बिहार

bihar

ETV Bharat / state

निर्भया कांड के 12 साल: दर्द और पीड़ा, कानून में बदलाव से कितनी सुरक्षित हुईं बेटियां - 12 YEARS OF NIRBHAYA INCIDENT

12 साल पहले दिल्ली में युवती से बलात्कार और हैवानियत की हदें पार की गई थीं. कानून में बदलाव हुआ पर अपराध कम नहीं हुआ.

निर्भया कांड के 12 साल
निर्भया कांड के 12 साल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 6 hours ago

पटना: भारत के इतिहास में 16 दिसंबर 2012 काला अध्याय है. देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में 'निर्भया' (काल्पनिक नाम) नामकलड़की केसाथ दरिंदगी की सारी हदें पार की गईं. 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा निर्भया के साथनिर्भया के साथ चलती बस में 6 दरिंदों ने दुष्कर्म किया और उसे चलती बस से फेंक दिया. जिसे याद कर आज भी रोएं सिहर जाते हैं. वह 29 दिसंबर की रात में जिंदगी की जंग हार गईं.

12 साल बाद कितने बदले हालात: आज निर्भया कांड को 12 साल हो गए हैं. कानून में बदलाव हुआ रेप के मामले में सजा और सख्त कर दी गई, ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी लाई जा सके. 12 वर्ष बीतने के बाद सवाल वही है कि क्या देश की बेटियां महफूज हो गई.

निर्भया कांड (ETV Bharat)

डराते हैं आंकड़े, कितनों को मिलती है सजा: केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सालभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के चार लाख से ज्यादा अपराध दर्ज किए जाते हैं. महिलाओं के ऊपर अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं, बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, किडनैपिंग, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं.

कम सात साल की कैद की सजा: दुष्कर्म की सजा बढ़ाने के लिए धारा 376 में भी संशोधन किया गया. संशोधित धारा के तहत, दुष्कर्म में कम से कम सात साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया. जिसे बाद में 10 साल तक कर दिया गया. दुष्कर्म की वजह से मौत होने पर दोषी को कम से कम 20 साल की सजा देने का भी प्रावधान हुआ. जिस बाद में मृत्यु दंड तक बढ़ाया गया. किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि 16-18 वर्ष की आयु के आरोपियों पर 'जघन्य अपराधों' का आरोप लगने पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जा सके.

ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

बेटियां अब लड़ना सीख गई हैं: महिलाओं के लिए काम करने वाली संगठन भूमिका बिहार की डायरेक्टर शिल्पी सिंह का मनना है कि निर्भया कांड के 12 साल होने वाले हैं. 12 वर्षों के बाद इतना हुआ है कि बेटियां अब लड़ना सीख गई हैं. न्याय मांगना सीख गई है थानों तक पहुंचने लगे हैं प्राथमिक की दर्ज करवा रही है और घटना का बयान दर्ज करके अपने लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

"लोगों की मानसिकता में अभी भी बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. लोग लड़कियों के कपड़े और रहन-सहन को देख रहे हैं. आज लड़कियां स्कूल कॉलेज जा रही हैं लेकिन घर और स्कूल के बीच की जो दूरी है इस दूरी में लड़कियां अभी भी असुरक्षित है."-शिल्पी सिंह

ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

सरकार महिला सहायता के लिए तत्पर: पटना महिला आयोग एवं बाल विकास निगम के जिला परियोजना प्रबंधक डॉ राजेश कुमार प्रज्वल का कहना है कि 2013 में भारत सरकार ने निर्भया फंड की व्यवस्था की थी. इस फंड के तहत देश के हर एक राज्य को इसके लिए बजट आवंटित किया गया था. इस फंड को महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के पीछे खर्च करने का प्रावधान है.

सुरक्षा एवं सशक्तिकरण पर खर्च: प्रत्येक राज्य को यह फंड दिया जाता है और हर राज्य इस फंड का उपयोग महिला सशक्तिकरण के पीछे कर रहे हैं. वर्तमान नरेंद्र मोदी की सरकार ने महिला सशक्तिकरण को देखते हुए सभी योजनाओं को मिशन शक्ति योजना के तहत समाहित कर दिया. इस योजना के तहत पीड़ित महिलाओं को कानूनी आर्थिक मदद भी की जाती है. वन स्टॉप सेंटर में भी पीड़ित महिलाओं को मदद की जा रही है.

