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मंडी सेस, कृषक कल्याण फीस के विरोध में उतरे राजस्थान के खाद्य व्यापारी, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी - MANDI TRADERS AGAINST MANDI CESS

मंडी करोबारियों ने सरकार से मंडी सेस और कृषक कल्याण फीस समाप्त करने की मांग है. ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

Opposition to Mandi Cess and Farmer Welfare Fee
मंडी सेस और कृषक कल्याण फीस का विरोध (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 13, 2025, 4:12 PM IST

जयपुर: प्रदेश भर के मंडी कारोबारी सेस और कृषक कल्याण फीस के विरोध में उतर गए हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार मंडी सेस और कृषक कल्याण फीस को खत्म नहीं करती है, तो प्रदेश के खाद्य व्यापारी बड़ा आंदोलन करेंगे. सोमवार को राजधानी जयपुर में भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल तथा राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के तत्वावधान में सभा आयोजित की गई. इसमें राजस्थान भर से आए तेल मिल, आटा मिल, दाल मिल तथा मसाला उद्योग से जुड़े हुए प्रतिनिधि पहुंचे.

मंडी करोबारियों ने क्यों चेताया सरकार को... (ETV Bharat Jaipur)

इस मौके पर भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार 30 जनवरी से पहले बाहर से आयात किए जा रहे कृषि जिंस पर मंडी सेस तथा कृषक कल्याण फीस को समाप्त करे और साथ ही पुरानी मीलों को नयी मीलों की तरह रिप्स में छूट दे. यदि सरकार व्यापारियों की मांगे नहीं मानती है, तो आगामी 1 से 3 फरवरी तक प्रदेश की सभी 247 मंडियों में सद्बुद्धि यज्ञ किया जाएगा. इसके बाद भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो चार फरवरी को बड़ी सभा का आयोजन किया जाएगा और सरकार को घेरने की तैयारी की जाएगी. आवश्यक हुआ तो तेल, दाल, आटा, मसाला उद्योगों को बन्द भी किया जा सकता है, जिसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

पढ़ें: सरकार के निर्णय के विरोध में व्यापारी, बुधवार को बंद रहेंगी प्रदेश की दाल और मैदा मिल - DAL MILL TRADERS PROTEST

उद्योगों पर विपरीत असर: बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार राईजिंग राजस्थान का सम्मेलन आयोजित कर तथा रिप्स में नई मीलों को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवाकर नये उद्योग लगाना चाहती है. लेकिन सभी उद्योगों के लिये राज्य के बाहर से दलहन, गेहूं, तिलहन एवं मसाले आयात करने पर दुबारा मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस लेती है. जिसका उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. जिसके कारण पुरानी मीलें बन्द होती जा रही हैं. इसलिए आवश्यक है कि आयातित कृषि जिन्स पर राज्य में मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस नहीं लगाई जाए. नयी मीलों की तरह पुरानी मीलों को भी रिप्स में छूट दी जाए तथा अन्य दी जाने वाली सब्सिडी भी पुरानी मीलों को उपलब्ध करवाई जाए.

पढ़ें: कृषक कल्याण फीस बढ़ाने के विरोध में उतरे मंडी कारोबारी, सरकार को दी चेतावनी - MANDI TRADERS ON AGITATION

ये पदाधिकारी हुए शामिल: जयपुर में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल डाटा तथा राष्ट्रीय मंत्री अनिल चतर के साथ प्रान्त के तेल मिल एसोसिएशन के सदस्य तथा प्रदेश दाल मिल महासंघ समिति राजस्थान के अध्यक्ष विमल बड़जात्या, पवन अग्रवाल, जयपुर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूलाल गोयल सहित एसोसिएशन के अन्य सदस्य मौजूद रहे. साथ ही राजस्थान रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष गोविन्द ग्रोवर, मंत्री भानूप्रकाश गर्ग व एसोसिएशन के अन्य सदस्य, नेशनल ऑयल्स मैन्यूफैक्चरर्स एण्ड रिपैकर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मुरारका तथा एसोसिएशन के अन्य सदस्य, राजस्थान मसाला उद्योग व्यापार संघ के प्रान्तीय मंत्री दिनेश अग्रवाल एवं एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे.

