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महाकुंभ में शुरू हुई वैष्णव अखाड़ों की अद्भुत अग्नि स्नान साधना, 18 साल तक आग जलाकर तप करते हैं साधु - MAHA KUMBH MELA 2025

महाकुंभ में दिगम्बर अनी अखाड़ा के साधकों ने आरंभ की पंच धूनी की कठिन तपस्या, बसंत पंचमी से शुरू होती है साधना.

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महाकुंभ में शुरू हुई पंच धूनी तपस्या (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 5:43 PM IST

प्रयागराज: महाकुंभ नगर में देश दुनिया से आने वाले हठयोगी कई तरह के जप तप करते हैं. त्याग और तपस्या के साथ विभिन्न साधनाओं में लीन रहते हैं. ऐसी ही एक साधना है पंच धूनी तपस्या, जिसे अग्नि स्नान की साधना भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से होती है.

18 साल तक 5 माह करनी होती है यह तपस्या : वैष्णव अखाड़े में खालसा के संत 18 साल 5 माह तक अपने चारों ओर आग जलाकर साधना करते हैं. श्री दिगंबर अखाड़े के महंत राघव दास ने बताया कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़े के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी के अखिल भारतीय पांच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधक ही करते हैं. यह एक प्रकार की विशेष साधना है जो की 18 वर्षों तक की जाती है. इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण हो जाता है. लगातार 18 साल तक साल के पांच माह इस कठोर तप से साधकों को गुजरना पड़ता है. इसके बाद ही साधु को बैरागी की उपाधि मिलती है. कई साधक इस साधना के बीच में ही आग का तप बर्दाश्त नहीं कर पाते और साधना बीच में ही छोड़ जाते हैं.

महाकुंभ में साधु पंच धूनी की कठिन तपस्या करते हुए (Video Credit; ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें - बसंत पंचमी अमृत स्नान; जिस रास्ते से गुजरे नागा संन्यासी और साधु-संत वहां की मिट्टी घर ले जा रहे भक्त, जानिए वजह - MAHA KUMBH MELA 2025


पंच धूनी साधना में अंगारों के बीच बैठते हैं तपस्वी : कुंभ क्षेत्र जप, तप और साधना का क्षेत्र है. महाकुंभ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना का आरंभ हुआ है, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है. इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है. इसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं. इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है. जिस आग की हल्की से आंच के सम्पर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं.

यह भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; बसंत पंचमी पर संगम समेत गंगा के सभी घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता, 92 साल के गुरू को कंधे पर बिठाकर पहुंचे हरियाणा के बबलू - MAHAKUMBH BASANT PANCHAMI SNAN

प्रयागराज: महाकुंभ नगर में देश दुनिया से आने वाले हठयोगी कई तरह के जप तप करते हैं. त्याग और तपस्या के साथ विभिन्न साधनाओं में लीन रहते हैं. ऐसी ही एक साधना है पंच धूनी तपस्या, जिसे अग्नि स्नान की साधना भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से होती है.

18 साल तक 5 माह करनी होती है यह तपस्या : वैष्णव अखाड़े में खालसा के संत 18 साल 5 माह तक अपने चारों ओर आग जलाकर साधना करते हैं. श्री दिगंबर अखाड़े के महंत राघव दास ने बताया कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़े के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी के अखिल भारतीय पांच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधक ही करते हैं. यह एक प्रकार की विशेष साधना है जो की 18 वर्षों तक की जाती है. इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण हो जाता है. लगातार 18 साल तक साल के पांच माह इस कठोर तप से साधकों को गुजरना पड़ता है. इसके बाद ही साधु को बैरागी की उपाधि मिलती है. कई साधक इस साधना के बीच में ही आग का तप बर्दाश्त नहीं कर पाते और साधना बीच में ही छोड़ जाते हैं.

महाकुंभ में साधु पंच धूनी की कठिन तपस्या करते हुए (Video Credit; ETV Bharat)

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पंच धूनी साधना में अंगारों के बीच बैठते हैं तपस्वी : कुंभ क्षेत्र जप, तप और साधना का क्षेत्र है. महाकुंभ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना का आरंभ हुआ है, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है. इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है. इसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं. इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है. जिस आग की हल्की से आंच के सम्पर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं.

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