खूंटीः आदिवासी बहुल खूंटी जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां अंधविश्वास और विवाद की वजह से लोगों को पानी के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है. गंदे पानी से गुजारा करना पड़ता है. यह गांव है जोजोडीह. प्रशासनिक पहल के बाद कोशिश तो हुई है, लेकिन अभी कुछ दिन और लोगों को परेशानी उठानी पड़ेगी.
खूंटी के अड़की प्रखंड से चंद किमी की दूरी पर स्थित जोजोडीह गांव. इस गांव में बने जलमीनार से मुंडा जाति के लोगों ने लोहार जाति के 18 परिवारों को पानी लेने पर रोक लगा दी है. लोहार समाज के लोगों का आरोप है कि छुआछूत के कारण उनलोगों को पानी नहीं लेने दिया जा रहा है, जबकि मुंडा समाज के लोगों का कहना है कि जलमीनार उनकी जमीन पर है और ग्रामसभा ने फैसला लिया है कि लोहार समाज के लोगों को जलमीनार से पानी नहीं लेने दिया जाएगा.
जोजोडीह के मंगल लोहार ने कहा कि पूर्व में गांव में एक चापानल था, जहां से वे पानी भरकर लाते थे, लेकिन भेदभाव व हुआछूत के कारण गांव के कुछ लोगों के द्वारा चापानल को खराब कर दिया गया. इसके बाद लोहार समाज के लोग नदी से बदबूदार पानी ला कर इस्तेमाल कर रहे हैं. पानी की समस्या को देखते हुए गांव में जलमीनार बनाने का निर्णय लिया गया. तब मुंडा समाज के लोगों ने जोर देकर जलमीनार अपने मोहल्ले में बनवा लिया.
उम्मीद थी कि जलमीनार से पानी लोहार समाज के लोगों के घर में भी आएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. गांव में मुंडा समाज के लोगों ने बैठक कर फैसला लिया कि लोहार समाज के लोगों को पानी नहीं दिया जाएगा. ग्राम प्रधान के इस फैसले से लोहार समुदाय को पानी नहीं मिल रहा है. ग्राम प्रधान ने कहा कि उन्हें परेशानी जरूर हो रही होगी लेकिन यहां से पानी नहीं दिया जाएगा. लोहार समाज के लोगों के लिए अलग से बोरिंग हुई है, जबतक वहां से पानी नहीं मिलता तबतक नदी से पानी पीते रहेंगे.
लोहार समाज की परेशानी के बारे में जब प्रशासन को मालूम हुआ तो, मुंडा समाज के लोगों को समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वो नहीं माने. उसके बाद प्रशासन ने एक अलग से बोरिंग करवा दी है. जल्द ही लोहार समाज की परेशानी दूर हो जाएगी. बीडीओ गणेश महतो ने फोन पर बताया कि जमीन विवाद का मामला है. फिलहाल पानी की व्यवस्था के लिए पहल कर दी गई है. जल्द ही दोनों समुदायों के बीच बढ़ी दूरियां भी कम हो जाएगी.