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बलरामपुर अस्पताल स्थापना दिवस ; 156 बरस पहले 20 बेड से शुरू हुए अस्पताल में अब 776 बेड की सुविधा - BALRAMPUR HOSPITAL FOUNDATION DAY

राजा बलरामपुर ने 1902 में रखी थी अस्पताल की नींव. बलरामपुर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है.

बलरामपुर अस्पताल का स्थापना दिवस आज.
बलरामपुर अस्पताल का स्थापना दिवस आज. (Photo Credit ; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 5:06 PM IST

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल मंगलवार को 156 वर्ष का हो जाएगा. वर्ष 1869 में अस्पताल की नींव पड़ी, लेकिन उस समय अंग्रेजों का शासन काल था. अंग्रेजी सिपाहियों का इलाज यहां होता था. वर्ष 1902 में राजा बलरामपुर ने अस्पताल को विकसित किया. उन्होंने ही अस्पताल की नींव भी रखी थी. वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ, उसी समय सरकार ने बलरामपुर अस्पताल को अपने अधीन किया. आज यहां पर जांच की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं. पहले यह डिस्पेंसरी था और अब यह 776 बेड का सरकारी जिला अस्पताल है. बलरामपुर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि स्थापना दिवस के एक दिन पहले से ही विभिन्न आयोजन शुरू हो जाएंगे. समारोह को भव्यरूप देने के लिए अस्पताल प्रशासन तैयारियां पूरी करने में जुटा है. इमारत की रंगाई-पुताई की जा रही है. स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित कई हस्तियां शामिल हो सकती हैं.

देखें ; बलरामपुर अस्पताल के स्थापना दिवस पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट. (Video Credit ; ETV Bharat)

बलरामपुर अस्पताल राजा भगवती सिंह की देन

डॉ. सुशील प्रकाश के अनुसार बलरामपुर अस्पताल की नींव 155 साल पहले अंग्रेजों ने रखी थी. हालांकि लोग राजा भगवती सिंह की देन मानते हैं. जनवरी-1860 में 27 साल की उम्र में ब्रिटिश सर्जन फ्रेड्रिक ऑगस्टस की मौत हो गई. गोलागंज में उनका मकबरा बना, फिर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अंग्रेजों ने 1869 में यहीं पर 'रेजिडेंसी हिल डिस्पेंसरी' खोली. शुरुआत में यहां सैनिकों का इलाज होता था. बाद में आम लोगों का भी इलाज होने लगा. साल 1902 में राजा भगवती सिंह ने जमीन मुहैया करवाई, जिसके बाद यह डिस्पेंसरी अस्पताल में तब्दील कर दी गई.



12 बेड की थी डिस्पेंसरी


बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय तेवतिया ने बताया कि शुरुआती दौर में डिस्पेंसरी में सैनिकों के इलाज के लिए 12 बेड थे. धीरे-धीरे ब्रिटिश डॉक्टर यहां आम जनता का भी इलाज करने लगे. राजा बलरामपुर ने जब इसका विस्तार किया तो यहां उन्होंने 36 बेड लगवाए और मरीजों के इलाज के लिए उपकरण भी खरीदवाए. फरवरी 1948 में बलरामपुर अस्पताल सरकार के अधीन कर दिया गया. उस वक्त 20 बेड और बढ़ाए गए और एक विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ तीन डॉक्टर तैनात किए गए. साथ ही तीन कम्पाउंडर, 20 नर्स और 50 कर्मचारी रखे गए. उस वक्त यहां रोजाना करीब 200 मरीज देखे जाते थे. वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा एवं प्रतिष्ठित चिकित्सालय होने के साथ-साथ प्रदेश का रेफरल चिकित्सालय भी है, जहां जटिल मरीजों को प्रदेश के विभिन्न जनपदों से रेफर किया जाता है.



जल्द शुरू होगी एमआरआई
डॉ. संजय तेवतिया ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में तमाम सुविधाएं मरीजों के लिए हैं, लेकिन अभी एमआरआई की सुविधा नहीं है. जिसकी वजह से मरीज को तमाम दिक्कत होती है. इसके लिए बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है. इक्विपमेंट आने बाकी हैं. इसको लेकर के शासन को अवगत कराया गया है. जैसे ही फंड मिलेगा, मशीन उप्र पाॅवर कॉरपोरेशन से मंगवाई जाएगी. इसकी कवायद हमने शुरू कर दी गई है.



