लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावों में एक नारा दिया था 'बंटेंगे तो कटेंगे'. यह नारा पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ. हालांकि इस नारे को लेकर विपक्षी दलों ने नाराजगी भी जताई और इसके खिलाफ अनेक नए नारे गढ़े. अब सीएम योगी के दिए गए नारे की तर्ज पर बिजली विभाग में भी निजीकरण को लेकर नया नारा गढ़ा गया है. ये नारा है "बंटेंगे तो बिकेंगे"
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण करना चाहता है, ऐसे में अब बिजली के जितने भी संगठन हैं आपसी रंजिश और मतभेद भुलाकर एक ही मंच पर आने लगे हैं. ये नेता अब यह नारा दे रहे हैं "बंटेंगे तो बिकेंगे. इस नारे के जरिए बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी संदेश दिया जा रहा है कि हमें बंटना नहीं है. अगर बंट जाएंगे तो निश्चित है, प्रबंधन सब कुछ बेच देगा. जिस तरह पूर्वांचल और दक्षिणांचल को बेचने की तैयारी है.
बिजली निजीकरण के विरोध में एकजुट हुए संगठन. (Video Credit; ETV Bharat) एकजुटता से ही प्रबंधन को बैकफुट पर लाया जा सकता है. बिजली महापंचायत के दौरान लखनऊ में इस नारे के कई कटआउट्स लगाए गए. मंच पर भी विभिन्न संगठनों के नेताओं की एकजुटता नजर आई. मंच से एलान किया गया कि प्रबंधन के खिलाफ संगठित होकर लड़ाई लड़नी है. किसी भी कीमत पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण नहीं होने देना है. अगर इसमें पावर कॉरपोरेशन कामयाब हुआ तो निश्चित तौर पर हजारों की संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि हम प्रदेश भर में बिजली रथ यात्रा निकालेंगे. बिजली पंचायत का विभिन्न स्थानों पर आयोजन किया जाएगा. एक जनवरी को बिजली विभाग के सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे. एक जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा. बिजली कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए रणनीति पर काम किया जा रहा है. किसी कीमत पर हम बंटेंगे नहीं और अगर बंटेंगे नहीं तो यह तय है कि बिकने की नौबत नहीं आएगी. प्रबंधन को निजीकरण का फैसला हरहाल में वापस लेना होगा.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि कर्मचारियों की एकता ही निजीकरण को रोकने का सबसे बड़ा अस्त्र है. इससे प्रबंधन पर दबाव बनेगा. सरकार भी निजीकरण के फैसले से पीछे हटेगी, इसलिए हम सभी को एकजुटता दिखानी है, बंटना नहीं है. उनका कहना है कि उपभोक्ता परिषद एक ऐसा मॉडल तैयार कर रहा है जिसके लागू होने से बिजली विभाग में हर कीमत पर सुधार हो सकता है. निजीकरण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. उपभोक्ता परिषद निजीकरण को रोकने के लिए हर संघर्ष के लिए तैयार है.
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