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गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - HC ON GANGAPUR CITY

राजस्थान हाईकोर्ट ने गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 13, 2025, 4:00 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने के मामले में राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि जिला खत्म करने निर्णय विवेक का इस्तेमाल कर लिया गया है या नहीं? वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को बताने को कहा है कि उन्होंने जनहित याचिका पेश करने से पूर्व राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए क्या किया है? अदालत ने याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से चेताया है कि यदि इस संबंध में कोई ठोस आधार नहीं बताया गया, तो जनहित याचिका को भारी हर्जाने के साथ खारिज किया जा सकता है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता ने बताई ये वजह (ETV Bharat Jaipur)

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सारांश सैनी ने अदालत को बताया कि गंगापुर सिटी को जिले का दर्जा निर्धारित मापदंड के तहत दिया गया था. प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिलों को लेकर राजनीति शुरु हुई और अब राजनीतिक द्वेषता के चलते ही कुछ जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया गया है. गंगापुर सिटी से जिला का दर्जा समाप्त करने के पीछे भी सरकार की राजनीतिक द्वेषता ही है.

पढ़ें: गंगापुर सिटी के जिले का दर्जा खत्म करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश - CANCELLED OF DISTRICT STATUS

याचिका में कहा गया कि सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले गंगापुर सिटी को जिला बनाया था और उसके बाद यहां कई प्रशासनिक नियुक्तियां हो चुकी हैं. यहां विभाग भी बतौर जिला स्तर पर काम कर रहे हैं. कमेटी ने लोगों से आपत्तियां मांगने के बाद इसे जिला घोषित किया था. ऐसे में अब महज राजनीतिक द्वेषता के चलते इसे जिला निरस्त करना गलत है. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने जनहित याचिका दायर करने से पहले राज्य सरकार से जिला निरस्त करने के आधारों की जानकारी मांगने के लिए क्या कार्रवाई की.

पढ़ें: भजनलाल कैबिनेट का बड़ा फैसला, गहलोत राज में बने 9 नए जिले और 3 संभाग निरस्त, अब 41 जिले रहेंगे - 9 NEW DISTRICTS CANCELED

याचिकाकर्ता राज्य सरकार के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ले सकता था, लेकिन याचिका में ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है. ऐसे में अदालत राज्य सरकार से सिर्फ इस बिंदु पर जवाब मांग रही है कि क्या जिला निरस्त करने का निर्णय विवेक से लिया गया है या नहीं? अदालत ने कहा कि जिलों का गठन, पुनर्गठन, सड़क, पूल आदि निर्माण की जगह तय करना सरकार का काम है. गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अगस्त, 2023 में 3 नए संभाग और 19 जिलों का गठन किया था. गत दिसंबर माह में सरकार ने तीनों संभागों के साथ ही 9 जिलों को निरस्त करते हुए 8 जिलों को यथावत रखा था.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने के मामले में राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि जिला खत्म करने निर्णय विवेक का इस्तेमाल कर लिया गया है या नहीं? वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को बताने को कहा है कि उन्होंने जनहित याचिका पेश करने से पूर्व राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए क्या किया है? अदालत ने याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से चेताया है कि यदि इस संबंध में कोई ठोस आधार नहीं बताया गया, तो जनहित याचिका को भारी हर्जाने के साथ खारिज किया जा सकता है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता ने बताई ये वजह (ETV Bharat Jaipur)

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सारांश सैनी ने अदालत को बताया कि गंगापुर सिटी को जिले का दर्जा निर्धारित मापदंड के तहत दिया गया था. प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिलों को लेकर राजनीति शुरु हुई और अब राजनीतिक द्वेषता के चलते ही कुछ जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया गया है. गंगापुर सिटी से जिला का दर्जा समाप्त करने के पीछे भी सरकार की राजनीतिक द्वेषता ही है.

पढ़ें: गंगापुर सिटी के जिले का दर्जा खत्म करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश - CANCELLED OF DISTRICT STATUS

याचिका में कहा गया कि सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले गंगापुर सिटी को जिला बनाया था और उसके बाद यहां कई प्रशासनिक नियुक्तियां हो चुकी हैं. यहां विभाग भी बतौर जिला स्तर पर काम कर रहे हैं. कमेटी ने लोगों से आपत्तियां मांगने के बाद इसे जिला घोषित किया था. ऐसे में अब महज राजनीतिक द्वेषता के चलते इसे जिला निरस्त करना गलत है. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने जनहित याचिका दायर करने से पहले राज्य सरकार से जिला निरस्त करने के आधारों की जानकारी मांगने के लिए क्या कार्रवाई की.

पढ़ें: भजनलाल कैबिनेट का बड़ा फैसला, गहलोत राज में बने 9 नए जिले और 3 संभाग निरस्त, अब 41 जिले रहेंगे - 9 NEW DISTRICTS CANCELED

याचिकाकर्ता राज्य सरकार के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ले सकता था, लेकिन याचिका में ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है. ऐसे में अदालत राज्य सरकार से सिर्फ इस बिंदु पर जवाब मांग रही है कि क्या जिला निरस्त करने का निर्णय विवेक से लिया गया है या नहीं? अदालत ने कहा कि जिलों का गठन, पुनर्गठन, सड़क, पूल आदि निर्माण की जगह तय करना सरकार का काम है. गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अगस्त, 2023 में 3 नए संभाग और 19 जिलों का गठन किया था. गत दिसंबर माह में सरकार ने तीनों संभागों के साथ ही 9 जिलों को निरस्त करते हुए 8 जिलों को यथावत रखा था.

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