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एयर इंडिया, इंडिगो सहित 4 एयरलाइंस को ई-मेल से भेजें नोटिस, एमपी हाईकोर्ट का आदेश - mp high court order - MP HIGH COURT ORDER

जबलपुर के साथ हवाई सेवा में भेदभाव का मामला गर्म है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर 4 एयरलाइंस कंपनियों को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एयरलाइंस कंपनियों को पक्षकार बनाने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए थे.

mp high court order
जबलपुर के साथ हवाई सेवा में भेदभाव, एयरलाइंस को नोटिस (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 2:17 PM IST

जबलपुर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए 4 एयरलाइंस कंपनियों एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट व आकाशा एयरलाइंस को जनहित याचिका में पक्षकार बनाया गया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने इन चारों एयरलाइंस कंपनियों को ई-मेल से नोटिस भेजने के निर्देशित किया है.

हवाई सेवाओं में जबलपुर से भेदभाव

उल्लेखनीय है कि हवाई सेवाओं की अनिश्चितता को लेकर जबलपुर से भेदभाव का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे ने जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया था कि प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट होना जबलपुर के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन है. याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में जबलपुर में कम फ्लाइट हैं. पूर्व में जबलपुर से मुम्बई, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरू आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थी.

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अब जबलपुर से केवल 5 फ्लाइट संचालित

जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी प्रदेश इंदौर, ग्वालियर तथा भोपाल के सामान थी. लेकिन लगातार इनके बंद होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व में जबलपुर से औसतन 15 फ्लाइट संचालित होती थीं. वर्तमान में घटकर इनकी संख्या महज 5 हो गई है, जिससे जबलपुर का विकास अवरुद्ध हो रहा है. जनहित याचिका में प्रारंभिक रूप से केंद्रीय उड्डयन विभाग, डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन तथा एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया को अनावेदक बनाया गया था. हाईकोर्ट के निर्देश पर एयरलाइंस कंपनियों को भी पक्षकार बनाया गया है. मामले में आगे हुई सुनवाई पर न्यायालय ने एयरलाइंस कंपनियों को ई-मेल से नोटिस भेजने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय पक्ष रख रहे हैं.

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