जयपुर: प्रदेश भर के मंडी कारोबारी सेस और कृषक कल्याण फीस के विरोध में उतर गए हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार मंडी सेस और कृषक कल्याण फीस को खत्म नहीं करती है, तो प्रदेश के खाद्य व्यापारी बड़ा आंदोलन करेंगे. सोमवार को राजधानी जयपुर में भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल तथा राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के तत्वावधान में सभा आयोजित की गई. इसमें राजस्थान भर से आए तेल मिल, आटा मिल, दाल मिल तथा मसाला उद्योग से जुड़े हुए प्रतिनिधि पहुंचे.

मंडी करोबारियों ने क्यों चेताया सरकार को... (ETV Bharat Jaipur)

इस मौके पर भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार 30 जनवरी से पहले बाहर से आयात किए जा रहे कृषि जिंस पर मंडी सेस तथा कृषक कल्याण फीस को समाप्त करे और साथ ही पुरानी मीलों को नयी मीलों की तरह रिप्स में छूट दे. यदि सरकार व्यापारियों की मांगे नहीं मानती है, तो आगामी 1 से 3 फरवरी तक प्रदेश की सभी 247 मंडियों में सद्बुद्धि यज्ञ किया जाएगा. इसके बाद भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो चार फरवरी को बड़ी सभा का आयोजन किया जाएगा और सरकार को घेरने की तैयारी की जाएगी. आवश्यक हुआ तो तेल, दाल, आटा, मसाला उद्योगों को बन्द भी किया जा सकता है, जिसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

पढ़ें: सरकार के निर्णय के विरोध में व्यापारी, बुधवार को बंद रहेंगी प्रदेश की दाल और मैदा मिल - DAL MILL TRADERS PROTEST

उद्योगों पर विपरीत असर: बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार राईजिंग राजस्थान का सम्मेलन आयोजित कर तथा रिप्स में नई मीलों को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवाकर नये उद्योग लगाना चाहती है. लेकिन सभी उद्योगों के लिये राज्य के बाहर से दलहन, गेहूं, तिलहन एवं मसाले आयात करने पर दुबारा मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस लेती है. जिसका उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. जिसके कारण पुरानी मीलें बन्द होती जा रही हैं. इसलिए आवश्यक है कि आयातित कृषि जिन्स पर राज्य में मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस नहीं लगाई जाए. नयी मीलों की तरह पुरानी मीलों को भी रिप्स में छूट दी जाए तथा अन्य दी जाने वाली सब्सिडी भी पुरानी मीलों को उपलब्ध करवाई जाए.

पढ़ें: कृषक कल्याण फीस बढ़ाने के विरोध में उतरे मंडी कारोबारी, सरकार को दी चेतावनी - MANDI TRADERS ON AGITATION

ये पदाधिकारी हुए शामिल: जयपुर में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल डाटा तथा राष्ट्रीय मंत्री अनिल चतर के साथ प्रान्त के तेल मिल एसोसिएशन के सदस्य तथा प्रदेश दाल मिल महासंघ समिति राजस्थान के अध्यक्ष विमल बड़जात्या, पवन अग्रवाल, जयपुर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूलाल गोयल सहित एसोसिएशन के अन्य सदस्य मौजूद रहे. साथ ही राजस्थान रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष गोविन्द ग्रोवर, मंत्री भानूप्रकाश गर्ग व एसोसिएशन के अन्य सदस्य, नेशनल ऑयल्स मैन्यूफैक्चरर्स एण्ड रिपैकर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मुरारका तथा एसोसिएशन के अन्य सदस्य, राजस्थान मसाला उद्योग व्यापार संघ के प्रान्तीय मंत्री दिनेश अग्रवाल एवं एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे.

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