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समरावता कांड : मुख्‍य सचिव और DGP को नोटिस, 3 दिन में मांगा जवाब, जानें पूरा मामला - NCST NOTICE IN SAMRAVATA CASE

समरावता कांड पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मुख्य सचिव, डीजीपी, एसपी सहित जिला कलेक्टर को नोटिस जारी किया है.

NCST Notice in Samravata Case
समरावता कांड पर एनसीएसटी का नोटिस (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 5, 2024, 7:08 PM IST

Updated : Dec 5, 2024, 7:14 PM IST

जयपुर:समरावता कांड को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने डीजीपी उत्कल रंजन साहू, टोंक जिला कलेक्टर सौम्या झा और एसपी को नोटिस जारी किया है. हालांकि, इसमें एक बड़ी चूक हुई है. जहां वर्तमान एसपी विकास सांगवान के स्थान पर प्रीति जैन का नाम दर्ज किया गया है. प्रीति जैन फिलहाल सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं और 2016 में टोंक एसपी थीं. आयोग ने यह नोटिस 4 दिसंबर को जारी किया और तीन दिनों के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

समरावता कांड पर दायर की थी याचिका: बता दें कि समरावता कांड पर मदन मोहन राजौर, प्रदेश प्रभारी राजस्थान भारतीय किसान यूनियन, रामकेश मीणा प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान आदिवासी सेवा संघ, महेन्द्र मीणा, समस्त आदिवासी मीणा अधिवक्ता संघ जयपुर, केसी घुमरिया, प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जयपुर और गोविंद सिंह सोमवत महासचिव अनुसूचित जनजाति संयुक्त संस्था ने याचिका दायर किया है.

एनसीएसटी का नोटिस (ETV Bharat Jaipur)

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याचिका में क्या कहा:याचिका में कहा गया था कि टोंक जिले के देवली-उन‍ियारा में उपचुनाव के द‍िन 13 नवंबर को निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार चौधरी (मालपुरा एसडीएम) को थप्पड़ मार दिया था. नरेश मीणा ने थप्पड़ कांड के बाद आरोप लगाया था कि गांव वाले अपनी मांगों को लेकर मतदान का बहिष्कार कर रहे थे. लेकिन, ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने एक महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित तीन मतदाताओं से जबरन वोट डलवा दिए. मतदान खत्म होने के बाद पुलिस नरेश मीणा को गिरफ्तार करने गई, तो गांव में आगजनी और हिंसा हुई थी. जिसमें दो पुलिस के वाहन सहित कुल 9 चार पहिया वाहन और बाइक जला दी गई. लोगों के घरों में भी नुकसान हुआ था.

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तीन दिन में मांगी रिपोर्ट: इसके साथ आयोग ने मुख्‍य सचिव और DGP को भेजा नोटिस जारी मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट 3 दिन में मांगी है. आयोग ने सख्त रुख दिखाते हुए नोटिस में कहा कि यदि 3 दिन की अवधि में आयोग को उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338क के अंतर्गत उसे प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियां का प्रयोग कर सकता है और वैयक्तिक रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए आपको समन जारी कर सकता है.

Last Updated : Dec 5, 2024, 7:14 PM IST

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