भोपाल।शुक्रवार को एनएसयूआई ने प्रदेश भर में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. भोपाल में एनएसयूआई जिलाध्यक्ष अक्षय तोमर के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता और छात्र-छात्राएं बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में मांगपत्र लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने पहुंचे. कुलपति और रजिस्ट्रार के उपस्थित नहीं होने से छात्र छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की और तीखी बहस हुई. इसके बाद विश्वविद्यालय के अधिकारी ज्ञापन लेने आए.
पेपर लीक के मामले में कड़ा कानून बनाने की मांग
भोपाल जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने बताया "मध्यप्रदेश के छात्रों एवं युवाओं के हितों में एनएसयूआई की चार प्रमुख मांगें हैं. पहली प्रमुख मांग है पेपर लीक पर कड़ा कानून बनाया जाए. राज्य सरकार को आगामी एक माह में सख्त कानून बनाकर सभी शिक्षा संस्थानों की प्रतियोगी और अन्य परीक्षाओं पर लागू करना चाहिए, जिसमें 7 वर्ष के कारावास व संगठित अपराध की स्थिति में 20 वर्ष के कारावास के साथ साथ 1 करोड़ का जुर्माने की सजा हो." दूसरी प्रमुख मांग छात्रवृत्ति को लेकर है. इसे लोक सेवा गारंटी अधिनियम में शामिल किया जाए.
छात्रवृत्ति की समय सीमा निर्धारित की जाए
एनएसयूआई की मांग है कि प्री मैट्रिक पोस्ट मैट्रिक तथा कॉलेजों की छात्रवृत्ति की समय सीमा लोक सेवा गारंटी अधिनियम की तरह निर्धारित की जाए. आवास भत्ते संस्थान में प्रवेश के साथ ही लाड़ली बहना योजना की तरह प्रति माह खाते में भुगतान हो. 3 लाख रुपये सालाना से कम आय वाले परिवारों के समस्त विध्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति दी जानी चाहिए. तीसरी प्रमुख मांग प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव करवाए जाए. एनएसयूआई प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में विद्यार्थियों में नेतृत्व की क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से इसी सत्र से ही छात्र संघ चुनाव करवाने की मांग करती हैं.
कॉलेजों में आवश्यकता के अनुसार सीटें बढ़ाएं
चौथी प्रमुख मांग प्रदेश में सबको शिक्षा सबको प्रवेश की नीति लागू हो. शासकीय महाविद्यालय में प्रवेश से वंचित विद्यार्थियों के लिए आवश्यकता अनुसार सीट बढ़ाने का फैसला राज्य सरकार द्वारा लिया जाना चाहिए. नवीन विषय एवं कोर्स शुरू करते हुए सीट संख्या में वृद्धि की जाना चाहिए. एनएसयूआई प्रदेश के विश्वविद्यालयों में रोजगार मूलक और प्रगतीशील सिलेबस लागू करने की मांग करती है. प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रावास की संख्या को इसी सत्र में दोगुना किए जाने की जरूरत है.