Sagar Jabalpur Mhow Redevelopment: भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय देश की 62 सैन्य छावनी परिषदों को खत्म करने जा रहा है. ये प्रक्रिया एक तरह से शुरू हो चुकी है और धीरे-धीरे सभी छावनी परिषदों को खत्म करने की तैयारी की जा रही है. सैन्य क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की सुविधाओं के लिए छावनी परिषदों का गठन किया गया था, लेकिन रक्षा मंत्रालय का बड़ा बजट इन पर खर्च हो रहा था. वहीं छावनी परिषद में रहने वाले लोगों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता था. संपत्तियों पर कई तरह के प्रतिबंध लागू थे. घरों का पुनर्निर्माण, घरेलू से व्यावसायिक परिवर्तन के लिए सेना की अनुमति लेना पड़ती थी, जो बमुश्किल मिलती थी. आज भी सैन्य क्षेत्र में नागरिक मकान में पक्की छत नहीं बना सकते. छावनी परिषदों के खत्म होते ही राज्यों की नगरीय निकायों में विलय कर दिया जाएगा.
इस फैसले से मध्यप्रदेश के 5 शहरों सागर, जबलपुर, इंदौर के महू, ग्वालियर के मुरार और पचमढ़ी छावनी परिषद खत्म हो जाएगी. तब लोगों की संपत्ति और अधिकारों पर राज्य सरकार के नियम लागू हो जाएंगे. जिससे इन इलाकों की जमीनों की कीमतों में भारी इजाफा होने के साथ-साथ शहरों की तस्वीर और तकदीर ही बदल जाएगी.
देश में रक्षा विभाग के पास सबसे ज्यादा जमीन
देश में सबसे बड़ा भूस्वामी रक्षा मंत्रालय है. जिसके पास देश की सबसे ज्यादा जमीन है. करीब 18 लाख एकड़ जमीन पर रक्षा मंत्रालय का स्वामित्व है. रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में 62 छावनी परिषद हैं. इनका कुल क्षेत्रफल 1.61 लाख एकड़ है. इस पर शुरुआत से ही चिंता जताई गई है कि इन इलाकों में नागरिक सुविधाओं पर रक्षा निधि की राशि क्यों व्यय की जाए. सरकार मानती है कि कैंट बोर्ड अंग्रेजी विरासत का हिस्सा है. रक्षा विभाग के नियमों के चलते राज्य के नागरिक कल्याणकारी योजना के साथ संपत्ति के उपयोग से भी वंचित रहते हैं. रक्षा मंत्रालय हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की योल छावनी परिषद को खत्म करने का आदेश जारी हो चुका है.
क्या होगा बदलाव
छावनी परिषदों पर रक्षा मंत्रालय का फैसला लागू होते ही सैन्य क्षेत्र मिलिट्री स्टेशन में तब्दील हो जाएंगे. इन रहवासी इलाकों को नगरीय निकाय में विलय किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर नए सिरे से नगर पालिका या नगर परिषद का गठन किया जाएगा. छावनी परिषद के नागरिकों को राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ नहीं मिलता था, लेकिन अब फायदा मिलेगा. यहां के नागरिकों को नए भवनों के निर्माण, भवन की ऊंचाई बढ़ाने, वाणिज्यिक निर्माण और कन्वर्जन, सफाई, सीवरेज, रोशनी, सड़क के लिए सेना के पास नहीं जाना पड़ेगा. मिलिट्री स्टेशन बनने के बाद सेना अपने एरिया पर फोकस कर सकेगी. भारत सरकार परिसंपत्तियों के स्वामित्व के अधिकार राज्य सरकार नगर पालिकाओं को बिना किसी शुल्क के हस्तांतरित करेगी. छावनी बोर्ड की परिसंपत्तियां और देनदारियां राज्य नगर पालिकाओं को ट्रांसफर हो जाएंगी.
एमपी के पांच शहरों की बदलेगी तस्वीर
छावनी परिषदों पर रक्षा मंत्रालय का आदेश लागू होने के बाद एमपी के पांच शहरों की तस्वीर और तकदीर बदल नजर आ रही है. यहां रियल एस्टेट में बूम आने वाला है.
सागर छावनी परिषद
छावनी परिषद के नगर निगम में विलय के साथ विकास की संभावनाओं को पंख लग जाएंगे. शहर के बीचों बीच छावनी परिषद रियल एस्टेट में बूम आने की संभावना है.