भोपाल। मध्य प्रदेश की तीन लोकसभा सीट के नतीजों को लेकर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में उत्सुकता है, क्योंकि इन तीन सीटों से जीतकर आने वाले बीजेपी नेता केन्द्र में बड़ी भूमिका में नजर आते दिखाई देंगे. प्रदेश में करीब 16 सालों तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. मोदी सरकार बनने पर तीनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाना तय माना जा रहा है. तीनों ही नेताओं की कार्यक्षमता से प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह प्रभावित हैं. मोदी और शाह कई बार खुले मंच ने इन नेताओं की तारीफ कर चुके हैं.
क्या केन्द्र में मंत्री बनेंगे शिवराज ?
मध्य प्रदेश में 16 सालों तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान इस बार विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं. विदिशा लोकसभा सीट उनका होम ग्राउंड हैं, जहां से वे 5 बार पहले भी सांसद चुने जा चुके हैं. विदिशा लोकसभा सीट ही नहीं, पिछले तीन विधानसभा चुनाव में ब्रांड शिवराज का सिक्का चला है. यही वजह है कि केन्द्र में मोदी सरकार बनने पर शिवराज को बड़ी भूमिका दी जा सकती है. चर्चा है कि शिवराज को कृषि मंत्री बनाया जा सकता है. प्रदेश में उनके मुख्यमंत्री काल में शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी की बात हो या फिर आध्यात्मिकता के साथ आधुनिकता का कलेवर देने की केन्द्र की बीजेपी सरकार भी इसी राह पर चली है. उज्जैन कॉरिडोर इसका उदाहरण है. अपने मुख्यमंत्री काल में कृषि क्षेत्र में किए गए शिवराज के कामों की मोदी सरकार भी तारीफ करती है.
प्रदेश में सिंचाई का रकबा कई गुना बढ़ा है. कृषि क्षेत्र में कई प्रयोग हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी पिछले दिनों उनकी तारीफ करते हुए कहा कि 'जब कृषि की बात आती है, तो शिवराज एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में उभरे हैं. शिवराज के कार्यकाल में प्रदेश बीमारू राज्य की छवि से बाहर निकल कर अग्रणी राज्यों में शामिल हुआ है.' उधर शिवराज सिंह भी बयान दे चुके हैं कि 'मैं दिल्ली जाऊंगा और काम में कोई कसर नहीं छोडूंगा.'
सिंधिया को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
गुना लोकसभा सीट से इस बार केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर लगी है. सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव में वे इस सीट से चुनाव हार गए थे, लेकिन इस बार अंतर यह है कि सिंधिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि सिंधिया के चुनाव जीतने से पार्टी में उनका कद और बढ़ेगा. बीजेपी का दामन थामने के बाद सिंधिया ने पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत की है. बीजेपी के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी वे करीब पहुंचे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अलावा प्रदेश के नेताओं के साथ भी उनका तालमेल बेहतर है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद से ही वे प्रधानमंत्री मोदी और शाह के करीबी रहे हैं.