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JDU सांसद ने की मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग, केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलेंगे संजय झा

जेडीयू सांसद संजय झा ने मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की है. जल्द ही वह शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे.

राज्यसभा सांसद संजय झा
राज्यसभा सांसद संजय झा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 8, 2024, 1:15 PM IST

पटना:जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा ने केंद्र से मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की है. हाल में ही केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने 5 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है. इसके बाद संजय झा की तरफ से यह मांग उठी है. उन्होंने ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है.

1300 वर्ष पुरानी है मैथिली भाषाः संजय झा ने कहा कि कि मैथिली भाषा 1300 वर्ष पुरानी है. इसके साहित्य का विकास स्वतंत्र रूप से अनवरत होता रहा है. संजय झा ने कहा कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए 31 अगस्त 2018 में चार सदस्यीय समिति ने मानव संसाधन मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भी दे दी है. जिसमें 11 सिफारिश की गई है. संजय झा ने यह भी कहा है कि जल्द ही अपनी इस मांग को लेकर मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात करेंगे.

संरक्षण और संवर्धन मेरी प्राथमिकता: मैथिली भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन मेरी शीर्ष प्राथमिकता रही है. मेरे प्रयासों से केंद्र सरकार द्वारा गठित मैथिली के विद्वानों की विशेषज्ञ समिति ने 31 अगस्त 2018 को पूर्ण की गई अपनी रिपोर्ट सौंपी. पिछले छह वर्षों में समिति की कुछ सिफारिशों पर काम हुए हैं लेकिन इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है. अब समिति की सिफारिशों के अनुरूप मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए जल्द ही माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी से मिलूंगा.

संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिलःसंजय झा ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि मैथिली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अब तक जितने भी काम हुए हैं, एनडीए की राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा ही किये गये हैं. सीएम नीतीश कुमार की पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हम मिथिलावासियों की दशकों से लंबित मांग को पूरा करते हुए मैथिली भाषा को संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल किया था.

बीपीएससी सिलेबस से हटा दियाः 2005 में जब नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में सरकार बनी तब उन्होंने मैथिली को पुन: बीपीएससी के सिलेबस में शामिल किया. जिसे पूर्व की कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार ने सिलेबस से हटा दिया था. सीएम के निर्देश पर सौराठ (मधुबनी) में मिथिला चित्रकला संस्थान और मिथिला ललितकला संग्रहालय की स्थापना की गई जो प्राचीन एवं विश्वविख्यात मिथिला चित्रकला को संरक्षित करने तथा मिथिला की कला-संस्कृति के संवर्धन की दिशा में आजादी के बाद की सबसे बड़ी एवं ऐतिहासिक पहल है.

समिति गठित करने का मिला था निर्देशः 19 मार्च 2018 को दिल्ली में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा था. मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करना तथा. स्थायी तौर पर फंड आवंटित करने का अनुरोध किया था. उन्होंने समिति गठित करने के निर्देश जारी कर दिये थे. इसके लिए नाम सुझाने का जिम्मा मुझे ही सौंप दिया था.

कई विशेषज्ञों को शामिल किया गयाः मैथिली के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं मूर्धन्य विद्वान डॉ रामदेव झा जो अब स्वर्गीय हो गए, उनसे बात हुई थी. उनसे इस समिति में शामिल होने का आग्रह किया था. लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य और उम्र की वजह से असमर्थता व्यक्त करते हुए अपना आशीर्वाद दिया. मैंने सभी विद्वानों से व्यक्तिगत स्तर पर बात कर उनसे इस यज्ञ में शामिल होने के लिए आग्रह किया.

2018 में समिति का गठनः 18 मई 2018 को केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख कर चार नाम सुझाये थे. जिनमें एलएनएमयू के मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ रमण झा, संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ पं. शशिनाथ झा, एलएनएमयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ रत्नेश्वर मिश्र और महावीर मंदिर न्यास के प्रकाशन विभाग के पदाधिकारी पंडित भवनाथ झा के नाम शामिल थे. इसको लेकर समिति गठित की गयी थी.

शास्त्रीय भाषाओं की संख्या 11ः बता दें कि मोदी सरकार ने अभी हाल ही में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है. भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है. पहले से तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा पांच और भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद अब मैथिली को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले. संजय झा को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी की सरकार मैथिली को सम्मान देगी.

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