पटना:चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोरकी नेतृत्व वाली पार्टी जन सुराज ने उपचुनाव में दो-दो हाथ किया, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई. ऐसे में अब 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर कई मोर्चो पर काम कर रहे हैं. पीके ओवरसीज के जरिए राजनीति को दिशा देने की कोशिश में हैं.
नॉन रेजिडेंशियल बिहारी पर नजर:प्रशांत किशोर के उम्मीदवार उपचुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सके. बावजूद इसके प्रशांत किशोर हिम्मत नहीं हारे हैं. प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली पार्टी जन सुराज ने कई स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. बिहार से बाहर विदेशों में रह रहे बिहारी को भी अभियान से जोड़ा जा रहा है. प्रशांत किशोर से प्रभावित होकर युवा करोड़ों के पैकेज को छोड़कर बिहार भी लौट रहे हैं.
लंदन से लौटे डॉक्टर गौतम: पीके से प्रभावित होकर बिहार लौटने वालों में डॉक्टर गौतम का नाम भी शामिल हो गया है. डॉ गौतम कटिहार के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले एक दशक से मैनचेस्टर में रह रहे हैं. डॉ मुकेश बतौर इंटेस्टाइन सर्जन काम कर रहे थे. करोड़ों के पैकेज को छोड़ डॉक्टर गौतम बिहार लौटे हैं. 3 महीने पहले जब डॉक्टर गौतम ने इंग्लैंड में नौकरी छोड़ी थी तब इनका पैकेज ढ़ाई करोड़ रुपए था. बदली हुई परिस्थितियों में डॉ गौतम पूरे परिवार के साथ बिहार लौट चुके हैं.
"जन सुराज ओवरसीज ऑर्गनाइजेशन से मैं एक साल से जुड़ा हुआ था. ये संगठन देश से बाहर गए बिहारियों को बिहार से जोड़े रखने के लिए कोशिश करते रहती है. मैं प्रशांत किशोर जी से इतना प्रभावित हो गया कि मैंने जमीन तौर से जुड़ने के लिए करीब तीन महीने पहले अपने काम से इस्तीफा दे दिया. मैं इंग्लैंड में पिछले 8 साल से कैंसर सर्जन के रूप में काम कर रहा था."डॉक्टर गौतम, सदस्य, जन सुराज पार्टी
'बैक टू बिहार' संदेश देने की कोशिश': वहीं आलोक झा पटना के रहने वाले हैं और पिछले 12 साल से लंदन शहर में रह रहे हैं. साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में कंसल्टेंट के रूप में काम करने वाले आलोक झा ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की है. जन सुराज अभियान में आलोक झा जुड़ चुके हैं और लंदन में रहकर बिहारी को एक प्लेटफार्म पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. धीरे-धीरे अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है.
"इंडिया से बाहर जो बिहारी रह रहे हैं उनको एक प्लेटफॉर्म पर लाना मकसद है. एक प्लेटफॉर्म पर लाने के बाद सभी को बिहार के बारे में बताया जाता है. प्रदेश के बारे में जागरूक किया जाता है. बैक होम, बैक टू बिहार के नारे को भी बुलंद करने की योजना बनाई गई है. लंदन में 40 से 50000 बिहारी हैं. अब तक 300 से अधिक लोग सक्रिय रूप से पार्टी से जुड़ चुके हैं."-आलोक झा, प्रवासी बिहारी