में 12वीं पास दिलखुश कुमार अपने स्टार्टअप को लेकर पहुंचे थे. कंपनी के फाउंडर दिलखुश ने इससे जुड़े कई वीडियो ट्वीट किए. दिलखुश शार्क टैंक इंडिया के जजों से कहते हैं कि उनकी कंपनी ''रोडवेज बिहार में ऑउटस्टेशन टैक्सी सर्विस प्रोवाइड करती है. बिहार में दूसरी कंपनिया भी है, लेकिन रोडबेज कस्टमर से सिर्फ एक साइड का किराया लेती है.''
शार्क्स को भाया दिलखुश का 'बिहारी जुगाड़' : शार्क टैंक के मंच पर दिलखुश कुमार कहते है कि वे एक साल में 400 करोड़ का धंधा कर लेंगे. इस पर जज और शादी डॉट कॉम के संस्थापक अनुपम मित्तल पूछते है कि यदि आप एक साल में 400 करोड़ का कारोबार कर रहे हैं तो इसमें से गूगल मैप्स को कितना देंगे. तो दिलखुश का जवाब होता है कि उन्होंने इसका बिहारी जुगाड़ निकाल लिया है. एक जज ने उनके पूछा कि आपने कंपनी का एप कैसे बनाया तो दिलखुश ने कहा कि यूट्यूब से उन्होंने सब कुछ सीखा और खुद इसे डिजाइन किया.
'टैक्सी ड्राइवर की परेशानियों को जिया है' :आगे बाकी के जज दिलखुश पर सवालों की बौछार करते है और पूछते है कि आपने भले ही ओला और उबर जैसी कंपनी को कॉपी नहीं किया लेकिन वो तो आपके आइडिया और डिजाइन को कॉपी कर सकते है. इस पर दिलखुश ने कहा कि ''हमने सड़क पर टैक्सी चलाया है, टैक्सी वाले को अंदर से जाना, उनकी परेशानियों को जिया है. इसलिए उनका समाधान हमसे बेहतर और कोई नहीं निकाल सकता है.''
खुश हुए शार्क्स और मिले ये ऑफर : आखिरकार शार्क्स अनुपम मित्तल, अमन गुप्ता और विनिता पिच से प्रभावित होते है. और उन्हें अच्छा ऑफर देते है. बता दें कि शार्क टैंक सीजन 3 का यह एपिसोड 24 जनवरी को रात 10 बजे प्रसारित हुआ. दिलखुश कुमार शार्क टैंक में अपने सहयोगी सिर्दार्थ शंकर झा के साथ पहुंचे थे. दिलखुश ने ट्वीट कर ओयो रूम्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल और शार्क टैंक की जज विनीता सिंह को धन्यवाद कहा.
दिलखुश ने ट्वीट कर लिखा- ''हम पैसा लाने नहीं शार्क्स को लाने गए थे, पैसे तो आज नहीं तो कल हम बना ही लेंगे. बिहार को बदलने के लिए मुझे अनुभवी लोगों का प्यार और आशीर्वाद चाहिए था. मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि Entrepreneur के क्षेत्र में जिनको अपना आदर्श मानता था, उन्होंने ही अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. मेरे लिए इससे बड़ी बात नहीं हो सकती है. हमारे बिज़नेस को नई उचाई तक पहुंचाने के सफ़र पर जुड़ गए हैं मेरे आदर्श @riteshagar और @vineetasng मैम बिहार के स्टार्टअप पर आपने भरोसा किया इसके लिए पूरे बिहार की तरफ़ से आपका बहुत बहुत धन्यवाद.''
'अब छोटे-छोटे शहरों में बड़े-बड़े बिजनेस' : ओयो रूम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने ट्वीट कर दिलखुश की तारीफ की. उन्होने लिखा- ''पहले बड़े-बड़े शहरों में छोटी छोटी बातें होती थीं. अब छोटे-छोटे शहरों में बड़े-बड़े बिजनेस बन रहे हैं! भारत का उद्यमिता परिदृश्य परिपक्व हो गया है और रोडबेज जैसे स्टार्टअप उस बदलाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं. कोई भी विचार बहुत महत्वाकांक्षी नहीं होता, कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से आए हैं, जब तक आपका ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि आप कहां जा रहे हैं.''
'रिक्शा चलाया, सब्जी बेची.. लेकिन हारा नहीं' :आज दिलखुश कुमार पर यह बात सटीक बैठती है कि इंसान अगर कुछ ठान ले तो क्या कुछ नहीं कर सकता है. दिलखुश कुमार कहते हैं कि कभी मैंने दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाया, पटना में सब्जी तक बेची. जब एक कंपनी में इंटरव्यू देने गया तो मुझे चपरासी तक की नौकरी नहीं मिली, लेकिन मैंने हार नहीं मानी, कुछ करने की ठानी और आज मेरे पास करोड़ों की कंपनी है.