भरतपुर : जिले में इस बार मानसून मेहरबान रहा, जिसकी वजह से अभी तक किसान रबी की फसल की बुवाई शुरू नहीं कर पाए हैं. अधिक बरसात की वजह से बुवाई में पहले ही देरी हो चुकी है. वहीं, अब जिले के किसानों को उर्वरक के लिए भी दर-दर भटकना पड़ रहा है. गत वर्ष सितंबर में जहां डीएपी 10 हजार मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया था, वहीं इस बार ना के बराबर डीएपी मिल पाया है. ऐसे में किसान चाह कर भी रबी की बुवाई नहीं कर पा रहा है. कृषि विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से ही डीएपी कम उपलब्ध कराई जा रही है, फिर भी जिला प्रशासन के माध्यम से किसान की मांग पूरी करने के लिए डीएपी की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं.
करीब एक पखवाड़ा देरी से बुवाई :कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक (जेडी) आरसी महावर ने बताया कि इस बार इस बार मानसूनी बरसात अच्छी होने की वजह से रबी की बुवाई अक्टूबर माह में हो सकेगी, जबकि सामान्य तौर पर रबी की फसलों की बुवाई सितंबर में शुरू हो जाती थी. बुवाई में देरी की वजह से इस बार सरसों का रकबा घटेगा, जबकि गेंहू, चना और जौ का रकबा बढ़ने की संभावना है.
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केंद्र से डीएपी की सप्लाई कम :जेडी आरसी महावर ने बताया कि इस बार केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को डीएपी की सप्लाई कम की गई है. गत वर्ष सितंबर माह में डीएपी की 10 मीट्रिक टन की जरूरत पड़ी थी, लेकिन इस बार सितंबर माह में जिले को डीएपी के करीब 500-500 टन के सिर्फ तीन रैक ही मिल पाए हैं. हमने अक्टूबर माह में बुवाई को देखते हुए डीएपी की 12 हजार मीट्रिक टन, यूरिया की 14,500 मीट्रिक टन और एनपीके व एसएसपी की भी डिमांड भेजी है. किसान को डीएपी व अन्य उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए जिला कलेक्टर और आयुक्त के माध्यम से लगातार प्रयास किया जा रहा है.