निर्भया कांड के बाद वन स्टॉप सेंटर:निर्भया कांड के बाद सरकार ने महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए वन स्टॉप सेंटर खोलने का विचार किया. सरकार ने हर एक राज्यों को इस तरीके की घटना रोकने के लिए निर्भया फंड का प्रावधान किया. देश के हर राज्यों को प्रतिवर्ष फंड जारी किए जाने लगे. वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर काउंसलिंग तक की व्यवस्था की गई.

ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

बिहार के 38 जिला में वन स्टॉप सेंटर:जिला परियोजना प्रबंधक डॉ राजेश कुमार प्रज्वल ने बताया कि बिहार के सभी 38 जिलों में वन स्टॉप सेंटर चलाए जा रहे हैं. बिहार सरकार के सहयोग से मिशन शक्ति योजना को सभी जिला में सुचारू ढंग से चलाया जा रहा है. बिहार सरकार के द्वारा दिए गए फंड का उपयोग पीड़ित महिलाओं को उचित न्याय दिलाने के लिए किया जा रहा है.

क्या है वन स्टॉप सेंटर योजना?:घर से लेकर दफ्तर तक, महिलाओं को लिंग के आधार पर कई बार भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है. फिर चाहे वो ऑनर किलिंग हो, दहेज प्रताड़ना, एसिड अटैक या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात। इस तरह की घटनाओं को रोकने और इसके खिलाफ महिलाओं को मजबूती से खड़ा करने के मकसद से ही 'वन स्टॉप सेंटर योजना' (जिसे 'सखी' नाम से भी जाना जाता है) को शुरू किया गया है.

"कानूनी तौर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनेक कानून बने हैं. कठोर कानून बनने के बाद कार्रवाई भी हो रही है. निर्भया कांड के समय सिस्टम पर सवाल उठने लगा था, लेकिन कानून बनने के बाद भी बहुत सारी ऐसे मामले सामने आते रहते हैं. इस तरीके की घटना रोकने के लिए कानून के साथ-साथ समाज के लोगों को भी आगे आना होगा. समाज के लोगों को बेटियों को लेकर सजग भी रहना होगा और अपनी भूमिका भी अदा करनी होगी."-ज्योति मिश्रा, गृहणी, पटना

पटना में सखी वन स्टॉप सेंटर (ETV Bharat)

महिला सुरक्षा को लेकर बजट का प्रावधान:केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा योजनाओं को प्राथमिकता देते हुए, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने बजट में 'निर्भया फंड' हस्तांतरण और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए आवंटन में 3.5 गुना वृद्धि की है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 321 करोड़ रुपये की तुलना में 1,105 करोड़ रुपये की मंजूरी दी.

मुजफ्फरपुर में दलित लड़की की नृशंस हत्या: मुजफ्फरपुर के पारू गांव में 11 अगस्त 2024 को एक घर में घुस कर दलित लड़की के साथ अमानवीय व्यवहार किया था. उस समय घर में 14 साल की लड़की ही मौजूद थी. बदमाशों ने लड़की को किडनैप कर लिया और उसके साथ रेप करने के बाद हत्या कर दी और शव को तालाब में फेंक दिया. कुछ लोगों ने जब तालाब में शव देखा तो सूचना पुलिस को दी थी. यह घटना भी निर्भया केस की याद ताजा कर दिया था.

ये भी पढ़ें

Nirbhaya Incident in Purnea: पूर्णिया में 'निर्भया कांड' जैसी वारदात, आबरू बचाने के लिए चलती बस से कूदी महिला

बेतिया में दिल्ली की निर्भया कांड जैसी वारदात, बस में नाबालिग से गैंगरेप

बांका की 'निर्भया' हत्याकांड के खिलाफ लोगों ने निकाला कैंडिल मार्च, दोषियों को फांसी देने की मांग

दरिंदों से लड़कर बचा ली इज्जत लेकिन जिंदगी की जंग हार गयी बेगूसराय की 'निर्भया'

ABOUT THE AUTHOR

...view details