सुभाष चंद्र बोस भी करवा चुके इलाज

डॉ. संजय तेवतिया के अनुसार देश के स्वाधीनता आंदोलन में भी बलरामपुर अस्पताल की अहम भूमिका बताई जाती है. उस दौर में यहां कई क्रांतिकारियों का इलाज हुआ था. यहां जुड़े इतिहास के मुताबिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी एक बार बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराने आए थे. उनके अलावा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और विश्वनाथ प्रताप सिंह भी जब बीमार हुए तो उनका इलाज यहीं हुआ. इसी तरह मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, चंद्र भानु गुप्ता, श्रीपति शुक्ला और राम प्रकाश गुप्ता ने भी यहीं इलाज करवाया.



यहां से निकले डॉक्टरों का देश-विदेश में डंका


पीजीआई के वरिष्ठ न्यूरॉलाजिस्ट प्रो. सुनील प्रधान ने वर्ष 1979 में बलरामपुर अस्पताल में इंटर्नशिप किया था. ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. एनसी मिश्रा भी बलरामपुर अस्पताल से निकलकर केजीएमयू में प्रोफेसर बने. बलरामपुर अस्पताल के अधीक्षक रहे डॉ. एससी राय ने चिकित्सा और राजनीति के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया.

मॉड्यूलर ओटी तैयार


  • अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि मरीजों को और बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर तैयार किया गया है. स्थापना दिवस पर इसका संचालन शुरू करा दिया जाएगा. यह ओटी तकनीकी उपकरणों से लैस होगी. जिससे मरीज को संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा. इसका संचालन होने से मरीजों को बड़े चिकित्सा संस्थान नहीं जाना पड़ेगा.


    बमरामपुर अस्पताल में व्यवस्थाएं और सुविधाएं
  • 64 डॉक्टर
  • 776 बेड
  • 75 बेड की इमरजेंसी
  • मुफ्त में डायलिसिस की सुविधा
  • 28 बेड की वेंटिलेटर यूनिट
  • प्राइवेट वॉर्ड की सुविधा
  • सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की सुविधा
  • 24 घंटे इमजरेंसी
  • -24 घंटे पैथॉलजी की सुविधा
  • 24 घंटे शव वाहन




यह भी पढ़ें : यूपी का दरियादिल चिकित्सक; खुद के वेतन से कराते हैं गरीब मरीजों का इलाज, 8 साल से जारी है सफर, पढ़िए डिटेल - HUMANISTIC DOCTORS

यह भी पढ़ें : प्रदेश के डायलिसिस नोडल सेंटर से लौटाए जा रहे मरीज, पीपीपी यूनिट में भी महीनेभर की वेटिंग - NEGLIGENCE IN DIALYSIS NODAL CENTER

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल मंगलवार को 156 वर्ष का हो जाएगा. वर्ष 1869 में अस्पताल की नींव पड़ी, लेकिन उस समय अंग्रेजों का शासन काल था. अंग्रेजी सिपाहियों का इलाज यहां होता था. वर्ष 1902 में राजा बलरामपुर ने अस्पताल को विकसित किया. उन्होंने ही अस्पताल की नींव भी रखी थी. वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ, उसी समय सरकार ने बलरामपुर अस्पताल को अपने अधीन किया. आज यहां पर जांच की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं. पहले यह डिस्पेंसरी था और अब यह 776 बेड का सरकारी जिला अस्पताल है. बलरामपुर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि स्थापना दिवस के एक दिन पहले से ही विभिन्न आयोजन शुरू हो जाएंगे. समारोह को भव्यरूप देने के लिए अस्पताल प्रशासन तैयारियां पूरी करने में जुटा है. इमारत की रंगाई-पुताई की जा रही है. स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित कई हस्तियां शामिल हो सकती हैं.

देखें ; बलरामपुर अस्पताल के स्थापना दिवस पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट. (Video Credit ; ETV Bharat)

बलरामपुर अस्पताल राजा भगवती सिंह की देन

डॉ. सुशील प्रकाश के अनुसार बलरामपुर अस्पताल की नींव 155 साल पहले अंग्रेजों ने रखी थी. हालांकि लोग राजा भगवती सिंह की देन मानते हैं. जनवरी-1860 में 27 साल की उम्र में ब्रिटिश सर्जन फ्रेड्रिक ऑगस्टस की मौत हो गई. गोलागंज में उनका मकबरा बना, फिर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अंग्रेजों ने 1869 में यहीं पर 'रेजिडेंसी हिल डिस्पेंसरी' खोली. शुरुआत में यहां सैनिकों का इलाज होता था. बाद में आम लोगों का भी इलाज होने लगा. साल 1902 में राजा भगवती सिंह ने जमीन मुहैया करवाई, जिसके बाद यह डिस्पेंसरी अस्पताल में तब्दील कर दी गई.



