रांची: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. उनके निधन पर राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने गहरा शोक जताया है.
रामेश्वर उरांव ने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह ने इंदिरा गांधी के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के रूप में वर्ष 1971-72 में इंडियन इकोनॉमिक सर्विस में सेवा के दौरान दिल्ली में इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में गेस्ट फैकल्टी के रूप में दो कक्षाएं ली थी. उनसे जुड़ी यादों को साझा करते हुए राज्य के रामेश्वर उरांव ने कहा कि 2007 में जब डिलिमिटेशन कमीशन की रिपोर्ट लागू हो रही थी तब 2001 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की कम हुई. जनसंख्या के चलते ST रिज़र्व सीट घटने वाली थी. तब प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप से राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए लोकसभा में आरक्षित 05 सीटें और विधानसभा में 28 सीटें सुरक्षित रह पाई. अगर वह पहल नहीं करते तो राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व लोकसभा की सीट पांच से घटकर चार रह जाती और विधानसभा की सीट 28 से घटकर 22 रह जाती.
आदिवासी हितों को सुरक्षित रखने में डॉ मनमोहन सिंह का योगदान अहम-सुप्रियो
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जब डिलिमिटेशन के चलते राज्य में आदिवासी रिजर्व सीट घटने वाली थी तो झारखंड के नेताओं का शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. तब उन्होंने पूरी बात समझकर झारखंड में डिमिलिटेशन नहीं होने दिया और आदिवासी आरक्षित सभी सीटें बची रह गयीं.