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मेवाड़ रॉयल फैमिली का विवाद : विश्वराज सिंह नहीं कर पाए धूणी दर्शन, पढ़ें पूरा घटनाक्रम

उदयपुर में विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक के दौरान विवाद बढ़ गया, जो पथराव तक पहुंच गया. विश्वराज सिंह धूणी दर्शन नहीं कर पाए.

मेवाड़ राजपरिवार का विवाद
मेवाड़ राजपरिवार का विवाद (ETV Bharat Udaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

Updated : 3 hours ago

उदयपुर :पूर्व सांसद और पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र विश्वराज सिंह मेवाड़ का सोमवार को राजतिलक किया गया. इस बीच मेवाड़ राजपरिवार का पूरा विवाद सड़क पर पहुंच गया. उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणी दर्शन को लेकर शुरू हुआ विवाद पथराव में बदल गया. अचानक माहौल तनावपूर्ण हो गया, जिसमें कुछ लोग घायल भी हो गए. देर रात को कुछ बातों पर सहमति बनने के बाद लोग वहां से चले गए. प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर रिसीवर नियुक्त कर दिया है. इसका नोटिस सिटी पैलेस के गेट पर चिपकाया गया है. अब विवादित जगह को लेकर रिसीवर डिसीजन लेगा. वहीं, विश्वराज सिंह मेवाड़ रात करीब 1.30 बजे बिना धूणी दर्शन किए अपने निवास समोर बाग लौट गए.

स्थिति काबू में है. कुछ बातों को लेकर सहमति बनी, कुछ पर नहीं. विवादित एरिया पर रिसीवर नियुक्त किया गया है. कानून व्यवस्था नियंत्रण में है.: अरविंद कुमार पोसवाल, जिला कलेक्टर

विश्वराज सिंह मेवाड़ ने जगदीश चौक पर जगदीश मंदिर की सीढ़ियों से अपने समर्थकों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'आप लोगों ने सही बात के लिए आवाज उठाई, इस बात की खुशी है, लेकिन कानून हाथ में नहीं लें. मुझे दर्शन करने थे, लेकिन बात ऐसी बढ़ी कि रात के 2 बज गए. अब जो रास्ता निकला है, प्रशासन ने जो नोटिस लगाया है, उस पर काम हो. रिसीवर मंगलवार से काम करेगा और पत्थर फेंकने वालों पर कार्रवाई करेगा.'

अरविंद कुमार पोसवाल, जिला कलेक्टर (ETV Bharat Udaipur)

पढ़ें.विश्वराज सिंह का खून से हुआ राजतिलक, सिटी पैलेस में घुसने पर अड़े समर्थक, हुआ पथराव

नाथद्वारा से विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ का हुआ राजतिलक :नाथद्वारा से विधायक और मेवाड़ और पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़ के फतेह प्रकाश महल में विधि-विधान के साथ सोमवार को राजतिलक किया गया. राजतिलक के बाद वह अपने लवाजमे के साथ उदयपुर पहुंचे. उनका उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणी माता दर्शन करने का कार्यक्रम था, लेकिन इससे पहले ही सिटी पैलेस के सभी दरवाजे बंद करवा दिए गए. बड़ी संख्या में लोग जगदीश चौक पहुंचे, जहां सिटी पैलेस के बाहर पहले से बैरिकेडिंग की गई थी. कई घंटे तक प्रशासन की मध्यस्थता और वार्तालाप का दौर चलता रहा. इस बीच विश्वराज सिंह मेवाड़ अपनी गाड़ी में बैठे रहे, लेकिन काफी देर बाद भी वार्ता सफल नहीं होने के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ अपनी गाड़ी से उतरकर पैदल सिटी पैलेस की तरफ निकल पड़े.

राजपरिवार सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ (ETV Bharat Udaipur)

अचानक हुआ पथराव, माहौल गरमाया :इस बीच अचानक सिटी पैलेस के अंदर से पथराव होने लगा. इसमें कुछ लोग घायल भी हो गए, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया. इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. वहीं, कुछ लोग पैलेस की दीवार पर भी चढ़ने लगे. विश्वराज सिंह मेवाड़ भी पहले से कुछ दूरी पर अपने समर्थकों के साथ बैठ गए. शाम 5:30 बजे से विवाद शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा.

पढ़ें.पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ पंचतत्व में विलीन, लोगों ने नम आखों से दी विदाई, अंतिम दर्शन करने पहुंचे सीएम

विवादित जगह कुर्क, रिसीवर नियुक्त :प्रशासन ने दोनों पक्षों में विवाद शांत कराने की बात की, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए विवादित धूणी वाली जगह को कुर्क कर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त कर दिया. इसका नोटिस सिटी पैलेस के गेट पर चिपकाया गया है. उत्तराधिकार दस्तूर के बाद विश्वराज सिंह का सिटी पैलेस में धूणी दर्शन का कार्यक्रम है, जबकि सिटी पैलेस दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्जे में है. दिवंगत भगवत सिंह मेवाड़ की वसीयत से अरविंद सिंह स्वयं को महाराणा मेवाडट चैरिटेबल फाउंडेशन का अध्यक्ष बताते हैं. इस बारे में ट्रस्ट की ओर से रविवार शाम दो आम सूचनाएं जारी की गईं. एक अन्य आम सूचना में कहा गया कि विश्वराज ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं और सोमवार को पैलेस म्यूजियम में सुरक्षा की दृष्टि से अनाधिकृत लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

चिपकाया गया नोटिस (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर)

विश्वराज के एकलिंग जी मंदिर जाने का भी कार्यक्रम बनाया गया. इस बारे में भी ट्रस्ट की ओर से एक अन्य आम सूचना में बताया गया कि अरविंद सिंह ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. इस मंदिर में भी अनाधिकृत प्रवेश निषेध रहेगा. ट्रस्ट की संपत्ति को नुकसान की आशंका जताते हुए पुलिस एवं प्रशासन से ट्रस्ट की सुरक्षा मांगी गई. बता दें कि विश्वराज सिंह वर्तमान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि उनकी पत्नी महिमा सिंह राजसमंद लोकसभा से सांसद हैं.

चार दशकों से जारी है प्रॉपर्टी विवाद : महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया था, तो कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी. इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं. ये सभी प्रॉपर्टी राजघराने की ओर से स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थी. यहीं से विवाद शुरू हुआ. पिता के फैसले से नाराज होकर महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के खिलाफ न्यायालय में शरण ली. महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सबमें बराबर बांटा जाए.

दरअसल, रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था, जिसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वह राजा बनेगा. स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी. अपने बेटे के केस फाइल करने से भगवत सिंह नाराज हो गए. महाराणा भगवत सिंह ने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता. यह इंपोर्टेबल इस्टेट यानी अविभाजीय है. महाराणा भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया था. 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया.

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