पटना: बिहार की पटना हाईकोर्ट ने प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों, सड़क सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और एमवीआई (मोटर वाहन निरीक्षक) के रिक्त पदों के मामले में राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए 28 जनवरी, 2025 तक का समय दिया है. यह जनहित याचिका विशाल कुमार द्वारा दायर की गई है.
सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि और उनकी बढ़ती संख्या :चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. याचिका में कहा गया कि बिहार में सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. बिहार में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की दर में 44% की वृद्धि दर्ज की गई है. अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, छत्तीसगढ़, और त्रिपुरा में भी दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है.
वाहनों की बढ़ती संख्या और लर्निंग जांच की व्यवस्था में खामियां :बिहार में चार और दो पहिए वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन उनके चालकों की लर्निंग और ड्राइविंग क्षमता की जांच की उचित व्यवस्था नहीं है. बिहार के 38 जिलों में से केवल 19 जिलों में एमवीआई (मोटर वाहन निरीक्षक) पदस्थ हैं. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, विकास कुमार पंकज ने बताया कि बिहार की जनसंख्या लगभग 14 करोड़ है, और उसी अनुपात में वाहनों की संख्या बढ़ी है.
एमवीआई के पदों की कमी और कार्यक्षमता पर सवाल :दो जिलों में औसतन एक एमवीआई ही कार्यरत है, जिससे लर्निंग और ड्राइविंग क्षमताओं की जांच के स्तर का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. एमवीआई एक माह में औसतन 36,124 ड्राइविंग और 46,960 लर्निंग क्षमता की जांच करते हैं, जिसमें प्रत्येक जांच में 8-10 मिनट का समय लगता है. इस प्रकार की जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, और यह भी स्पष्ट किया गया कि इस तरह से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने वाले वाहन चालक सड़क पर सुरक्षित रूप से वाहन नहीं चला सकते.