चंडीगढ़: कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र पिछले दरवाजे से एमएसपी को खत्म करना चाहता है और पंजाब और हरियाणा के किसानों को अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए सुनियोजित साजिश के तहत दंडित किया जा रहा है. उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पूरे मुद्दे पर उनके साथ बहस करने की चुनौती भी दी.
'MSP को खत्म करना चाहती है सरकार': सुरजेवाला ने दावा किया कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए सुनियोजित साजिश और डिजाइन के तहत दंडित किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार सुनियोजित साजिश के तहत पिछले दरवाजे से एमएसपी खत्म करना चाहती है. सुरजेवाला ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में आज तक कम धान की खरीद हुई है.
'बीजेपी रच रही षडयंत्र': उन्होंने आरोप लगाया, "षड्यंत्र के छह हिस्से हैं. षड्यंत्र का मुख्य हिस्सा पिछले दरवाजे से एमएसपी को खत्म करना, बिहार की तर्ज पर अनाज मंडियों को खत्म करना, धीरे-धीरे एमएसपी पर फसल खरीद को कम करके खत्म करना है. आज उन्होंने खरीद को आधा कर दिया है, फिर वे और भी कम कर देंगे. अगले 2-4 वर्षों में वे एमएसपी को बेमानी बना देंगे, किसानों के लिए नामित पोर्टल पर पंजीकरण को बेमानी बना देंगे."
'कृषि बाजार को कब्जाना चाहती है बीजेपी': रणदीप सुरजेवाला ने कहा "इस देश में उत्पादों का कृषि बाजार 10 लाख करोड़ रुपये का है. जबकि भाजपा ने अपने दो या तीन उद्योगपतियों के लिए अधिकांश व्यवसायों पर कब्जा कर लिया है. ये सबसे बड़ा बाजार है. जिसे वे कब्जा नहीं कर सके. वे अब इसे कब्जाना चाहते हैं. वे तीन काले कृषि कानूनों के माध्यम से ऐसा नहीं कर सके, क्योंकि उन्हें इन्हें वापस लेने के लिए मजबूर किया गया था, अब वे एमएसपी को समाप्त करके ऐसा करना चाहते हैं."
'मोदी सरकार ने सब्सिडी में कटौती की': इस बीच, कांग्रेस महासचिव सुरजेवाला ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में लगभग 9,000 चावल मिलें हैं, जिनमें से अधिकांश पीडीएस और अन्य योजनाओं के लिए खरीदे गए अनाज की मिलिंग करती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार चावल मिलर्स के कारोबार में बाधा उत्पन्न करती है ताकि एमएसपी पर खरीदे गए किसानों के धान की खरीद और मिलिंग कम मात्रा में हो. पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार ने सब्सिडी यानी उर्वरक-खाद्य-और ईंधन सब्सिडी में 3,30,000 करोड़ रुपये की भारी कटौती की है."
'किसान भुगत रहे खामियाजा': "वर्ष 2020-21 में यह सब्सिडी जीडीपी का 3.8 प्रतिशत यानी 7,58,165 करोड़ रुपये थी और वर्ष 2024-25 में ये सब्सिडी जीडीपी का 1.3 प्रतिशत यानी 4,28,423 करोड़ रुपये रह गई. स्वाभाविक रूप से इसका खामियाजा कृषि और किसानों को भुगतना पड़ रहा है. खाद्य सब्सिडी का झटका और भी बड़ा है. पिछले 2 वर्षों में ही मोदी सरकार ने खाद्य सब्सिडी में 78,000 करोड़ रुपये की कटौती की है. वर्ष 2022-23 में खाद्य सब्सिडी पर बजट व्यय 2,83,475 करोड़ रुपये था, जिसे 2024-25 में घटाकर 2,05,250 करोड़ रुपये कर दिया गया. इसकी कीमत कौन चुकाएगा, किसान और गरीब मजदूर."
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "हरियाणा में एमएसपी खरीद के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या 4,19,532 है. 29 अक्टूबर तक एमएसपी पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 1,33,114 है, यानी एमएसपी पर फसल नहीं खरीदने वाले किसानों की संख्या 2.86 लाख से अधिक है. जब आप 3 लाख किसानों से एमएसपी पर खरीद नहीं करते हैं, तो साजिश साफ है."
'वादे से पलटी सरकार': उन्होंने कहा कि पिछले साल हरियाणा में 58,92,721 मीट्रिक टन धान खरीदा गया था और 29 अक्टूबर तक यह 37,23,352 मीट्रिक टन है. खरीद 15 नवंबर को समाप्त होगी. 14 दिनों में 22 लाख मीट्रिक टन धान खरीदना असंभव है. परिणाम स्पष्ट है, एमएसपी पर धान नहीं खरीदा जाएगा. सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव के दौरान वादा किया गया था कि किसानों को धान के लिए 3,100 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी मिलेगा, लेकिन उन्हें 2,100 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में पिछले साल 1,11,03,434 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी और 29 अक्टूबर 2024 तक केंद्र और पंजाब सरकार ने कितना धान खरीदा है, यह 49,84,353 मीट्रिक टन है. अब बचे दो हफ्तों में वे 61 लाख मीट्रिक टन कैसे खरीदेंगे.
60 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य: हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि एमएसपी, धान खरीद में 50 प्रतिशत की कमी से संबंधित सुरजेवाला के बयान भ्रामक, जनता को धोखा देने, झूठ का पुलिंदा और तथ्यों से परे है. एक बयान में, सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र द्वारा निर्धारित धान खरीद की समय सीमा 15 नवंबर है. उन्होंने कहा, "इस बार धान खरीद का लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन (हरियाणा के लिए) है."
'MSP पर हो रही धान की खरीद': "28 अक्टूबर तक खरीद एजेंसियों ने पहले ही 44.58 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद कर ली है, जिससे शेष 14.36 लाख मीट्रिक टन की खरीद के लिए पर्याप्त समय मिल गया है. पिछले साल कुल 58.94 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी." उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य द्वारा सभी प्रकार की फसलों की खरीद एमएसपी और केंद्र द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाती है. प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में डीएपी और यूरिया उर्वरक का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है.
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