राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

National Milk Day : प्रदेश के स्कूलों में पिलाया जा रहा पाउडर वाला दूध, छात्रों को नहीं आ रहा रास

स्कूलों में दिया जा रहा पाउडर वाला दूध छात्रों को पसंद नहीं आ रहा है. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर जानिए क्या है स्कूलों का हाल...

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 26, 2024, 1:35 PM IST

Updated : Nov 26, 2024, 1:55 PM IST

जयपुर : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जुलाई के बाद अब नवम्बर में पाउडर वाले दूध के पैकेट पहुंचाए गए हैं. प्रदेश के सभी जिलों के लिए फरवरी 2025 तक का पाउडर वाला दूध आवंटित कर दिया गया है. हालांकि, ग्रामीण परिवेश तक अब तक दूध पाउडर के पैकेट नहीं पहुंच पाए हैं. ऐसे में वहां अभी भी छात्रों को दूध नहीं मिल पा रहा है. वहीं, जिन स्कूलों में दूध पाउडर के पैकेट पहुंचे हैं, वहां छात्रों को पाउडर वाला दूध पसंद नहीं आ रहा है. ऐसे में वो मन मार कर दूध पी रहे हैं.

देश में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. ये दिन भारतीय श्‍वेत क्रांति यानी व्हाइट रिवॉल्यूशन के जनक वर्गीज कुरियन को समर्पित है. उन्हीं के प्रयासों से आज भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. साथ ही अब पूरी दुनिया में भारतीय दूध के प्रोडक्ट सप्लाई किए जाते हैं. दूध, जिसे पूर्ण आहार माना जाता है, ये सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. अधिकतर लोग ये बात जानते हैं. यही वजह है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी पहले मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना और अब पन्नाधाय बाल गोपाल योजना के तहत दूध पिलाया जाता है.

स्कूलों में पिलाया जा रहा पाउडर वाला दूध (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें.ऐसे बोरिंग दूध को बनाएं इंटरेस्टिंग, खुशी-खुशी पीएंगे बच्चे, बड़े भी हो जाएंगे फैन

मन मार कर दूध पी रहे बच्चे :बच्चे घरों में अमूमन गाय और भैंस का दूध पीते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में छात्रों को दूध पाउडर से तैयार दूध वितरित किया जाता है. पांचवीं तक के बच्चों को 15 ग्राम पाउडर दूध से 150 एमएल दूध और छठी से 8वीं तक के बच्चों को 20 ग्राम पाउडर दूध से 200 एमएल दूध तैयार कर पिलाने का प्रावधान है. हालांकि, ये दूध छात्रों को रास नहीं आता. जयपुर के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे छात्रों की मानें तो घरों में मिलने वाला दूध ज्यादा अच्छा लगता है और यहां पाउडर से जो दूध तैयार करके दिया जाता है, उसमें अलग तरह की खुशबू रहती है. पीने में भी अच्छा नहीं लगता. यहां शिक्षकों के दबाव में मन मार कर दूध पीना पड़ता है.

स्कूलों में पिलाया जा रहा पाउडर वाला दूध (ETV Bharat (Symbolic))

फल या मिलेट्स देने की अपील :वहीं, शिक्षक और मिड डे मील प्रभारी कविता शर्मा ने बताया कि पहले छात्रों को मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना के तहत दूध उपलब्ध कराया जाता था, जिसका नाम बदलकर बीते दिनों पन्नाधाय बाल गोपाल योजना कर दिया था. सितंबर में योजना का नाम परिवर्तन किया गया, लेकिन दूर पाउडर अब जाकर मुहैया कराया गया है. योजना के तहत सप्ताह में 6 दिन छात्रों को दूध उपलब्ध करवाया जाता है. शिक्षकों ने भी स्पष्ट किया कि ये दूध छात्रों को पसंद नहीं आता. ऐसे में उन्होंने भी दूध की बजाय नियमित फल या मिलेट्स देकर छात्रों को पोषण देने की अपील की है.

पढ़ें.प्री-मैच्यौर और मैच्योर बच्चों को मिलेगा मां का दूध, मिल्क स्टोर करने की मिलेगी सुविधा

योजना का नाम बदलने से पहले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी यही बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अधिकतर स्कूलों के बच्चे पाउडर से बने दूध को पीना पसंद नहीं करते. इस वजह से दूध का वितरण बंद कर दूध की जगह मोटा अनाज बाजरा आदि देने का विचार किया जा रहा है, लेकिन सिर्फ नाम बदल कर योजना दोबारा शुरू कर कर दी गई. ग्रामीण परिवेश के स्कूलों में अभी भी छात्र दूध का इंतजार कर रहे हैं.

अभी भी ग्रामीण परिवेश के स्कूलों में दूध के पैकेट नहीं पहुंच पाए हैं. राज्य सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द ग्रामीण क्षेत्रों में भी दूध पाउडर के पैकेट वितरित कराए जाएं. : डॉ. रनजीत मीणा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत

उधर, पाउडर वाले दूध को लेकर डॉक्टर्स ने बताया कि जिन बच्चों को दूध से एलर्जी होती है, उन्हें वो भी पाउडर वाले दूध को पीने की सलाह देते हैं. कुछ ब्रांड में पाउडर वाले दूध में ताजा दूध के समान पोषक तत्व नहीं होते, इसलिए पाउडर दूध का एक सही ब्रांड चुनना महत्वपूर्ण है, जो दूध में मिलने वाले विटामिन की पूर्ति कर सके. बहरहाल, भारतीय संस्कृति में दूध का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है. ऐसे में आज के दिन दूध के फायदे और डॉ वर्गीज कुरियन के योगदान को याद करते हुए इसे जीवन शैली के साथ जोड़ने का संकल्प भी लिया जा सकता है.

Last Updated : Nov 26, 2024, 1:55 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details