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दोनों पैर खोए तो मां ने दी हिम्मत, अब राहुल नेशनल पैरा गेम्स में लेंगे हिस्सा, जुगाड़ के धनुष से साध रहे निशाना - RAHUL VERMA ARCHERY

कोटा के राहुल ने एक हादसे में अपने दोनों पैर खो दिए, लेकिन अपने हौसले के कारण वो नेशनल पैरा गेम्स में हिस्सा लेंगे...

कोटा के राहुल वर्मा
कोटा के राहुल वर्मा (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 7, 2025, 6:33 AM IST

Updated : 22 hours ago

मनीष गौतम, कोटा : कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती, ऐसा ही कर दिखाया है प्रेम नगर निवासी राहुल वर्मा ने, जिन्होंने अपने दोनों पैर ट्रेन एक्सीडेंट में खो दिए थे. अपनी मां की हिम्मत की बदौलत उन्होंने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी. तीरंदाजी की राह अपनाते हुए राहुल अब नेशनल पैरा गेम्स में हिस्सा लेने जा रहे हैं.

मां ने दी हिम्मत तब पलंग से उतरा : राहुल बताते हैं कि डकनिया स्टेशन के नजदीक रेल दुर्घटना में उनके दोनों पैर 2017 में चले गए थे. अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर तो पहुंच गए, लेकिन पलंग से उतरने की हिम्मत ही नहीं हुई. धीरे-धीरे जख्म तो ठीक हो गए, लेकिन हिम्मत पूरी तरह से टूट गई थी. तब उनकी मां मीरा ने हौसला दिया. एक साल उन्हें पलंग से उतरने में लग गया. इसके बाद मां के कहने पर ही उन्होंने थोड़ी कसरत शुरू की. नौकरी का ऑफर आया तब पहले पेट्रोल पंप और फिर मैस में काम करने लग गया. हिम्मत देने वाली मां 2019 में साथ छोड़ गई, लेकिन काम चलता रहा.

राहुल मजबूत इरादों से संवार रहे अपना भविष्य. (ETV Bharat Kota)

पढ़ें.समाज ने दुत्कारा, फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेर रही भरतपुर की पैरा प्लेयर सोनिया चौधरी

बीच सड़क पर राहुल को मिले थे कोच : धीरे-धीरे जीवन पटरी पर आने लगी. उन्होंने जो रोजगार शुरू किया, उसमें सब कुछ ठीक चलने लग गया था. हर महीने 10 से 12 हजार की इनकम भी हो रही थी. इस दौरान तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी डीसीएम एरिया से गुजर रहे थे. उन्होंने राहुल को वहां से जाते हुए देखा और उसके पास जाकर गाड़ी रोकी और दुर्घटना के संबंध में जानकारी ली. बाद में कहा कि कुछ अलग करना चाहते हो तो मुझसे संपर्क कर लेना. इसके तुरंत बाद ही राहुल तीरंदाजी की तरफ आए.

6 महीने से लगातार मेहनत कर रहे राहुल
6 महीने से लगातार मेहनत कर रहे राहुल (ETV Bharat Kota)

खोनी पड़ी मैस की नौकरी : तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह का कहना है कि एक छोटा सा इंटरेक्शन राहुल से हुआ और राहुल की बॉडी को देखते हुए उन्होंने कहा कि तुम अच्छा आर्चरी कर सकते हो. पैरा गेम्स में तुम्हारे लिए अच्छा अवसर भी मिल सकता है. राहुल ने भी इसमें सहमति जता दी और 6 महीने लगातार प्रैक्टिस करते रहे. इसके चलते उन्हें अपनी मैस की नौकरी खोनी पड़ गई, क्योंकि प्रैक्टिस के चलते जॉब पर पूरा टाइम नहीं दे पा रहे थे. राहुल वर्मा का कहना है कि मैं प्रैक्टिस के लिए नौकरी के बाद टाइम निकाल रहा था. इसपर मालिक ने कहा कि नौकरी या आर्चरी में से एक चीज चुन लो, तो आर्चरी को चुनना सही समझा.

तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी के साथ राहुल
तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी के साथ राहुल (ETV Bharat Kota)

पढे़ं. National Disabled Cricket Championship: दिव्यांग क्रिकेटर्स की संघर्ष की कहानी, हाथ-पैर खोए, लेकिन हिम्मत नहीं

4 महीने खाली बैठा रहा फिर मिली नौकरी : राहुल वर्मा का कहना है कि करीब 4 महीने खाली रहने के बाद वापस एक रेस्टोरेंट ने उन्हें नौकरी पर रखा है. साथ ही प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें समय भी दिया है. बृजपाल सिंह सोलंकी का कहना है कि राहुल वर्तमान में परफेक्ट निशाने लगाने लग गया है. उसके तीर सटीक जा रहे हैं और उससे मेडल की उम्मीद भी की जा सकती है. अब राहुल 11 तारीख को जयपुर में नेशनल पैरा गेम्स में पार्टिसिपेट करेंगे. उन्हें रेस्टोरेंट ने 15 दिन प्रैक्टिस के लिए छुट्टी दी है. इसके बाद उम्मेदगंज रोड पर 80 फीट अंडरपास के नजदीक स्थित एसपी तीरंदाजी एकेडमी पर वे सुबह 7 से रात 8 बजे तक लगातार प्रैक्टिस करते हैं.