12 बेड की थी डिस्पेंसरी


बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय तेवतिया ने बताया कि शुरुआती दौर में डिस्पेंसरी में सैनिकों के इलाज के लिए 12 बेड थे. धीरे-धीरे ब्रिटिश डॉक्टर यहां आम जनता का भी इलाज करने लगे. राजा बलरामपुर ने जब इसका विस्तार किया तो यहां उन्होंने 36 बेड लगवाए और मरीजों के इलाज के लिए उपकरण भी खरीदवाए. फरवरी 1948 में बलरामपुर अस्पताल सरकार के अधीन कर दिया गया. उस वक्त 20 बेड और बढ़ाए गए और एक विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ तीन डॉक्टर तैनात किए गए. साथ ही तीन कम्पाउंडर, 20 नर्स और 50 कर्मचारी रखे गए. उस वक्त यहां रोजाना करीब 200 मरीज देखे जाते थे. वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा एवं प्रतिष्ठित चिकित्सालय होने के साथ-साथ प्रदेश का रेफरल चिकित्सालय भी है, जहां जटिल मरीजों को प्रदेश के विभिन्न जनपदों से रेफर किया जाता है.



जल्द शुरू होगी एमआरआई
डॉ. संजय तेवतिया ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में तमाम सुविधाएं मरीजों के लिए हैं, लेकिन अभी एमआरआई की सुविधा नहीं है. जिसकी वजह से मरीज को तमाम दिक्कत होती है. इसके लिए बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है. इक्विपमेंट आने बाकी हैं. इसको लेकर के शासन को अवगत कराया गया है. जैसे ही फंड मिलेगा, मशीन उप्र पाॅवर कॉरपोरेशन से मंगवाई जाएगी. इसकी कवायद हमने शुरू कर दी गई है.



सुभाष चंद्र बोस भी करवा चुके इलाज

डॉ. संजय तेवतिया के अनुसार देश के स्वाधीनता आंदोलन में भी बलरामपुर अस्पताल की अहम भूमिका बताई जाती है. उस दौर में यहां कई क्रांतिकारियों का इलाज हुआ था. यहां जुड़े इतिहास के मुताबिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी एक बार बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराने आए थे. उनके अलावा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और विश्वनाथ प्रताप सिंह भी जब बीमार हुए तो उनका इलाज यहीं हुआ. इसी तरह मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, चंद्र भानु गुप्ता, श्रीपति शुक्ला और राम प्रकाश गुप्ता ने भी यहीं इलाज करवाया.



यहां से निकले डॉक्टरों का देश-विदेश में डंका


पीजीआई के वरिष्ठ न्यूरॉलाजिस्ट प्रो. सुनील प्रधान ने वर्ष 1979 में बलरामपुर अस्पताल में इंटर्नशिप किया था. ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. एनसी मिश्रा भी बलरामपुर अस्पताल से निकलकर केजीएमयू में प्रोफेसर बने. बलरामपुर अस्पताल के अधीक्षक रहे डॉ. एससी राय ने चिकित्सा और राजनीति के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया.

मॉड्यूलर ओटी तैयार


  • अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि मरीजों को और बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर तैयार किया गया है. स्थापना दिवस पर इसका संचालन शुरू करा दिया जाएगा. यह ओटी तकनीकी उपकरणों से लैस होगी. जिससे मरीज को संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा. इसका संचालन होने से मरीजों को बड़े चिकित्सा संस्थान नहीं जाना पड़ेगा.


    बमरामपुर अस्पताल में व्यवस्थाएं और सुविधाएं
  • 64 डॉक्टर
  • 776 बेड
  • 75 बेड की इमरजेंसी
  • मुफ्त में डायलिसिस की सुविधा
  • 28 बेड की वेंटिलेटर यूनिट
  • प्राइवेट वॉर्ड की सुविधा
  • सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की सुविधा
  • 24 घंटे इमजरेंसी
  • -24 घंटे पैथॉलजी की सुविधा
  • 24 घंटे शव वाहन




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