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बिना हाथ गोवा में तैरकर नापी गहराई, रतलाम के अब्दुल ने जीता गोल्ड, पर लौटना पड़ा घर

रतलाम के अब्दुल कादिर ने गोवा में आयोजित तैराकी चैंपियनशिप में गोल्ड जीता. हालांकि तबीयत खराब होने के चलते अब्दुल वापस घर आ गए.

RATLAM SWIMMER ABDUL QADIR WON GOLD
गोवा की तैराकी में रतलाम के अब्दुल नापी गहराई (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

रतलाम: तैराक अब्दुल कादिर ने एक बार फिर मध्य प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया है. अब्दुल ने गोवा में आयोजित पैरा नेशनल तैराकी चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर अपने पूर्व के प्रदर्शन को दोहराया. हालांकि स्वास्थ्य खराब होने के चलते अब्दुल कादिर वापस घर यानि की रतलाम आ गए हैं. जिसके चलते वे अन्य इवेंट में पार्टिसिपेट नहीं कर पाए. बता दें इससे पहले भी अब्दुल राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में 8 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीत चुके हैं.

हाईटेंशन लाइन की चपेट में खोए दोनों हाथ

अपनी तैराकी की बदौलत पूरे देश में पहचान बनाने वाले अब्दुल कादिर इंदौरी का जीवन संघर्षमय रहा. साल 2014 में अपने घर की छत पर खेलते समय अब्दुल कादिर हाईटेंशन लाइन के तारों की चपेट में आ गया था, जिसके चलते उसने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन दोनों हाथ खो देने के बाद भी अब्दुल ने तैराकी जैसे मुश्किल खेल को चुना. आज वह अब्दुल पैरा स्पोर्ट्स की नेशनल स्पर्धा में 9 गोल्ड और 3 सिल्वर जीत चुके हैं. अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराते हुए अब्दुल ने गोवा में हो रही नेशनल चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता है.

अब्दुल कादिर ने जीता गोल्ड मेडल (ETV Bharat)

पैरालंपिक खेलने की ख्वाहिश

दरअसल, गोवा में आयोजित हो रही नेशनल स्पर्धा में अब्दुल ने एक बार फिर गोल्ड जीता है. अब्दुल के कोच राजा भाई ने बताया कि 'पहले ही इवेंट में अब्दुल ने शानदार जीत दर्ज कर ली थी, लेकिन अब्दुल का स्वास्थ्य खराब हो जाने की वजह से उन्हें अन्य इवेंट में पार्टिसिपेट करने का मौका नहीं मिल सका. अन्यथा गोल्ड मेडल की संख्या तीन या चार भी हो सकती थी. 17 वर्षीय अब्दुल अब देश के लिए पैरा ओलंपिक खेलना चाहते हैं और देश के लिए गोल्ड लाने का लक्ष्य बना चुके हैं.'

हादसे में खो दिए थे हाथ, स्विमिंग को बनाया करियर

2014 में 7 साल का अब्दुल घर की छत पर खेलते-खेलते हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया था. हादसा इतना खतरनाक था कि डॉक्टरों को अब्दुल के दोनों हाथों को काटना पड़ा. अब्दुल के पिता हुसैन इंदौरी और माता फातिमा को बेटे के भविष्य की चिंता सताने लगी, लेकिन अब्दुल ने अपना भविष्य अस्पताल के बेड पर ही तय कर लिया था. अपने पैरों से लिखना, खाना और अन्य जरूरी कार्य करना अब्दुल ने एक महीने में ही सीख लिए.

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2015 में जीता था पहला गोल्ड

रतलाम के तैराकी कोच राजा ने अब्दुल को तैराकी सिखाने का जिम्मा उठाया. कुछ दिनों में अब्दुल सामान्य बच्चों से भी अच्छी स्विमिंग करने लगा. 2015 में जूनियर तैराकी स्पर्धा में अब्दुल ने पहली बार गोल्ड जीता. जिसके बाद नेशनल चैंपियनशिप और पैरा नेशनल गेम्स में भी अब्दुल ने कमाल कर दिया. अब्दुल कादिर अब तक राष्ट्रीय स्पर्धा में 9 गोल्ड और 3 सिल्वर जीत चुके हैं. बहरहाल अब्दुल कादिर इंदौरी ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. देश के लिए ओलंपिक खेलने के अपने लक्ष्य की तरफ एक और कदम आगे बढ़ाया है.

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