व्हीलचेयर पर बैठकर करते हैं तीरंदाजी
व्हीलचेयर पर बैठकर करते हैं तीरंदाजी (ETV Bharat Kota)

जुगाड़ का धनुष : राहुल के पिता रामफूल बैरवा मजदूरी करते थे. वर्तमान में उम्र ज्यादा होने के चलते मजदूरी भी नहीं कर रहे हैं और घर पर ही रहते हैं. राहुल और उसके भाई ही परिवार को चला रहे थे. राहुल भी उसमें मदद कर रहा था, लेकिन तीरंदाजी के चलते रोजगार छूट गया था. इसमें परेशानी भी हुई. लाखों रुपए का आर्चरी धनुष जुगाड़ किया गया. इसमें कुछ पैसा राहुल ने दिया, कुछ कोच बृजपाल सिंह, उनके परिजनों और अन्य आर्चरी के खिलाड़ियों के परिजनों ने राहुल की मदद की है. आखिर 1.60 लाख के इक्विपमेंट उसे मुहैया करा दिए हैं.

रेल दुर्घटना में राहुल के दोनों पैर कट गए थे
रेल दुर्घटना में राहुल के दोनों पैर कट गए थे (ETV Bharat Kota)

अभी भी व्हीलचेयर और तीर की जरूरत : राहुल वर्मा जुगाड़ के धनुष और अन्य उपकरणों की बदौलत ही इस प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करेंगे, लेकिन अभी भी उनको खेलने के लिए चेयर की जरूरत है. इसके साथ ही उनके पास प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने के लिए तीर भी नहीं है. दोनों की कीमत हजारों रुपए में है. राहुल और उसके कोच को उम्मीद है कि कोई मदद करने के लिए आएगा. बृजपाल सिंह सोलंकी इससे पहले भी एक पैरा तीरंदाज को तैयार कर चुके हैं. बोरखेड़ा निवासी अरविंद सैनी पैरा तीरंदाजी के नेशनल गेम्स में शामिल हुआ था. उसकी भी सड़क दुर्घटना में दोनों पर चले गए थे.

मनीष गौतम, कोटा : कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती, ऐसा ही कर दिखाया है प्रेम नगर निवासी राहुल वर्मा ने, जिन्होंने अपने दोनों पैर ट्रेन एक्सीडेंट में खो दिए थे. अपनी मां की हिम्मत की बदौलत उन्होंने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी. तीरंदाजी की राह अपनाते हुए राहुल अब नेशनल पैरा गेम्स में हिस्सा लेने जा रहे हैं.

मां ने दी हिम्मत तब पलंग से उतरा : राहुल बताते हैं कि डकनिया स्टेशन के नजदीक रेल दुर्घटना में उनके दोनों पैर 2017 में चले गए थे. अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर तो पहुंच गए, लेकिन पलंग से उतरने की हिम्मत ही नहीं हुई. धीरे-धीरे जख्म तो ठीक हो गए, लेकिन हिम्मत पूरी तरह से टूट गई थी. तब उनकी मां मीरा ने हौसला दिया. एक साल उन्हें पलंग से उतरने में लग गया. इसके बाद मां के कहने पर ही उन्होंने थोड़ी कसरत शुरू की. नौकरी का ऑफर आया तब पहले पेट्रोल पंप और फिर मैस में काम करने लग गया. हिम्मत देने वाली मां 2019 में साथ छोड़ गई, लेकिन काम चलता रहा.

राहुल मजबूत इरादों से संवार रहे अपना भविष्य. (ETV Bharat Kota)

पढ़ें.समाज ने दुत्कारा, फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेर रही भरतपुर की पैरा प्लेयर सोनिया चौधरी

बीच सड़क पर राहुल को मिले थे कोच : धीरे-धीरे जीवन पटरी पर आने लगी. उन्होंने जो रोजगार शुरू किया, उसमें सब कुछ ठीक चलने लग गया था. हर महीने 10 से 12 हजार की इनकम भी हो रही थी. इस दौरान तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी डीसीएम एरिया से गुजर रहे थे. उन्होंने राहुल को वहां से जाते हुए देखा और उसके पास जाकर गाड़ी रोकी और दुर्घटना के संबंध में जानकारी ली. बाद में कहा कि कुछ अलग करना चाहते हो तो मुझसे संपर्क कर लेना. इसके तुरंत बाद ही राहुल तीरंदाजी की तरफ आए.

