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थैलसीमिया और सिकल सेल एनीमिया को रोकने में कारगर भूमिका निभाएंगे मरीज! जनता के बीच फैलाएंगे जागरुकता - थैलसीमिया और सिकल सेल एनीमिया

Prevention of Thalassemia and Sickle Cell Anemia. राजधानी रांची सहित झारखंड के कई जिलों में थैलेसीमिया बीमारी का प्रसार तेजी से हो रहा है. इसकी रोकथाम के लिए सदर अस्पताल रांची की ओर से पहल की गई है. इसके तहत थैलेसीमिया मरीजों को जानकारी देकर जागरुकता फैलाई जाएगी.

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Sadar Hospital Ranchi

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 21, 2024, 4:34 PM IST

Prevention Of Thalassemia and Sickle Cell Anemia

रांची:झारखंड में खून से संबंधित जेनेटिक डिसऑर्डर बीमारी थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. इस बीमारी के कैरियर और मेजर के मरीजों की संख्या को मिला दें तो राज्य में 50 हजार से अधिक की संख्या है. रांची जिले में भी पिछले दिनों हुई स्क्रीनिंग में बड़ी संख्या में सिकल सेल एनीमिया के डिजीज और ट्रेट तथा थैलेसीमिया के माइनर और मेजर केस मिले हैं. ऐसे में रांची के सदर अस्पताल का पैथोलॉजी विभाग इन बीमारियों के फैलाव रोकने और अगली पीढ़ी में यह बीमारी नहीं जाए इसके लिए जन जागरुकता कार्यक्रम शुरू किया है.

थैलेसीमिक और सिकल सेल एनीमिक मरीजों को दी गई अहम जानकारीःइस कार्यक्रम के तहत रांची जिले के 200 से ज्यादा थैलेसीमिक और सिकल सेल एनीमिक मरीजों को बीमारी के लक्षण, इसकी भयावकता और कैसे इस बीमारी को अगली पीढ़ी में जाने से रोका जाए इस बात की जानकारी सदर अस्पताल में दी गई. यहां से जानकारी लेकर जब ये 200 मरीज अपने-अपने गांव और पंचायत में जाएंगे तो वह अपने आसपास के 10-10 लोगों को बताएंगे कि कैसे इस बीमारी को खतरनाक रूप से दूसरे पीढ़ी में जाने से रोका जा सकता है.

रांची में 72337 लोगों की हुई स्क्रीनिंग, बड़ी संख्या मरीजों की हुई पहचानः सदर अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ बिमलेश कुमार सिंह ने बताया रांची जिले में 72337 संदिग्ध लोगों की जांच हुई थी, जिसमें सिकल सेल एनीमिया डिजीज के 300 मरीज और 2500 ट्रेट मरीज मिले. वहीं थैलसीमिया के 78 बीटा थैलेसीमिक, 458 माइनर और 203 मेजर मामले मिले हैं. डॉ बिमलेश सिंह ने बताया कि पिछले दिनों कांके में 35 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें 15 पॉजिटिव केस थैलेसीमिया -सिकल सेल एनीमिया के मिले हैं. बेड़ो और तमाड़ इलाके में भी बड़ी संख्या में रक्त संबंधित जेनेटिक डिसऑर्डर की बीमारी मिली है.

गर्भवती महिलाओं की पहले तीन महीने में पेट के पानी की जांच जरूरीः रांची सदर अस्पताल में थैलेसीमिया-सिकल सेल एनीमिया को लेकर मरीजों की काउंसिलिंग करने के बाद डॉ मोनिका भारती ने बताया कि इस बीमारी को दूसरी पीढ़ी में जाने से रोकने के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाओं के गर्भ के पहले तीन महीने के अंदर पेट की पानी का टेस्ट जरूर कराया जाए. इसके साथ साथ शादी के समय विशेष ख्याल यह रखा जाए कि इन दोनों बीमारियों के कैरियर (माइनर-मेजर) की आपस में शादी नहीं हो. ऐसे में जब शादी हो तो विशेष ध्यान रखा जाए.

गंभीर मामलों में इलाज और पीआरबीसी चढ़ाने की आती है नौबतः डॉ श्वेता ने कहा कि जब बीमारी का माइनर या ट्रेट का मरीज होता है तो वह इन बीमारियों का कैरियर होने के बावजूद सामान्य जीवन जीता है, जबकि डिजीज और मेजर के मामले में इलाज और पीआरबीसी चढ़ाने की जरूरत होती है.आज के काउंसिलिंग कार्यक्रम में डॉ बिमलेश सिंह, डॉ मोनिका भारती, डॉ श्वेता, डॉ स्टीफन खेस, रविशंकर सिंह, संजय पांडे आदि उपस्थित रहे.

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