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देख नहीं सकता वेरसिंह पर हाथों से खोद डाले दो कुएं, 75% दृष्टिबाधित वेरसिंह के साहस की कहानी - BARWANI VERSINGH STORY

बड़वानी के 35 वर्षीय वेर सिंह ने 2 साल मेहनत कर खोद डाले 45 से 50 फीट को दो कुएं, निकलने लगा पानी.

BARWANI VERSINGH STORY
अकेले कुआं खोदने का लिया था संकल्प (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 11, 2025, 1:38 PM IST

बड़वानी : जिले के पाटी ब्लॉक के छोटे से गांव से दृष्टिबाधित युवक के साहस की कहानी सामने आई है. खेत में सिंचाई व पीने के लिए पानी नहीं होने पर युवक ने 2 साल तक कड़ी मेहनत कर दो कुएं खोद डाले. उनमें 40 से 50 फीट गहराई में अमृत रूपी पानी निकला और अब फलिया के लोगों के लिए वह तीसरे कुएं की खुदाई कर रहा है. हम बात कर रहे है पाटी ब्लॉक के ग्राम ओसाड़ा निवासी दृष्टिबाधित वेरसिंह की, जिसे लोग मध्य प्रदेश का मांझी कहने लगे हैं.

अकेले कुआं खोदने का लिया था संकल्प

दिव्यांगता सर्टिफिकेट के अनुसार 35 साल का वेरसिंह पिता जगदीश 75 फीसदी दृष्टिबाधित है और उसे बहुत कम दिखता है. खेत में सिंचाई के लिए व पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने से उसने दृढ़ निश्चय कर अकेले ही कुआं खोदने का संकल्प लिया था और उसे पूरा भी किया. यह काम आमतौर पर 4 से 5 लोग मिलकर करते हैं, जिसे वेरसिंह ने अकेले किया. वेरसिंह ने कुएं के साथ एक कच्चा झोपड़ा अकेले बनाया. वहां वह अकेले रहकर भोजन खुद बनाता और रोज कुआं खोदता था.

Versingh who dug two wells
दो साल में दो कुएं खोदकर निकाला पानी (Etv Bharat)

सभी मेरा मजाक बनाते थे : वेरसिंह

वेरसिंह ने बताया, '' जब मैं कुएं के लिए खुदाई करता था तो सभी मेरा मजाक बनाते थे. उनके मजाक पर ध्यान नहीं देकर मैंने रोजाना 2 से 3 घंटे मेहनत कर कुएं के लिए खुदाई की. 2 साल में दोनों कुएं खोदने पर 40 से 50 फीट की गहराई में पानी निकल आया. सिंचाई के लिए पानी मिलने के बाद अब मेरा लक्ष्य घर व फलिया के 300 लोगों के लिए पानी उपलब्ध कराना है. इसलिए झोपड़ी के पास कुएं की खुदाई कार्य कर रहा हूं. यह काम एक से डेढ़ साल में पूरा हो जाएगा. फलिया में एक भी हैंडपंप नहीं होने से दूर जाकर पीने का पानी लाना पड़ता है, इसलिए कुएं की खुदाई कर रहा हूं.''

visually challanged versingh barwani
तीसरे कुएं की खुदाई शुरू करता वेरसिंह (Etv Bharat)

मिल रही है दिव्यांगता पेंशन, आवास दिलाने की मांग

वेरसिंह ने बताया कि उसे दिव्यांगता की पेंशन मिलती है. उसी से उसका गुजारा होता है. वेरसिंह ने बताया कि पीएम आवास योजना में पिता के नाम पर एक आवास स्वीकृत है लेकिन वे अलग रहते हैं। इसलिए ग्राम पंचायत से आवास योजना का लाभ दिलाने की उसने मांग की है. आवास की राशि से वह खुद का पक्का घर बनाना चाहता है.

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अकेले कुआं खोदने का लिया था संकल्प

दिव्यांगता सर्टिफिकेट के अनुसार 35 साल का वेरसिंह पिता जगदीश 75 फीसदी दृष्टिबाधित है और उसे बहुत कम दिखता है. खेत में सिंचाई के लिए व पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने से उसने दृढ़ निश्चय कर अकेले ही कुआं खोदने का संकल्प लिया था और उसे पूरा भी किया. यह काम आमतौर पर 4 से 5 लोग मिलकर करते हैं, जिसे वेरसिंह ने अकेले किया. वेरसिंह ने कुएं के साथ एक कच्चा झोपड़ा अकेले बनाया. वहां वह अकेले रहकर भोजन खुद बनाता और रोज कुआं खोदता था.

Versingh who dug two wells
दो साल में दो कुएं खोदकर निकाला पानी (Etv Bharat)

सभी मेरा मजाक बनाते थे : वेरसिंह

वेरसिंह ने बताया, '' जब मैं कुएं के लिए खुदाई करता था तो सभी मेरा मजाक बनाते थे. उनके मजाक पर ध्यान नहीं देकर मैंने रोजाना 2 से 3 घंटे मेहनत कर कुएं के लिए खुदाई की. 2 साल में दोनों कुएं खोदने पर 40 से 50 फीट की गहराई में पानी निकल आया. सिंचाई के लिए पानी मिलने के बाद अब मेरा लक्ष्य घर व फलिया के 300 लोगों के लिए पानी उपलब्ध कराना है. इसलिए झोपड़ी के पास कुएं की खुदाई कार्य कर रहा हूं. यह काम एक से डेढ़ साल में पूरा हो जाएगा. फलिया में एक भी हैंडपंप नहीं होने से दूर जाकर पीने का पानी लाना पड़ता है, इसलिए कुएं की खुदाई कर रहा हूं.''

visually challanged versingh barwani
तीसरे कुएं की खुदाई शुरू करता वेरसिंह (Etv Bharat)

मिल रही है दिव्यांगता पेंशन, आवास दिलाने की मांग

वेरसिंह ने बताया कि उसे दिव्यांगता की पेंशन मिलती है. उसी से उसका गुजारा होता है. वेरसिंह ने बताया कि पीएम आवास योजना में पिता के नाम पर एक आवास स्वीकृत है लेकिन वे अलग रहते हैं। इसलिए ग्राम पंचायत से आवास योजना का लाभ दिलाने की उसने मांग की है. आवास की राशि से वह खुद का पक्का घर बनाना चाहता है.

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