6 महीने से लगातार मेहनत कर रहे राहुल
6 महीने से लगातार मेहनत कर रहे राहुल (ETV Bharat Kota)

खोनी पड़ी मैस की नौकरी : तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह का कहना है कि एक छोटा सा इंटरेक्शन राहुल से हुआ और राहुल की बॉडी को देखते हुए उन्होंने कहा कि तुम अच्छा आर्चरी कर सकते हो. पैरा गेम्स में तुम्हारे लिए अच्छा अवसर भी मिल सकता है. राहुल ने भी इसमें सहमति जता दी और 6 महीने लगातार प्रैक्टिस करते रहे. इसके चलते उन्हें अपनी मैस की नौकरी खोनी पड़ गई, क्योंकि प्रैक्टिस के चलते जॉब पर पूरा टाइम नहीं दे पा रहे थे. राहुल वर्मा का कहना है कि मैं प्रैक्टिस के लिए नौकरी के बाद टाइम निकाल रहा था. इसपर मालिक ने कहा कि नौकरी या आर्चरी में से एक चीज चुन लो, तो आर्चरी को चुनना सही समझा.

तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी के साथ राहुल
तीरंदाजी कोच बृजपाल सिंह सोलंकी के साथ राहुल (ETV Bharat Kota)

पढे़ं. National Disabled Cricket Championship: दिव्यांग क्रिकेटर्स की संघर्ष की कहानी, हाथ-पैर खोए, लेकिन हिम्मत नहीं

4 महीने खाली बैठा रहा फिर मिली नौकरी : राहुल वर्मा का कहना है कि करीब 4 महीने खाली रहने के बाद वापस एक रेस्टोरेंट ने उन्हें नौकरी पर रखा है. साथ ही प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें समय भी दिया है. बृजपाल सिंह सोलंकी का कहना है कि राहुल वर्तमान में परफेक्ट निशाने लगाने लग गया है. उसके तीर सटीक जा रहे हैं और उससे मेडल की उम्मीद भी की जा सकती है. अब राहुल 11 तारीख को जयपुर में नेशनल पैरा गेम्स में पार्टिसिपेट करेंगे. उन्हें रेस्टोरेंट ने 15 दिन प्रैक्टिस के लिए छुट्टी दी है. इसके बाद उम्मेदगंज रोड पर 80 फीट अंडरपास के नजदीक स्थित एसपी तीरंदाजी एकेडमी पर वे सुबह 7 से रात 8 बजे तक लगातार प्रैक्टिस करते हैं.

व्हीलचेयर पर बैठकर करते हैं तीरंदाजी
व्हीलचेयर पर बैठकर करते हैं तीरंदाजी (ETV Bharat Kota)

जुगाड़ का धनुष : राहुल के पिता रामफूल बैरवा मजदूरी करते थे. वर्तमान में उम्र ज्यादा होने के चलते मजदूरी भी नहीं कर रहे हैं और घर पर ही रहते हैं. राहुल और उसके भाई ही परिवार को चला रहे थे. राहुल भी उसमें मदद कर रहा था, लेकिन तीरंदाजी के चलते रोजगार छूट गया था. इसमें परेशानी भी हुई. लाखों रुपए का आर्चरी धनुष जुगाड़ किया गया. इसमें कुछ पैसा राहुल ने दिया, कुछ कोच बृजपाल सिंह, उनके परिजनों और अन्य आर्चरी के खिलाड़ियों के परिजनों ने राहुल की मदद की है. आखिर 1.60 लाख के इक्विपमेंट उसे मुहैया करा दिए हैं.

रेल दुर्घटना में राहुल के दोनों पैर कट गए थे
रेल दुर्घटना में राहुल के दोनों पैर कट गए थे (ETV Bharat Kota)

अभी भी व्हीलचेयर और तीर की जरूरत : राहुल वर्मा जुगाड़ के धनुष और अन्य उपकरणों की बदौलत ही इस प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करेंगे, लेकिन अभी भी उनको खेलने के लिए चेयर की जरूरत है. इसके साथ ही उनके पास प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने के लिए तीर भी नहीं है. दोनों की कीमत हजारों रुपए में है. राहुल और उसके कोच को उम्मीद है कि कोई मदद करने के लिए आएगा. बृजपाल सिंह सोलंकी इससे पहले भी एक पैरा तीरंदाज को तैयार कर चुके हैं. बोरखेड़ा निवासी अरविंद सैनी पैरा तीरंदाजी के नेशनल गेम्स में शामिल हुआ था. उसकी भी सड़क दुर्घटना में दोनों पर चले गए थे.

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