शेखपुरा:बिहार के शेखपुरा जिले का अभागा घाट कुसुंभा प्रखंड जहां के दो पंचायत के 10 गांव के लोग बाढ़ की विभीषिका तो झेलते हैं, लेकिन मुआवजा के हकदार नहीं है. सरकार की तरफ से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, जबकि उनके गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर लखीसराय जिले की सीमा शुरू हो जाती है, जहां लोगों को बाढ़ आने पर उन्हें सभी सरकारी सुविधा मिल जाती हैं.
कई गांव टापू बन जाते हैं टापू:शेखपुरा जिले को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. हालांकि जब गंगा नदी का पानी पूरे टाल क्षेत्र में फैलना शुरू होती है तो पानापुर पंचायत और घाट कुसुम्भा के कई गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं. यही नहीं बाढ़ के दौरान उनका संपर्क प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक टूट जाता है.
क्यों उल्टी बहने लगती है नदी?:जानकारी के अनुसार जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड से हरोहर नदी बहते हुए लखीसराय जिले में जाकर गंगा नदी से मिलती है. अमूमन बरसात के समय ही इस नदी में पानी रहता है, बाकी गर्मियों के दिन में पानी लगभग सूख जाता है. बरसात के समय में जब गंगा नदी का जलस्तर अपने सीमा रेखा को लांघता है तब गंगा नदी का जलस्तर वापस पीछे की ओर आना शुरू हो जाता है. जिस कारण गंगा में जाकर मिलने वाली नदी में गंगा से ही पानी नदी में पीछे आने लगता है. गंगा के वाटर लेबल के बराबर होने तक यह नदी उल्टी दिशा में बहती है. जिसके चलते आसपास के 10 गांव प्रभावित हो जाते हैं.
डूब जातें हैं कई क्षेत्र:इतना ज्यादा पानी आने के कारण शेखपुरा, मोकामा के साथ नालंदा का टाल क्षेत्र पूरी तरह से डूब जाता है. इस कारण शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड का कई गांव टापू में तब्दील हो जाता है. वहां आने जाने के लिए मात्र नाव का ही सहारा बचता है. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोगों को सरकारी मुआवजा नहीं मिलता, जिससे लोगों में काफी नाराजगी है.