बेंगलुरु: भारत तब तक विकसित देश नहीं बन सकता जब तक कि गांवों में रहने वाली आबादी काफी हद तक कम नहीं होगी. यह बात भारत के तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कही. उन्होंने शहरीकरण में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से दो-तीन राज्य अलग करने की भी जोरदार वकालत की.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट- इन्वेस्ट कर्नाटक 2025 में अर्थशास्त्री और लेखक सलमान अनीस सोज के साथ विचार साझा करते हुए अहलूवालिया ने कहा कि अहलूवालिया ने कहा कि महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि भारत गांवों में बसता है. बहुत से लोग अभी भी इसे एक तरह की रोमांटिक दृष्टि के रूप में देखते हैं.
हालांकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत में जब तक गांवों में रहने वालों की आबादी कम नहीं होगी तब तक यह एक विकसित देश नहीं बन सकता. गांधीवादियों को यह समझना चाहिए कि यह महात्मा गांधी के विचारों को कम नहीं कर रहा है. उन्होंने 100 साल पहले ये विचार व्यक्त किए थे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये विचार 100 साल बाद भी सही रहेंगे.
उन्होंने शहरीकरण में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों को विभाजित करके नए और छोटे राज्य बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया. साथ ही कुछ द्वितीय श्रेणी के शहरों को चुनकर उन्हें 'महानगरों के निकट' विकसित करने की भी आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, 'हमें बड़े राज्यों को दो या तीन भागों में विभाजित करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने राज्य को तीन भागों में विभाजित करने का सुझाव दिया था. अगर ऐसा किया गया होता, तो तीन नए शहर बनाने के लिए तुरंत राजनीतिक इच्छाशक्ति होती.' यही तर्क महाराष्ट्र के मामले में भी सही है, जहां लोग नागपुर को राजधानी बनाकर विदर्भ क्षेत्र को एक अलग राज्य बनाने की वकालत कर रहे हैं.
बढ़ते सार्वजनिक ऋण पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ऋण के पैमाने के कारण सभी राज्य वित्तीय रूप से बहुत कमजोर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' के अपने दृष्टिकोण को साकार करने के लिए दो दशकों तक 8 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हासिल करने के लिए आवश्यक सुधारों की प्रकृति स्पष्ट रूप से नहीं बताई गई है और कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कुछ चुनौतियां हैं.
जब भारत ने 1919 में सुधारों की शुरुआत की थी, तो यह आसान था क्योंकि दुनिया एक ही भाषा में बात कर रही थी. उन्होंने कहा, 'हमने सुधारों की शुरुआत पूर्वी यूरोप द्वारा साम्यवाद को समाप्त करने के बाद की थी. लेकिन अब भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं. अमेरिका को न केवल कनाडा और मैक्सिको जैसे अपने सबसे करीबी सहयोगियों के साथ, बल्कि चीन के साथ भी अपनी समस्याएं हैं.
चीन रूस के साथ घुलमिल रहा है. रूस चीन पर अधिक निर्भर होता जा रहा है. यूरोपीय लोग रूस से बहुत डरे हुए हैं. भारत अचानक एक ऐसी दुनिया का सामना कर रहा है जो खंडित है. 1991 में हमारे पास यह समस्या नहीं थी.'