कोटा:भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित आयुष अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में नीट यूजी के जरिए ही प्रवेश मिलता है, लेकिन कैंडीडेट्स की रुचि ज्यादातर एमबीबीएस ऐडमिशन में ही रहती है. शेष आयुष कोर्सेज में कैंडिडेट रुचि नहीं रखते हैं और इसका असर देखने को मिल रहा है कि उनमें प्रवेश लेने वाले कैंडिडेट्स को काफी नीचे लिखे कट ऑफ में भी एडमिशन मिल रहे हैं.
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का मानना है कि होम्योपैथी, यूनानी व सिद्धा ही नहीं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अंडरग्रेजुएट कोर्स भी दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं. बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) में प्रवेश को लेकर भी कैंडिडेट का रुझान कमजोर है. आज की स्थिति के अनुसार आयुष मंत्रालय-भारत सरकार के अधीन कार्यरत नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM) ने बीएएमएस कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल को सभी वर्गों के लिए 15 फीसदी से कम कर दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि नए पात्र कैंडिडेट जुड़ें व संख्या में वृद्धि हो सके. जिससे कि बीएएमएस की खाली सीटों पर प्रवेश हो सके.
प्रवेश पात्रता का न्यूनतम परसेंटाइल अब क्या?:देव शर्मा ने बताया कि बीएएमएस में प्रवेश के लिए जनरल व ईडब्ल्यूएस कैटेगरी की न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल 50 फीसदी थी, जिसे अब 15 फीसदी कम किया गया है. यह घटकर 35 फीसदी कर दी गई है. इसी प्रकार ओबीसी-एनसीएल, एससी व एसटी कैटेगरी के लिए न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल अब 40 फीसदी से 25 फीसदी रह गई है. देव शर्मा ने बताया कि कमीशन ने यह कदम विवशता में उठाया है. जिसमें आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ एक बड़ा समझौता है.