शिमला:संजौली मस्जिद विवाद में नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत में मस्जिद कमेटी की तरफ से कुछ दिन पहले दिए गए आवेदन को ऑन रिकार्ड ले लिया गया है. इस आवेदन में मस्जिद कमेटी ने आग्रह किया था कि यदि अनुमति मिले तो वे खुद अवैध निर्माण गिराने को तैयार हैं.
वहीं, सुबह 11 बजे के बाद शुरू हुई सुनवाई में लोकल रेजीडेंट्स के वकील जगतपाल ठाकुर ने अपनी दलीलें पेश की. इसके साथ ही नगर निगम के वकील ने लोकल रेजीडेंट्स को थर्ड पार्टी बनाने का विरोध किया.
जगतपाल ठाकुर, लोकल रेजिडेंट्स के वकील (ETV Bharat) वक्फ बोर्ड के वकील की तरफ से भी दलीलें पेश की गईं. अब मामले की सुनवाई फिर से चार बजे तय की गई है. नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री की राजस्व अदालत में शनिवार सुबह 11 बजे के बाद सुनवाई शुरू हुई.
स्थानीय नागरिकों की तरफ से वकील जगतपाल ठाकुर ने केस में अपनी दलीलें पेश कीं और उन्हें पार्टी बनाए जाने का आग्रह किया. इसी को लेकर आयुक्त की अदालत में पहले तर्क सुने गए.
लोकल रेजीडेंट्स के वकील ने लगाए गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों की तरफ से पेश हुए वकील जगतपाल ठाकुर ने गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी हुई है, वो सरकारी है. यही नहीं, उन्होंने केस के बैकग्राउंड पर भी तर्क अदालत में पेश किए.
जगतपाल ठाकुर ने कहा कि मस्जिद के भीतर अवैध रूप से मदरसा चल रहा था. ये मदरसा 31 जुलाई को बंद हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि आम जनता के टैक्स के पैसे से इस पूरे विवाद के मास्टर माइंड सलीम टेलर को सुरक्षा प्रदान की जा रही है.
ऐसे में पुलिस का खर्च सलीम टेलर से लिया जाए. उन्होंने कहा कि संजौली एरिया में न्यायाधीश भी रहते हैं, लेकिन उन्हें भी कोई सुरक्षा नहीं है. ऐसे में मस्जिद विवाद के मास्टर माइंड की सुरक्षा व्यवस्था विदड्रा होनी चाहिए. अदालत ने खुलासा किया कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की मौत के बाद उनके लास्ट रिचुअल की तैयारी में शव को अंतिम स्नान भी करवाया जाता रहा है.
इससे स्थानीय लोग परेशान हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि जिस समय मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर का निर्माण हो रहा था, उसी समय निगम प्रशासन ने इसे रोकने का नोटिस दिया था, लेकिन काम नहीं रोका गया.
निगम एक्ट में छह महीने में होना चाहिए एक्शन
स्थानीय लोगों की तरफ से पेश वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि एमसी एक्ट में 254 (1) में छह महीने में अवैध निर्माण पर एक्शन का प्रावधान है. एक्ट के तहत सबसे पहले नोटिस 31 मार्च 2010 को जारी हो गया था. यह नोटिस ग्राउंड फ्लोर के अवैध निर्माण के लिए दिया गया था.
इस नोटिस का प्रावधान बिना अनुमति किए जा रहे काम को रोकने के लिए था. नियमों के तहत इस तरह के काम को नोटिस मिलने के बाद फिर से शुरू नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा काम शुरू किया जाए, तो नगर निगम का फर्ज है कि वह इस अवैध निर्माण को गिरा दे फिर 3 मई, 2010 को पहली रिपोर्ट अदालत में सौंपी गई.
इस तरह आठ साल में पांच मंजिला इमारत बन गई, जबकि पंद्रह साल पहले नोटिस दिया गया था कि निर्माण अवैध रूप से हो रहा है. अब 3 मई, 2018 तक पांच मंजिलों को बना दिया गया था. ग्राउंड फ्लोर के लिए 31 मार्च, 2010 को ही नोटिस दे दिया गया था.
इसी केस में 2 सितंबर, 2011 को वक्फ बोर्ड को पहला नोटिस भेजा गया. जगतपाल ने कहा कि वक्फ बोर्ड को भी कुल 11 नोटिस दिए गए हैं. मस्जिद कमेटी के प्रधान रहे मोहम्मद लतीफ को इसी साल 2 सितंबर को नोटिस दिया गया.
हैरानी की बात है कि वक्फ बोर्ड ने पिछले वर्ष बताया कि उन्हें इतने सालों में निर्माण के बारे में पता नहीं चला. वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि साल 1997-98 की जमाबंदी के मुताबिक खसरा नंबर-66 के आगे कोई भी मस्जिद नहीं है. यहां तक कि साल 2002-03 में भी जमीन में कोई मस्जिद रिकॉर्ड के अनुसार नहीं है.
साल 2017-18 में भी जमीन के आगे कोई मस्जिद का पंजीकरण नहीं है. जब साल 2010 में रिपोर्ट आ चुकी है कि ग्राउंड फ्लोर गैरकानूनी है, तो बाकी मंजिलों का निर्माण कैसे कर दिया गया? अब चार बजे आयुक्त की अदालत में ये तय किया जाएगा कि लोकल रेजीडेंट्स को पार्टी बनाया जाए या फिर नहीं.
इसके अलावा वक्फ बोर्ड की दलीलें भी सुनी जाएंगी साथ ही मस्जिद की पैमाइश की रिपोर्ट भी देखी जाएगी. वहीं, लोकल रेजीडेंट्स के वकील ने दावा किया कि उन्हें पार्टी बनाकर सुना जाए या पार्टी न बनाया जाए, वे दोनों सूरत में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे.
फिलहाल, चार बजे फिर से सुनवाई शुरू होगी. ऐसे में देखना है कि नई डेट मिलती है या फिर कोई फैसला आता है. अभी तक की सुनवाई से आसार हैं कि मामले में नई डेट मिल सकती है. उसके बाद रविवार को देवभूमि संघर्ष समिति ने भी अपनी रणनीति तैयार करने का ऐलान किया है. रविवार को समिति आने वाले समय में जेल भरो आंदोलन की रणनीति बनाएगी.
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