भोपाल: मध्य प्रदेश में हुई माइनिंग कॉन्क्लेव में 20 हजार करोड़ का निवेश आया है. सीएम डॉ मोहन यादव ने कॉन्क्लेव के समापन के मौके पर कहा कि 'हमने मध्य प्रदश का बजट अगले पांच साल में डबल करने का लक्ष्य रखा है. अभी जिस तरह से माइनिंग सेक्टर में दस हजार करोड़ मिल रहे हैं. इसे हम 50 हजार करोड़ तक ले जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रयास होगा कि जो खनन यहां हो तो केवल कच्चे माल के लिए ही नहीं मध्य प्रदेश में उद्योग के साथ हम यहां से पूरा उत्पाद बनाकर देंगे.
सीएम डॉ यादव ने माइनिग विभाग को लेकर मजाकिया लहज में कहा कि माइनिंग बड़ा संकट वाला विभाग है. जिसमें बहुत संभलकर साइन करने पड़ते हैं. उन्होंने मंच पर अधिकारियों के सामने रखे गुलाब के रंग का उदाहरण देकर कहा कि अब इसमें पारदर्शिता भी है और और शुचिता भी. सीएम मोहन यादव ने निवेशकों के सामने ये सवाल भी छोड़ा कि जिस जिले से हीरा निकलता है, उसका नाम पन्ना क्यों है. इसकी कोई वजह तो होगी. उन्होंने कहा कि हीरे के लिए पहचाने जाने वाले एमपी में अब सोने की खदानों के भी संकेत मिल रहे हैं.
माइनिंग कॉन्क्लेव में बीस हजार करोड़ के प्रस्ताव आए
भोपाल में दो दिन चले माइनिंग कॉन्क्लेव में बीस हजार करोड़ के प्रस्ताव आए. सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि 'मध्य प्रदेश में अकूत खनिज संपदा है. उन्होंने बताया की एमपी माइनिंग की नीलामी में नंबर वन है, लेकिन अब केवल खनन के साथ कच्चे माल की ही बात नहीं हो. खदान से जो कच्चा माल निकले, उससे उत्पाद भी यही तैयार हो. जैसे लाइम स्टोन से सीमेंट यहीं बने. उन्होंने कहा सरकार आपके साथ प्रतिबध्दता के साथ खड़ी है.
क्यों बोले मोहन माइनिंग संकट वाला विभाग
डॉ मोहन यादव ने कहा कि ये माइनिंग संकट वाला विभाग है. अगर इस विभाग में किसी फाइल पर साइन करो तो बहुत सोच समझकर करना पड़ता है, लेकिन पीएम मोदी की नीतियों की बदौलत अब इस विभाग में पूरी पारदरर्शिता है. उन्होंने मंच पर अफसरों के सामने रखे फूलों के रंगों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो अधिकारी बैठे हैं. उनके सामने सफेद रंग के फूल रखे हैं. प्रमुख सचिव के सामने पीले और लाल फूल हैं. मेरे सामने लाल फूल हैं, तो अधिकारियों के सामने जो सफेल फूल हैं. उससे मुझे गाना याद आ रहा है कि पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिला दो लगे उस जैसा. सरकार चलाने वाला व्यक्ति इसी मानसिकता से पारदर्शी तरीके और सहजता से घुलता मिलता है.