बीकानेर.नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को पूजा जाता है. मान्यता है देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है. पहाड़ों पर रहने वाली और सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी को ही मां स्कंदमाता कहते हैं. मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.
भगवान कार्तिकेय की मां है स्कंदमाता : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि स्कंद का अर्थ भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से है. भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है और मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है इसलिए इनका नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन माता शैलपुत्री का पूजन होता है और उन्हें पार्वती का स्वरूप माना जाता है और पांचवें दिन स्कंद माता का पूजन होता है और वह भी पार्वती का ही स्वरूप हैं.