मध्यप्रदेश के माफिया हुए छत्तीसगढ़ में सक्रिय, हरे सोने की हो रही स्मगलिंग - Tendu leaves mafia
तेंदूपत्ते के किसान इन दिनों काफी परेशान है. दरअसल पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ते की बड़ी खेप यहां के बाजारों में पहुंच रही है. वन विभाग की लापरवाही का शिकार अब ग्रामीण होने लगे हैं.
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर:जल, जंगल और जमीन पर निर्भर रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता का हरा सोना कहते हैं. अब इसी हरे सोने की स्मगलिंग को लेकर मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों की शिकायत है कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता लाकर यहां खपाया जा रहा है. पूरे मामले में वन विभाग की टीम उदासीन बनी हुई है. वन विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
एमपी के तेंदूपत्ता माफिया छत्तीसगढ़ में सक्रिया: ग्रामीणों का आरोप है कि मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ता को 350 रू प्रति गड्डी खरीदा जा रहा है और उसे छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों के कार्ड में 10 हजार से 20 हजार गड्डी की एंट्री कर दी जा रही है. आरोप है कि मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के जनकपुर और कुंवारपुर वन परिक्षेत्र के साथ कोरिया जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों के कई फड़ों में तेंदूपत्ता खपाया जा रहा है. लोगों का कहना है कि यदि एक एक कार्ड की जांच की जाए तो भारी भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी.
कल भी हम लोगों ने रात्रि गश्त किया है. पूरी कोशिश है कि मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ता यहां नहीं आ पाए. पूरी निगरानी बरती जा रही है. कई क्षेत्रों में हमने बैरियर भी लगाए है. गश्ती तेज कर दी जाएगी. - चंद्रकेश्वर सिंह, जनकपुर वन परिक्षेत्र के अधिकारी
वन विभाग की लापरवाही बनी परेशानी: तेंदूपत्ते का संग्रहण करने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले से तेंदूपत्ता की पत्तियों को छत्तीसगढ़ के फड़ों में आसानी से खपाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के सीधी जिले की सीमा से लगा हुआ है. सीधी क्षेत्र से आने वाला तेंदूपत्ता का खेल रात 12 बजे के बाद शुरू होता है. आरोप है कि माफिया गर्मी के मौसम का फायदा उठाकर रात के वक्त इसे खपाने वाले जगहों पर पहुंचाते हैं. रातों रात तय लोगों के ठिकानों तक तेंदूपत्तों की गड्डियां पहुंचा दी जाती है.
प्रतिबंध के बावजूद तोड़े जाते हैं पत्ते: गुरू घासीदास नेशनल पार्क में तेंदूपत्ता के तोड़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, यहां ग्रामीणों को नकद राशि प्रोत्साहन के रूप में प्रदान की जाती है, इसके बावजूद यहां ग्रामीण बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता तोड़ते हैं. तोड़े हुए पत्तों को जनकपुर कुंवारपुर परिक्षेत्र के अलावा कोरिया जिले के सीमा पर स्थित तेंदूपत्ता फड़ों में जाकर बेच देते हैं. सीधी जिले में स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क में स्थानीय लोगों को तेंदूपत्ता तोडने की अनुमति नहीं है. साथ ही मध्यप्रदेश में खरीदी दर कम होने के चलते वहां का पत्ता छत्तीसगढ़ लाकर आसानी से बेचा जाता है.
मुझे कुछ लोगों ने बताया कि यहां पर तेंदूपत्ता जो खरीदी हो रही है उसे एक स्थानीय महिला है वो पति से तुड़वाया है ऐसा कहकर लिखवाती है. मैंने फंड मुंशी से भी जाकर पूछा. अगर इसी तरह से बाहर का पत्ता यहां बिकता रहा तो यहां के ग्रामीणों का हक मारा जाएगा. - संतोष केवट, ग्रामीण
यहां दूसरे गांव से लाकर पत्ति दे रहे हैं और यहां के लोकल लोग अपने नाम से उसे चढ़ा रहे हैं. कोई 2000 कोई 3000 और जो बाबूलाल नाम का आदमी है वह यह सब काम कर रहा है. अपने नाम से तुड़वाकर यहां जमा कर रहा है. - ननकी बैगा, ग्रामीण
दो जगह का तेंदूपत्ता यहां पर लेकर लोग आए थे. यहां के कुछ ग्रामीण बताएं हैं. 100-200 गाड़ी तोड़ने वाला तेंदूपत्ता एक साथ 1000 गाड़ी लेकर आया था इसलिए मैंने उसे वापस कर दिया और जो गाड़ी लेकर आए हैं. मेरे द्वारा यह कहकर की एक गाड़ी को वापस ले जाओ एक गाड़ी को हम नहीं लेंगे लेकिन अभी तक पूरे का पूरा तेंदूपत्ता की गाड़ी यही पड़ा हुआ है इससे पहले भी गाड़ी तेंदूपत्ते से भरी यहां पर आ चुकी है. - महिपाल चौधरी, फंड मुंशी
छत्तीसगढ़ में 5500 बोरा है कीमत: मध्यप्रदेश में तेंदूपत्ता की दर 4000 रू मानक बोरा है जबकि छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा की सरकार ने 5500 मानक बोरा दिए जाने की घोषणा की है. छत्तीसगढ़ में कीमत बढाए जाने के चलते अब माफिया कमाई के लिए सक्रिय हो गए हैं. ग्रामीणों को अब चिंता सताने लगा है कि अगर एमपी का हरा सोना यहां बिकेगा तो उनका सोना कौन खरीदेगा.