तिरुवनंतपुरम: केरल की एक अदालत ने शुक्रवार को शेरोन राज हत्याकांड मामले में आरोपी 24 साल की युवती ग्रीष्मा को दोषी ठहराया है. उसके एक दिन बाद यानी की आज शनिवार को अभियोजन पक्ष ने युवती के लिए मृत्युदंड की मांग की. अदालत 20 जनवरी को सजा पर आदेश सुनाएगी.
शुक्रवार को अदालत ने मामले में आरोपी युवती और उसके चाचा निर्मलकुमारन नायर को दोषी ठहराया है. नेय्याट्टिनकारा एडिशनल सेशन कोर्ट ने युवती के चाचा निर्मलकुमारन नायर को भी सबूत नष्ट करने का दोषी पाया है. वहीं, दूसरी आरोपी युवती की मां सिंधु को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
शनिवार को मामले में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि, दोषी युवती ने अपने प्रेमी से प्यार का इजहार करके उसे मौत के घाट उतार दिया. विशेष लोक अभियोजक वीएस विनीत कुमार ने कोर्ट में सजा पर बहस पूरी होने के बाद संवाददातओं से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, आरोपी ग्रीष्मा का आचरण प्रेम की अवधारणा में लोगों के विश्वास को खत्म कर सकता है.
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी के लिए मृत्युदंड की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने इसके खिलाफ तर्क दिया. यह दावा करते हुए कि यह एक 'न्यायसंगत हत्या' थी. बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि,शेरोन राज के पास कथित तौर पर महिला की कुछ अंतरंग तस्वीरें थीं. अभियोक्ता ने कहा कि, बचाव पक्ष ने आगे तर्क दिया कि आरोपी को खुद को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए.
इस मामले में जांच अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि पुलिस को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि पीड़ित शेरोन ने दोषी महिला को ब्लैकमेल किया था. अभियोक्ता ने आरोपी महिला की शैक्षणिक उपलब्धियों, पिछले आपराधिक इतिहास की कमी का हवाला देते हुए सजा में नरमी की मांग की. साथ ही बचाव पक्ष ने कहा कि, लड़की अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है.उन्होंने कहा कि, अदालत 20 जनवरी को सजा पर आदेश सुनाएगी.
ग्रीष्मा को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया, जिसमें हत्या (धारा 302) भी शामिल है. जबकि उसके चाचा को सबूत नष्ट करने के लिए आईपीसी की धारा 201 के तहत दोषी ठहराया गया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, ग्रीष्मा ने राज को 14 अक्टूबर, 2022 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित रामवर्मनचिराई में अपने घर पर बहला-फुसलाकर फुसलाया पैराक्वाट नामक एक जड़ी-बूटी से युक्त आयुर्वेदिक टॉनिक से जहर दे दिया. 23 साल के शेरोन की 11 दिन बाद, 25 अक्टूबर को एक अस्पताल में कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई.
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि ग्रीष्मा, जो उस समय 22 वर्ष की थी, ने हत्या की साजिश तब रची जब राज ने उनके रिश्ते को खत्म करने से इनकार कर दिया. वह इसलिए क्योंकि, लड़की की शादी नागरकोइल के एक सैन्यकर्मी से तय हो चुकी थी. उसने पहले भी फलों के रस में पैरासिटामोल की गोलियां मिलाकर राज को जहर देने की कोशिश की थी.
हालांकि, अभियोजन पक्ष के अनुसार, जब उसने इसका कड़वा स्वाद बताते हुए इसे पीने से इनकार कर दिया, तो यह प्रयास विफल हो गया. शेरोन और ग्रीष्मा का कई सालों से लव अफेयर चल रहा था. इसी बीच ग्रीष्मा को एक और शादी का प्रस्ताव मिला और उसने इस पर मुहर लगा दी. इसके बाद से ग्रीष्मा शेरोन से छुटकारा पाने की योजना बना रही थी.
शेरोन ने मजिस्ट्रेट को दिए गए अपने अंतिम बयान में ग्रीष्मा के खिलाफ कुछ नहीं कहा. हालांकि, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि शेरोन ने अपने दोस्त और पिता से कहा था कि ग्रीष्मा ने उसे धोखा दिया है. शेरोन की मौत के बाद नियुक्त विशेष टीम को फोरेंसिक डॉक्टर द्वारा सौंपे गए वैज्ञानिक साक्ष्य मामले में महत्वपूर्ण थे. बाद में जब पुलिस ने उसे बुलाया और उससे पूछताछ की, तो ग्रीष्मा ने अपराध कबूल कर लिया.
मामले में ग्रीष्मा की मां सिंधु और चाचा निर्मला कुमारन नायर पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया था. ग्रीष्मा ने पुलिस हिरासत में रहते हुए आत्महत्या का प्रयास किया था. बाद में एक साल जेल में बिताने के बाद ग्रीष्मा को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
पुलिस ने मामले में 25 जनवरी 2023 को आरोप पत्र दायर किया. हाई कोर्ट द्वारा आरोपियों की यह दलील खारिज करने के बाद आरोप पत्र दायर किया गया कि केरल में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. 15 अक्टूबर 2024 को शुरू हुआ मुकदमा 3 जनवरी 2025 को समाप्त हुआ. अदालत ने मामले में 95 गवाहों की जांच की.
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